मुंगेर: इस साल की बारिश में अगर यहां की सड़कें झील में तब्दील हो जाएं या शहर में जगह-जगह जलजमाव की स्थिति हो जाए तो ज्यादा आश्चर्य की बात नहीं होगी. सरकार के लगातार निर्देश के बावजूद गर निगम और आरसीडी विभाग सचेत नहीं हुआ. नतीजतन, कई इलाकों में चल रहा नाला निर्माण कार्य अब तक अधर में लटका हुआ है.
स्थानीय लोगों की मानें तो विभाग की ओर से नालों के निर्माण में बड़े पैमाने पर अनियमितता बरती गई है. जल निकासी के लिए आउटलेट तक नहीं बनाए गए हैं. जिस कारण हल्की बारिश होने पर सड़कों पर जलजमाव हो जाता है. आवागमन में भी काफी परेशानी होती है.
घरों में घुस जाता है नालों का पानी
बारिश के दिनों में हालात इस कदर खराब हो जाते हैं कि कई इलाके में बरसात का पानी लोगों के घर में प्रवेश कर जाता है. नगर निगम और आरसीडी विभाग इसके लिए एक-दूसरे पर ठीकरा फोड़ते नजर आते हैं. लेकिन, खामियाजा तो आमजनों को भुगतना पड़ता है.
60 करोड़ की लागत से हो रहा सड़क और नाला निर्माण
मुंगेर नगर निगम क्षेत्र के लगभग 17 किलोमीटर सड़क और दोनों किनारों पर पक्के नाला निर्माण का कार्य पथ निर्माण विभाग और आरसीडी विभाग की ओर से कराया जा रहा है. जिसमें कुल 60 करोड़ का खर्च होना है. बरसात के पहले यह कार्य समाप्त हो जाना था. लेकिन, मानसून का आगमन हो गया है और काम अधूरा है.
इन इलाकों में होती है भारी परेशानी
स्थानीय लोगों का कहना है कि हल्की बारिश के बाद मंगल बाजार, दशभुजी स्थान, दो नंबर गुमटी, तीन नंबर गुमटी, पूरब सराय, किला क्षेत्र की सड़कें पूरी तरह जलमग्न हो जाती हैं. यातायात पूरी तरह से ठप हो जाता है. जिस कारण राहगीरों को आवागमन में परेशानी होती है. आलम यह हो जाता है कि सड़कों से पानी निकलने में घंटों समय लगता है.
कार्य मे बरती जा रही लापरवाही
नगर निगम क्षेत्र में जल निकासी के लिए बड़े पैमाने पर नालों का निर्माण किया जा रहा है. लेकिन इसमें बड़े पैमाने पर अनियमितता बरती जा रही है. नगर निगम के आयुक्त श्रीकांत शास्त्री ने बताया कि सभी नाले अंग्रेजों के जमाने के हैं. उस समय आबादी के अनुसार नालों का निर्माण किया गया था. मौजूदा समय में जो नाले बनाए जा रहे हैं, वह कई जगह साइज में छोटे हैं. जबकि अंग्रेजों के समय के बाद अब तक आबादी कई गुना बढ़ चुकी है. आबादी के अनुसार नाला का साइज बड़ा होना चाहिए, तभी अधिक बारिश होने के बाद भी पानी निकल सकता है.
पानी निकलने के लिए नहीं है आउटलेट
बता दें कि सभी जगहों पर 2 फीट ऊंची सड़क क किनारे चारों ओर से नाले का निर्माण कर दिया गया है. बरसात का पानी नालों में गिर सके इसके लिए हर 2 फीट पर सड़क के समतल नालों के दीवार में एक 6 इंच का छेद होना चाहिए. इस आउटलेट से ही बाहर का पानी नाले में प्रवेश करता है, जिसे ना तो इंजीनियर बनवा पाया ना तो संवेदक ने बनाया है. हालात यह है कि अब हल्की बारिश होने पर भी पानी सड़कों पर ही जमा रहता है.
कार्यपालक अभियंता का तर्क
वहीं, आरसीडी विभाग के कार्यपालक अभियंता प्रभात कुमार का कहना है कि सभी निर्माण कार्य पूरे किए जा चुके हैं. जलजमाव की समस्या नहीं है. थोड़े बहुत छूटे हुए कार्य हैं, उसे भी एक-दो दिन में पूरा कर लिया जाएगा. वहीं, मुंगेर नगर निगम के आयुक्त श्रीकांत शास्त्री ने भी स्वीकार किया है आउटलेट सभी जगह नहीं बने हैं. जिसके कारण बाहर का जल निकासी नाले में नहीं हो पाएगी. अभी भी दर्जनों इलाके में नाले का निर्माण कार्य अधूरा है. बारिश के समय में जलजमाव हो सकती है. इस संबंध में उन्होंने आरसीडी के अभियंता को लिखित और मौखिक कार्य पूरा करने के लिए कई बार पत्र लिखकर भेजा है. लेकिन, कोई समाधान नहीं निकल सका है.