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युवाओं की अच्छी पहल, नक्सल प्रभावित इलाके में बच्चों को दे रहे हैं शिक्षा - quality education

मुंगेर के लालगढ़ कहे जाने वाले नक्सल प्रभावित क्षेत्र धरहरा प्रखंड में बदलाव की बयार बह रही है. जहां कभी लाल सलाम और गोलियों की तड़तड़ाहट से इलाका थर्रा उठता था, वहां अब स्कूली बच्चे अपना परिचय अंग्रेजी में दे रहे हैं.

मध्य विद्यालय सराधी
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Published : Feb 23, 2019, 12:03 PM IST

मुंगेर: जिले के लालगढ़ कहे जाने वाले नक्सल प्रभावित क्षेत्र धरहरा प्रखंड में बदलाव की बयार बह रही है. कुछ सुशिक्षित युवाओं द्वारा निर्मित आई सक्षम संस्था ने इस प्रखंड के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने की मुहिम शुरू की है.

प्ले एंड लर्न स्कूलों जैसा है पढ़ाई का तरीका
धरहरा प्रखंड के सराधी गांव निवासी तानिया परवीन मध्य विद्यालय सराधी में बच्चों को अंग्रेजी पढ़ाती हैं. खेल खेल में बताई गई गई बातों से बच्चों की अंग्रेजी भी काफी सुधर गई है. सरकारी स्कूलों में पढ़ाई का सहज और दिलचस्प तरीका शहरी प्ले एंड लर्न स्कूलों जैसा है. पढ़ाई की यह पद्धति ग्रामीण बच्चों और उनके अभिभावकों को भी खूब भा रहा है.

मध्य विद्यालय सराधी

नक्सल प्रभावित क्षेत्र में बह रहीशिक्षा की बयार
नक्सल प्रभावित क्षेत्र कहलाने वाले करेली और सराधी गांव में शिक्षा की बयार सेकई बच्चों की जिंदगी संवर रही है. अब गांव के बच्चे भी अंग्रेजी में अपना परिचय दे रहे हैं.

मुंगेर: जिले के लालगढ़ कहे जाने वाले नक्सल प्रभावित क्षेत्र धरहरा प्रखंड में बदलाव की बयार बह रही है. कुछ सुशिक्षित युवाओं द्वारा निर्मित आई सक्षम संस्था ने इस प्रखंड के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने की मुहिम शुरू की है.

प्ले एंड लर्न स्कूलों जैसा है पढ़ाई का तरीका
धरहरा प्रखंड के सराधी गांव निवासी तानिया परवीन मध्य विद्यालय सराधी में बच्चों को अंग्रेजी पढ़ाती हैं. खेल खेल में बताई गई गई बातों से बच्चों की अंग्रेजी भी काफी सुधर गई है. सरकारी स्कूलों में पढ़ाई का सहज और दिलचस्प तरीका शहरी प्ले एंड लर्न स्कूलों जैसा है. पढ़ाई की यह पद्धति ग्रामीण बच्चों और उनके अभिभावकों को भी खूब भा रहा है.

मध्य विद्यालय सराधी

नक्सल प्रभावित क्षेत्र में बह रहीशिक्षा की बयार
नक्सल प्रभावित क्षेत्र कहलाने वाले करेली और सराधी गांव में शिक्षा की बयार सेकई बच्चों की जिंदगी संवर रही है. अब गांव के बच्चे भी अंग्रेजी में अपना परिचय दे रहे हैं.

Intro:मुंगेर - जिले के लालगढ़ कहे जाने वाले नक्सल प्रभावित क्षेत्र धरहरा प्रखंड में बदलाव की बयार बह रही है। जहां कभी लाल सलाम और गोलियों की तड़तड़ाहट से इलाका थर्रा उठता था। आज इन दुरूह और दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों में पहुंचते ही बच्चों के मुंह से ए फॉर एप्पल , बी फॉर बॉल के बोल सुनाई पड़ रहे हैं। शिक्षा पाने को लेकर बदलाव की ये बयार धरहरा प्रखंड समेत कई गांवों में भी आया है। जहा छोटे छोटे स्कूली बच्चे भी अपना परिचय अंग्रेजी में दे रहे है।



Body:कुछ सुशिक्षित युवाओं द्वारा निर्मित आई सक्षम संस्था ने इस प्रखंड के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने की मुहिम शुरू की। धरहरा प्रखंड के सराधी गांव निवासी तानिया परवीन मध्य विद्यालय सराधी में बच्चों को अंग्रेजी पढ़ाती है। खेल खेल में बताई गई गई बातों से बच्चों की अंग्रेजी काफी सुधर गई है। सरकारी स्कूलों में पढ़ाई का सहज और दिलचस्प तरीका प्ले एंड लर्न ग्रामीण बच्चों और उनके अभिभावकों को भी खूब भा रहा है। ग्रामीण अंचलों में तान्या की तरह शहनाज, शहरबानो, किरण कुमारी, रूपा कुमारी, सोनम भारती जैसी प्रशिक्षित शिक्षिका सेंटर चला कर गरीब बच्चों को शिक्षित करने का काम कर रही हैं। तानिया प्रवीण ने बताया कि वो बचपन से ही पढ़ लिख कर शिक्षक बनना चाहती थी। लेकिन परिवार की दयनीय स्थिति के कारण यह संभव नहीं हो पाया। फिर भी गांव में बच्चों को ट्यूशन पढ़ाकर अपनी पढ़ाई जारी रखे हुए है। इस बीच आई शिक्षण संस्था ने उसे सामुदायिक शिक्षिका बनाया। संस्था ने तान्या को फैलोशिप दिया और शिक्षक की कमी से जूझ रहे सराधी मध्य विद्यालय में बच्चों को पढ़ाने का जिम्मा सौंपा। बच्चों को पढ़ाने की जिम्मेदारी मिलने के बाद तानिया ने नक्सल प्रभावित क्षेत्र कहलाने वाले करेली और सराधी गांव में शिक्षा की ऐसी बयार चलाई की उसकी तान से कई बच्चों की जिंदगी संवर रही है। अब गांव के बच्चे भी अंग्रेजी में अपना परिचय दे रहे हैं।


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