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बिहार में बेमौसम बारिश से फसलों को कितना नुकसान-कितना फायदा? जनिए कृषि वैज्ञानिक से - मुंगेर लेटेस्ट न्यूज

बिहार में बेमौसम बारिश फसलों के लिए आफत बनकर आयी है. बारिश से तेलहन और दलहन की फसल को नुकसान (oilseeds and pulses crop damage in Bihar) पहुंची है. तो वहीं कई फसलों को लिए यह बारिश वरदान साबित हुई है. आइये कृषि वैज्ञानिक डॉ. अशोक कुमार राय (Agricultural Scientist Dr Ashok Kumar Rai) से जानते हैं कि बारिश से फसलों को कितना नुकसान और कितना फायदा हुआ है. पढें पूरी खबर..

Agricultural Scientist Dr Ashok Kumar Rai Special conversation
Crop Damage due to rain in munger
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Published : Feb 7, 2022, 10:17 AM IST

मुंगेर: बिहार के मुंगेर जिले में समेत पूरे बिहार में माघ महीने में सावन भादो की तरह हुई बारिश से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया. मुंगेर में पिछले दो दिनों में बारिश व तेज हवा ने फसलों को भारी नुकसान (Crop Damage Due To Rain In Munger) पहुंचाया है. वहीं मक्का और फलन वाले फसलों के लिए यह बारिश वरदान साबित हुई, तो वहीं गेहूं और सरसों जैसे फसलों के लिए यह अभिशाप बनी. ऐसे में सवाल उठता है कि बारिश में फसल की सुरक्षा कैसे करें? ताकि फसल अधिक नुकासान न हो. इस बारे में ईटीवी भारत ने मुंगेर कृषि विज्ञान केंद्र (Munger Krishi Vigyan Kendra) के वैज्ञानिक डॉ. अशोक कुमार राय से खास बातचीत की है. जिसमें उन्होंने इस बारे में विस्तार से जानकारी दी है.

बेमौसम लगातार दो दिनों से हुई बारिश के कारण जिन फसलों में फूल अभी आए हैं, उन फसलों को अधिक नुकसान हुआ है. जानकारी देते हुए कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. अशोक ने बताया कि सरसों के पिछौति फसल जिसमें अभी फूल आया है, उन फसलों को अधिक नुकसान हुआ है. साथ ही गेहूं की खेती करने वाले किसान जिनकी फसल 30 से 40 दिन तक की हो चुकी है, खेतों में अगर पानी जमा हो गया तो गेहूं की फसल पीले रोग से ग्रसित हो जाएगी और उनका रंग भी पीला हो जाएगा. इससे पैदावार में भी फर्क आएगा. साथ ही आलू, पालक आदि की फसलों को नुकसान हुआ है.

जानिए कृषि वैज्ञानिक से फसल की सुरक्षा कैसे करें.

अचानक हुई बारिश से मक्के की फसल बोने वाले किसानों को जबरदस्त फायदा मिला है. इस बारे में जानकारी देते हुए कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. अशोक कुमार राय ने बताया कि मक्के का फसल गबभा तक हो चुका है. अब उसमें सिंचाई की आवश्यकता थी, लेकिन बारिश ने सिंचाई के परेशानी से किसानों को मुक्त कर दिया. अब इस फसल में एक सिंचाई से किसानों को निजात मिल गया. शुद्ध बारिश के पानी से फसल का ग्रोध तेजी से होगा.

कृषि वैज्ञानिक ने बताया कि ऐसी फसल जिनका फलन हो गया है. जैसे सरसों के पहले बुवाई करने वाले किसान दिन के फसल में मटर के दाने के आकार का फलन हो गया हो, अरहर की फसल में मटर आ गया है. फलन के लिए तैयार है, उन फसलों में यह बारिश का पानी फायदा पहुंचाएगा और उनके फसल काफी तेज गति से विकसित होंगे.

आइए जानते हैं कि बारिश के बाद क्या उपाय करें, ताकि उत्पादन प्रभावित न हो. बात दें कि बारिश से खेतों में पानी जम जाने के कारण मिट्टी में अधिक नमी होने से फसल को नुकसान पहुंचेगा. इससे फसल गलन के शिकार होंगे. इससे बचाव के लिए कृषि वैज्ञानिक ने बताया कि बारिश छूटने के तुरंत बाद मेड़ को खोल दें. जिससे खेतों में जमा पानी बाहर निकल जाएगा और फसल फिर धूप लगने से सही हो जाएगा. इसके अलावा प्रती कट्ठा और ढाई सौ ग्राम पोटाश को पानी में मिलाकर छिड़काव करें. जिससे पानी वाले कीड़े फसल में नहीं लगेंगे. उन्होंने कहा कि उचित प्रबंधन के द्वारा फसलों को बचाया जा सकता है और किसान बारिश के बावजूद फसलों से अधिक मुनाफा ले सकते हैं.

बता दें कि तीन और चार फरवरी को बेमौसम बारिश और ओले से तेलहनी, दलहनी और आलू की खेती को कई जिलों में भारी नुकसान हुआ है. कृषि विभाग को सब्जियों की खेती भी बर्बाद होने की सूचना मिली है. कई जिलों के कृषि अधिकारियों ने इसकी पुष्टि भी की है. ऐसे में फसलों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए राज्य सरकार ने आकलन के निर्देश दिए हैं. कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह ने विभागी अधिकारियों को एक सप्ताह के भीतर रिपोर्ट तलब किया है. ताकी किसानों को हुए नुकसान का आकलन कर तत्काल भरपाई कराई जाए. जानकारी के अनुसार सरकार प्रभावित किसानों को उनकी फसल का मुआवजा देगी.

यह भी पढ़ें - मौसम की मार से बक्सर के किसान बेहाल, बारिश से तिलहन और दलहन की फसल को भारी नुकसान

यह भी पढ़ें - ग्राउंड रिपोर्ट: बारिश और ओलावृष्टि के कारण फसलों को नुकसान, सरकार से लगाई मदद की गुहार

यह भी पढ़ें - बेतिया: खेतों में बिछी सफेद चादर, बारिश के साथ गिरे ओले, गेंहू और तिलहन की फसल को हुआ नुकसान

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मुंगेर: बिहार के मुंगेर जिले में समेत पूरे बिहार में माघ महीने में सावन भादो की तरह हुई बारिश से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया. मुंगेर में पिछले दो दिनों में बारिश व तेज हवा ने फसलों को भारी नुकसान (Crop Damage Due To Rain In Munger) पहुंचाया है. वहीं मक्का और फलन वाले फसलों के लिए यह बारिश वरदान साबित हुई, तो वहीं गेहूं और सरसों जैसे फसलों के लिए यह अभिशाप बनी. ऐसे में सवाल उठता है कि बारिश में फसल की सुरक्षा कैसे करें? ताकि फसल अधिक नुकासान न हो. इस बारे में ईटीवी भारत ने मुंगेर कृषि विज्ञान केंद्र (Munger Krishi Vigyan Kendra) के वैज्ञानिक डॉ. अशोक कुमार राय से खास बातचीत की है. जिसमें उन्होंने इस बारे में विस्तार से जानकारी दी है.

बेमौसम लगातार दो दिनों से हुई बारिश के कारण जिन फसलों में फूल अभी आए हैं, उन फसलों को अधिक नुकसान हुआ है. जानकारी देते हुए कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. अशोक ने बताया कि सरसों के पिछौति फसल जिसमें अभी फूल आया है, उन फसलों को अधिक नुकसान हुआ है. साथ ही गेहूं की खेती करने वाले किसान जिनकी फसल 30 से 40 दिन तक की हो चुकी है, खेतों में अगर पानी जमा हो गया तो गेहूं की फसल पीले रोग से ग्रसित हो जाएगी और उनका रंग भी पीला हो जाएगा. इससे पैदावार में भी फर्क आएगा. साथ ही आलू, पालक आदि की फसलों को नुकसान हुआ है.

जानिए कृषि वैज्ञानिक से फसल की सुरक्षा कैसे करें.

अचानक हुई बारिश से मक्के की फसल बोने वाले किसानों को जबरदस्त फायदा मिला है. इस बारे में जानकारी देते हुए कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. अशोक कुमार राय ने बताया कि मक्के का फसल गबभा तक हो चुका है. अब उसमें सिंचाई की आवश्यकता थी, लेकिन बारिश ने सिंचाई के परेशानी से किसानों को मुक्त कर दिया. अब इस फसल में एक सिंचाई से किसानों को निजात मिल गया. शुद्ध बारिश के पानी से फसल का ग्रोध तेजी से होगा.

कृषि वैज्ञानिक ने बताया कि ऐसी फसल जिनका फलन हो गया है. जैसे सरसों के पहले बुवाई करने वाले किसान दिन के फसल में मटर के दाने के आकार का फलन हो गया हो, अरहर की फसल में मटर आ गया है. फलन के लिए तैयार है, उन फसलों में यह बारिश का पानी फायदा पहुंचाएगा और उनके फसल काफी तेज गति से विकसित होंगे.

आइए जानते हैं कि बारिश के बाद क्या उपाय करें, ताकि उत्पादन प्रभावित न हो. बात दें कि बारिश से खेतों में पानी जम जाने के कारण मिट्टी में अधिक नमी होने से फसल को नुकसान पहुंचेगा. इससे फसल गलन के शिकार होंगे. इससे बचाव के लिए कृषि वैज्ञानिक ने बताया कि बारिश छूटने के तुरंत बाद मेड़ को खोल दें. जिससे खेतों में जमा पानी बाहर निकल जाएगा और फसल फिर धूप लगने से सही हो जाएगा. इसके अलावा प्रती कट्ठा और ढाई सौ ग्राम पोटाश को पानी में मिलाकर छिड़काव करें. जिससे पानी वाले कीड़े फसल में नहीं लगेंगे. उन्होंने कहा कि उचित प्रबंधन के द्वारा फसलों को बचाया जा सकता है और किसान बारिश के बावजूद फसलों से अधिक मुनाफा ले सकते हैं.

बता दें कि तीन और चार फरवरी को बेमौसम बारिश और ओले से तेलहनी, दलहनी और आलू की खेती को कई जिलों में भारी नुकसान हुआ है. कृषि विभाग को सब्जियों की खेती भी बर्बाद होने की सूचना मिली है. कई जिलों के कृषि अधिकारियों ने इसकी पुष्टि भी की है. ऐसे में फसलों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए राज्य सरकार ने आकलन के निर्देश दिए हैं. कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह ने विभागी अधिकारियों को एक सप्ताह के भीतर रिपोर्ट तलब किया है. ताकी किसानों को हुए नुकसान का आकलन कर तत्काल भरपाई कराई जाए. जानकारी के अनुसार सरकार प्रभावित किसानों को उनकी फसल का मुआवजा देगी.

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