मुंगेर: बिहार सरकार के पूर्व शिक्षा मंत्री सह तारापुर के विधायक मेवालाल चौधरी के निधन के बाद उनके गांव कमरगामा में सन्नाटा पसर गया. ग्रामीण पूर्व मंत्री के पार्थिव शरीर को तारापुर लाए जाने की मांग कर रहे हैं. ग्रामीणों ने कहा कि वे लोग कोविड-19 के गाइडलाइन का पालन करते हुए उनका आखिरी दर्शन करना चाहते हैं.
उनके घर में काम कर रहे माली पप्पू को विश्वास ही नहीं हो रहा कि उनके मालिक अब नहीं रहे. उन्होंने कहा कि 14 अप्रैल को मेवालाल चौधरी की तबीयत बिगड़ी थी और आज यह मनहूस खबर आ गई.
'हमें विश्वास नहीं होता कि मालिक अब इस दुनिया में नहीं रहे. हम तो गेट का दरवाजा खोल कर अभी भी उनके आने का इंतजार कर रहे हैं. मालिक आएंगे और कहेंगे पप्पू क्या हाल है? खाना खाए? जाओ खाना खा कर आराम करो, अब हम आ गए?'- पप्पू, माली
यह भी पढ़ें: कोरोना से बिहार के पूर्व शिक्षा मंत्री सह तारापुर विधायक मेवालाल चौधरी का निधन
ग्रामीणों ने की मांग- कमरगामा लाया जाए पार्थिव शरीर
मेवालाल चौधरी के पैतृक गांव कमरगामा के ग्रामीणों ने सरकार से मांग की है कि उनके पार्थिव शरीर को गांव लाने की अनुमति मिले. ग्रामीणों ने कहा कि हम लोग कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए उनका अंतिम दर्शन करेंगे. वे हम लोगों के अभिभावक थे. ग्रामीणों ने कहा कि उनके दोनों बेटे विदेश में हैं. वे इसकी सूचना मिलने के बाद घर वापस आ रहे हैं.
विरोधी दल के नेता भी करते थे उन्हें पसंद
विधायक मेवालाल चौधरी का काम करने का तरीका इतना बेहतर था कि क्या सत्ता पक्ष ही नहीं विपक्षी नेता भी उनके मुरीद थे. उनके आकस्मिक निधन से लोजपा नेता मिथिलेश सिंह ने कहा कि वे तारापुर के विकास पुरुष थे. मिथिलेश ने कहा कि उन्होंने कई ऐसे काम किए जो तारापुर के विकास के लिए मील का पत्थर साबित होगा. वे विपक्ष में रहते हुए भी हम लोगों की मांग को पूरा कर देते थे.
यह भी पढ़ें: मेवालाल चौधरी... तीन घंटे में देना पड़ा था शिक्षा मंत्री के पद से इस्तीफा
यह भी पढ़ें:मेवालाल चौधरी के निधन पर शोक की लहर, नीतीश-तेजस्वी ने जताई संवेदना
यह भी पढ़ें: 'जनता त्राहिमाम कर रही है और CM नीतीश विधायकों को तोड़ने में लगे हैं'