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मधुबनी: सूरत से लौटे 50 मजदूरों को नहीं मिली क्वॉरेंटाइन सेंटर में जगह, गांव के युवाओं ने की मदद - श्रमिक

मधुबनी में बाहर से आए मजदूरों को क्वॉरेंटाइन सेंटर में जगह नहीं मिली. अधिकारियों को जानकारी देने के बाद भी कोई व्यवस्था नहीं कि गई, जिसके बाद गांव के युवाओं ने तंबू लगाकर क्वॉरेंटाइन सेंटर बनाया.

मधुबनी
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Published : May 22, 2020, 8:10 PM IST

Updated : May 22, 2020, 9:58 PM IST

मधुबनी: कोरोना के खिलाफ इस जंग में युवा भी अपनी भूमिका निभा रहे हैं. बाहर से आए प्रवासियों को क्वॉरेंटाइन सेंटर में जगह नहीं मिली तो गांव के कुछ युवाओं ने खुद से तंबू गाड़कर एक क्वॉरेंटाइन सेंटर बनाया है. इसमें सूरत से आए 50 मजदूर रह रहे हैं. इन श्रमिकों को अब तक सरकार की तरफ से कोई सहायता नहीं दी गई है, जिससे प्रवासियों में आक्रोश व्याप्त है.

पेड़ के नीचे तंबू में रह रहे प्रवासीपेड़ के नीचे तंबू में रह रहे प्रवासी
पेड़ के नीचे तंबू में रह रहे प्रवासी

सरकार से नहीं मिली मदद
जिला मुख्यालय से 25 किलोमीटर दूरी पर एक पंचायत भटसिमर निजामत भवानीपुर है, जहां प्रवासी मजदूरों के लिए नवसृजित विद्यालय में क्वॉरेंटाइन सेंटर बनाया गया था. इसमें सिर्फ 25 लोग ही रह सकते थे. बाहर से आए प्रवासियों को जगह न मिलने पर इसकी जानकारी ग्राम पंचायत से लेकर प्रखंड प्रशासन को दी गई, लेकिन किसी ने कोई पहल नहीं की.

पेश है रिपोर्ट

गांव के युवाओं ने की मदद
इसके बाद कुमारिल भट्ट युवा मंच के युवा आगे आए. युवाओं ने आम के बगीचे में क्वॉरेंटाइन सेंटर बनाया. युवाओं ने सभी प्रवासियों के बीच साबुन, बनियान और गमछा का भी वितरण किया. इसके साथ ही पेयजल के लिए नया चापाकल भी लगवाया गया. प्रवासी श्रमिक मजदूरों ने बताया कि सरकारी स्तर से हमलोगों को कुछ नहीं मिला है. रात को सुनसान जंगलों में गुजरना बहुत ही मुश्किल लग रहा है.

घर से मंगाते हैं खाना: प्रवासी
प्रवासियों ने बताया कि खाना और पीने का पानी घर से मांगते हैं. क्वॉरेंटाइन में रह रहे लोग काफी आक्रोशित हैं. मजदूरों का कहना है कि 4 हजार रुपए किराया देकर घर पहुंचे और यहां भी चैन से नहीं रह रहे हैं.

मधुबनी: कोरोना के खिलाफ इस जंग में युवा भी अपनी भूमिका निभा रहे हैं. बाहर से आए प्रवासियों को क्वॉरेंटाइन सेंटर में जगह नहीं मिली तो गांव के कुछ युवाओं ने खुद से तंबू गाड़कर एक क्वॉरेंटाइन सेंटर बनाया है. इसमें सूरत से आए 50 मजदूर रह रहे हैं. इन श्रमिकों को अब तक सरकार की तरफ से कोई सहायता नहीं दी गई है, जिससे प्रवासियों में आक्रोश व्याप्त है.

पेड़ के नीचे तंबू में रह रहे प्रवासीपेड़ के नीचे तंबू में रह रहे प्रवासी
पेड़ के नीचे तंबू में रह रहे प्रवासी

सरकार से नहीं मिली मदद
जिला मुख्यालय से 25 किलोमीटर दूरी पर एक पंचायत भटसिमर निजामत भवानीपुर है, जहां प्रवासी मजदूरों के लिए नवसृजित विद्यालय में क्वॉरेंटाइन सेंटर बनाया गया था. इसमें सिर्फ 25 लोग ही रह सकते थे. बाहर से आए प्रवासियों को जगह न मिलने पर इसकी जानकारी ग्राम पंचायत से लेकर प्रखंड प्रशासन को दी गई, लेकिन किसी ने कोई पहल नहीं की.

पेश है रिपोर्ट

गांव के युवाओं ने की मदद
इसके बाद कुमारिल भट्ट युवा मंच के युवा आगे आए. युवाओं ने आम के बगीचे में क्वॉरेंटाइन सेंटर बनाया. युवाओं ने सभी प्रवासियों के बीच साबुन, बनियान और गमछा का भी वितरण किया. इसके साथ ही पेयजल के लिए नया चापाकल भी लगवाया गया. प्रवासी श्रमिक मजदूरों ने बताया कि सरकारी स्तर से हमलोगों को कुछ नहीं मिला है. रात को सुनसान जंगलों में गुजरना बहुत ही मुश्किल लग रहा है.

घर से मंगाते हैं खाना: प्रवासी
प्रवासियों ने बताया कि खाना और पीने का पानी घर से मांगते हैं. क्वॉरेंटाइन में रह रहे लोग काफी आक्रोशित हैं. मजदूरों का कहना है कि 4 हजार रुपए किराया देकर घर पहुंचे और यहां भी चैन से नहीं रह रहे हैं.

Last Updated : May 22, 2020, 9:58 PM IST
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