मधुबनी: बात मिथिलांचल की हो और भोज (पार्टी) (mithilanchal bhoj) की बात न हो ऐसा कैसे हो सकता है. स्वागत और आतिथ्य के लिए मशहूर मिथिला में प्यार से भोज खिलाने की परंपरा है. आगे बढ़ने से पहले आपको इस वीडियो के बारे में आपको बता दें. दरअसल, यह वीडियो एक भोज का है. मैथिल भोज में रसगुल्ला खाने और खिलाने की मारामारी या प्यार कह लीजिए. इस भोज में लोगों को जमीन पर बैठाकर खाना खिलाया जा रहा है. खाना वो भी मैथिल अंदाज में (Unique mithilanchal traditional party). इस वीडियो को चंदन झा नाम के यूजर ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर शेयर किया है. कैप्शन है, मिथिला भोज, 300 रसगुल्ला (300 Rasgulla challenge).
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ऐसी होती है, मिथिलांचल की पार्टी : वीडियो में एक शख्स बाल्टी में उजला रसगुल्ला लेकर खड़ा है और वो दूसरे व्यक्ति को रसगुल्ला परोस रहा है. बाल्टी रसगुल्ला से भरा हुआ है. शख्स अपने दोनों हाथों में रसगुल्ला भरकर खाने वाले के पत्तल में डाल रहा है. वीडियो में एक आवाज आती है कि, 'हे महादेव! ये आखिरी है, अब मत दीजिए. छोड़ दीजिए'. वीडियो में आसपास के लोग यह सब देखकर खूब हंस रहे है. एक और यूजर का वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है. एनके मिश्रा ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर यह वीडियो पोस्ट किया है. एक और यूजर आदित्य मोहन ने एक वीडियो पोस्ट किया है. वीडियो में एक शख्स एक के बाद एक रसगुल्ला खा रहा है और दूसरा शख्स उसी छाती दबा रहा है.
मिथिलांचल का भोज नहीं खाया तो क्या खाया? : यहां हर खास अवसर पर भोज कार्यक्रम का आयोजन होता है. सगे संबंधियों और आसपास के गांवों को न्यौता जाता है. मिथिला के भोज में दही और मिठाई का रहना अनिवार्य होता है. जमीन पर भोज के लिए पंगत सजता है. परंपरा के अनुसार बुजुर्ग अपने घर से पानी पीने के लिए लोटा लेकर आते है. इसके बाद उन्हें पत्तल दिया जाता है. इसके बाद पत्तल पर पानी छिड़ककर साफ किया जाता है.
देखते-देखते 300 रसगुल्ला चट कर जाते है : अब शुरू होता भोज में अलग-अलग तरह के व्यजन का परोसा जाना. एक-एक कर सबकुछ परोसा जाता है. फिर सभी एक साथ खाना शुरू करते है. बीच-बीच में खाना परोसने वाले लोग पूछते है कि 'कुछ चाहिए'. आखिर में दही और मिठाई परोसी जाती है. यहां शुरू होता है खाने और खिलाने का दौर. खाने वाले लोग भी ऐसे की एक साथ 200-300 रसगुल्ला गटक जाए. जैसा वीडियो में दिख रहा है, ठिक वैसा ही. पत्तल में रसगुल्ला दोनों हाथों से परोसा जाता है और खाने वाले वाला शख्स रसगुल्ला के रस को गाड़कर अपने मुंह में डालता रहता है. हालांकि, इस बीच लोग रसगुल्ला चैलेंज भी लगाते रहते है. कौन कितना रसगुल्ला खाएगा, इसके लिए शर्त भी लगती है. भोज में जब तक हर शख्स खाना नहीं खा लेता तब तक कोई नहीं उठता है. आखिर में आवाज आती है कि हो गया. तब सब एक साथ उठते है.
जाने कहां गए वो दिन? : भोज में एक और खास बात यह है की पुरुष और महिला साथ बैठ कर खाने की परंपरा नहीं है. भोज खाने के बाद लोगों के बीच पान सुपाड़ी भी बांटने का भी रिवाज है. कही-कही तो ब्राह्मण को 11 या 21 रुपये देने का भी रिवाज है. लेकिन बदलते दौर में सब कुछ बदल चुका है. मिथिल के भोज भात वाली बात अब कम ही देखने को मिलती है. जमीन पर बैठकर खाने खिलाने के बजाय अब टेबुल कुर्सी पर खाना खिलाया जाता है. भोज की जगह अब बुफे सिस्टम ने ले ली है. हालांकि, आज भी कुछ लोग ऐसे है जिनकी खुराक देखकर वाकई आप चौंक जाएंगे.
''आज से 20 30 साल पहले की बात ही कुछ और थी. मिथिलांचल में खाने और खिलाने की परंपरा अब बदलती जा रही है. एक वक्त था जब भोज के लिए निमंत्रण आता था तो उसकी तैयारी सुबह से होती थी. दिन भर हलका खाना खाते थे, क्योंकी रात के भोज का आनंद लेना होता था. भोज में कुछ लोग ऐसे होते थे कि 100-200 खा जाते थे. अच्छा लगता था. अब वो दिन नहीं रहा.'' - प्रशांत कंठ, रामपुर गांव, मधुबनी