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मधुबनी: सरकारी मदद के अभाव में अपनी पहचान के लिए जद्दोजहद कर रही सिक्की मोनी कला

नदी के किनारे बरसात में मिलने वाले खर से सिक्की तैयार कर टिकुली मंजूषा निर्माण कला की जाती है. इससे बनने वाली कलाकृतियां बेहद खूबसूरत होती है. लेकिन सरकारी मदद के अभाव में यह अपनी पहचान के लिए जद्दोजहद कर रही है.

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Published : Dec 31, 2019, 5:25 PM IST

Madhubani
सरकारी मदद के अभाव में अपनी पहचान के लिए जद्दोजहद कर रही सिक्की मोनी कला

मधुबनी: मधुबनी की मिथिला पेंटिंग तो विश्व विख्यात है. लेकिन यहां के कई ऐसी कला है जो अपनी पहचान के लिए जद्दोजहद कर रही है. इनमें से एक सिक्की से टिकुली मंजूषा निर्माण कला की जाती है. जिसे सिक्की मोनी कला भी कहते हैं. सरकारी सहयोग के अभाव में यह विख्यात नहीं हो पा रही है.

महिलाओं के लिए स्वरोजगार के अच्छे अवसर
नदी के किनारे बरसात में मिलने वाले खर से सिक्की तैयार की जाती है. जिससे बाद में टिकुली मंजूषा निर्माण कला की जाती है. सिक्की मोनी कला से बनने वाली कलाकृतियां बेहद खूबसूरत होती है. इसके साथ ही यह गांव-घर की महिलाओं के लिए स्वरोजगार के अच्छे अवसर भी प्रदान कर रही है.

सरकारी मदद के अभाव में अपनी पहचान के लिए जद्दोजहद कर रही सिक्की मोनी कला

सिक्की मोनी एक परांगत कला
सिक्की मोनी कला एक परांगत कला है. इसका प्रयोग खर की एक प्रजाति को बारीकी से खूबसूरत रंग रोशन कर उसकी कलाकृतियां बनाने में किया जाता है. जिसके बाद उसे बाजार में बेचा जाता है. इस कला से चकली, मंजूषा भगवान की मूर्तियां, बर्तन और जानवरों की मूर्तियों जैसे कई प्रकार की वस्तुओं का निर्माण किया जाता है.

Madhubani
सिक्की मोनी कला से तैयार वस्तुएं

नहीं मिल रही कोई सरकारी मदद
कई संस्था इस कला को जीवंत रखने के लिए आर्थिक मदद मुहैया करा रही है. जिससे धीरे-धीरे इसे देश के साथ विदेशों में भी पहचान मिल रही है. नेशनल अवार्ड प्राप्त कलाकार ने बताया कि सरकार की तरफ से उन्हें कोई सुविधा नहीं मिल रही है. उन्होंने बताया कि इसमें काफी मेहनत करनी पड़ती है लेकिन उसके अनुसार मेहनताना नहीं मिलता है. जिससे कलाकारों में इसे लेकर काफी उदासी है.

मधुबनी: मधुबनी की मिथिला पेंटिंग तो विश्व विख्यात है. लेकिन यहां के कई ऐसी कला है जो अपनी पहचान के लिए जद्दोजहद कर रही है. इनमें से एक सिक्की से टिकुली मंजूषा निर्माण कला की जाती है. जिसे सिक्की मोनी कला भी कहते हैं. सरकारी सहयोग के अभाव में यह विख्यात नहीं हो पा रही है.

महिलाओं के लिए स्वरोजगार के अच्छे अवसर
नदी के किनारे बरसात में मिलने वाले खर से सिक्की तैयार की जाती है. जिससे बाद में टिकुली मंजूषा निर्माण कला की जाती है. सिक्की मोनी कला से बनने वाली कलाकृतियां बेहद खूबसूरत होती है. इसके साथ ही यह गांव-घर की महिलाओं के लिए स्वरोजगार के अच्छे अवसर भी प्रदान कर रही है.

सरकारी मदद के अभाव में अपनी पहचान के लिए जद्दोजहद कर रही सिक्की मोनी कला

सिक्की मोनी एक परांगत कला
सिक्की मोनी कला एक परांगत कला है. इसका प्रयोग खर की एक प्रजाति को बारीकी से खूबसूरत रंग रोशन कर उसकी कलाकृतियां बनाने में किया जाता है. जिसके बाद उसे बाजार में बेचा जाता है. इस कला से चकली, मंजूषा भगवान की मूर्तियां, बर्तन और जानवरों की मूर्तियों जैसे कई प्रकार की वस्तुओं का निर्माण किया जाता है.

Madhubani
सिक्की मोनी कला से तैयार वस्तुएं

नहीं मिल रही कोई सरकारी मदद
कई संस्था इस कला को जीवंत रखने के लिए आर्थिक मदद मुहैया करा रही है. जिससे धीरे-धीरे इसे देश के साथ विदेशों में भी पहचान मिल रही है. नेशनल अवार्ड प्राप्त कलाकार ने बताया कि सरकार की तरफ से उन्हें कोई सुविधा नहीं मिल रही है. उन्होंने बताया कि इसमें काफी मेहनत करनी पड़ती है लेकिन उसके अनुसार मेहनताना नहीं मिलता है. जिससे कलाकारों में इसे लेकर काफी उदासी है.

Intro:नदी के किनारे बरसात में मिलने वाले खर से सिक्की तैयार कर सिक्की से टिकुली मंजूषा निर्माण कला किया जाता हैं,सरकार द्वारा सहयोग नहीं मिलने से यह कला बिख्यात नही हो पा रही,मधुबनी


Body:मधुबनी
मधुबनी की पहचान मिथिला पेंटिंग की वजह से तो विश्व विख्यात है ही लेकिन मधुबनी में कई ऐसे कल आए हैं जो अपनी पहचान के लिए जद्दोजहद कर रही है जी हां एक ऐसी ही कला है इसकी मोनी कला सीखी मोनी कला से बनने वाली कलाकृति आना केवल खूबसूरत होती है बल्कि गांव घर की महिलाओं को स्वरोजगार का अच्छा अवसर भी प्रदान कर रही है सिक्किम निकला एक पारंगत है इसकी मुनि कला का उपयोग नदी के किनारे एक घर की एक प्रजाति को बारीकी से बनाकर खूबसूरत रंग रोशन कर कलाकृतियां बनाकर बाजार में पेश की जाती है शिमला का मुख्य आधार है हर की एक प्रजाति की प्रजाति जिससे कि कहते हैं इसे काट कर खा कर फिर से कलाकारों द्वारा जीवन शक्ल दिया जाता है हालांकि स्वरूप की तरह संगठित नहीं है लेकिन कई संस्थाओं द्वारा को जीवंत रखने के लिए आर्थिक मदद मुहैया करा रही है जिससे सी कला को धीरे-धीरे ही सही देश के अलावे विदेशों में भी इसे पहचान मिल रही है लेकिन इससे महिलाओं को आर्थिक आमदनी के जरिए कलाकारों को इस बात का दुख है इस कला को जीवंत और पहचान बनाए रखने में आज तक सरकारी स्तर पर सरकार कोई मदद नहीं कर रही है सुबह की सरकार महिलाओं को पंचायती राज व्यवस्था में आरक्षण तो दिया है लेकिन महिलाओं को वास्तविक लाभ तभी मिल सकेगा जब महिलाएं आर्थिक रूप से सशक्त होगी से कई प्रकार की वस्तुओं का निर्माण किया जाता है जैसे चकली मंजूषा भगवान की मूर्तियां बर्तन जानवरों की मूर्तियां का निर्माण किया जाता है नेशनल कलाकार ने बताई सरकार के द्वारा कोई खास सुधार नहीं हम लोगों को मिल रही है मेहनत काफी करनी पड़ रही है लेकिन मेहनत के अनुसार मुआवजा नहीं मिलता है कलाकारों में काफी उदासी देखने को मिली
1 बाइट मुन्नी देवी कलाकार
2 बाइट रूना देवी नेशनल अवार्डी
3 सुधीरा देवी,नेशनल अवार्डी कलाकार
बाइट महेश्वर ठाकुर ,समाजसेवी
राज कुमार झा,मधुबनी


Conclusion:अब देखना दिलचस्प होगा कि सरकार कब सीखी मोनी कला को की ओर ध्यान देती है और इसे जुड़े कलाकारों को उचित मुआवजा मिल पाती है साथ ही कलाकारों को बाजार में सरकारी सुविधाएं उपलब्ध हो पाती है
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