मधुबनी: पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ शकील अहमद (Shakeel Ahmed) शुक्रवार को मधुबनी (Madhubani News) पहुंचे. इस दौरान उन्होंने पेगासस मामले (Pegasus scandal) को लेकर केंद्र सरकार (Central Government) पर कई गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि संसद का मॉनसून सत्र समाप्त हो गया लेकिन इस मुद्दे पर सही जानकारी देने से सरकार कतराती रही.
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''यह सरकार का मामला नहीं है, यह उनके सहयोगी की जानकारी का मामला नहीं है. अभी तो 161 नाम देश के सामने आ गए हैं. दुनिया भर में 50 हजार लोगों की जासूसी की गई है. इस मुद्दे पर आंदोलन करना चाहिए कि आखिर किस-किस देश को हमारा क्या क्या राज चला गया. पूरे सेशन में कोई सार्थक चर्चा नहीं होने दी नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) और अमित शाह ने सिर्फ पेगासस पर चर्चा रोकने के लिए. हम एक ही सवाल कर रहे हैं कि सरकार हां कहे या न कहे क्योंकि दूसरा कोई इसकी खरीद बिक्री कर ही नहीं सकता है.'' - डॉ शकील अहमद, पूर्व केंद्रीय मंत्री
इस दौरान शकील अहमद ने कहा कि इस जासूसी कांड में कई मंत्री, जज, पत्रकार और विपक्ष के सांसद के 100 से अधिक सदस्यों का नाम आ रहा है. इसलिए सुप्रीम कोर्ट के जज या कोर्ट के देखरेख में जांच होनी चाहिए.
गौरतलब है कि 19 जुलाई से शुरू हुए संसद के मानसून सत्र शुरु होने से ठीक एक दिन पहले इसका खुलासा हुआ था. तभी से पेगासस जासूसी का प्रकरण का मुद्दा सुर्खियों में है. संसद की कार्यवाही के पहले ही दिन सूचना प्रौद्योगिकी और संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने पेगासस सॉफ्टवेयर के जरिए भारतीयों की जासूसी करने संबंधी खबरों को सिरे से खारिज करते हुए कहा था कि संसद के मॉनसून सत्र से ठीक पहले लगाये गए ये आरोप भारतीय लोकतंत्र की छवि को धूमिल करने का प्रयास हैं. लोकसभा में स्वत: संज्ञान के आधार पर दिए गए अपने बयान में वैष्णव ने कहा कि जब देश में नियंत्रण एवं निगरानी की व्यवस्था पहले से है तब अनधिकृत व्यक्ति द्वारा अवैध तरीके से निगरानी संभव नहीं है.
क्या है पेगासस स्पाईवेयर?: पेगासस एक पावरफुल स्पाईवेयर (Pegasus Spyware) सॉफ्टवेयर है, जो मोबाइल और कंप्यूटर से गोपनीय एवं व्यक्तिगत जानकारियां चुरा लेता है और उसे हैकर्स तक पहुंचाता है. इसे स्पाईवेयर कहा जाता है यानी यह सॉफ्टवेयर आपके फोन के जरिये आपकी जासूसी करता है. इजरायली कंपनी एनएसओ ग्रुप का दावा है कि वह इसे दुनिया भर की सरकारों को ही मुहैया कराती है. इससे आईओएस या एंड्रॉइड ऑपरेटिंग सिस्टम चलाने वाले फोन को हैक किया जा सकता है. फिर यह फोन का डेटा, ई-मेल, कैमरा, कॉल रिकॉर्ड और फोटो समेत हर एक्टिविटी को ट्रेस करता है.
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