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ये हैं राजो देवी, जानिए भीख मांगने से लेकर डीलर बनने तक का सफर

राजो देवी के पड़ोसी ने बताया कि हमारे दादा-परदादा किसी ने इस तरह का काम नहीं किया है, जो काम राजो देवी ने डीलर बनकर किया है. हम लोग काफी खुश हैं.

राजो देवी
राजो देवी
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Published : Jun 5, 2020, 2:15 PM IST

Updated : Jun 6, 2020, 6:41 AM IST

मधुबनीः हौंसले बुलंद हो तो परिस्थितियां लड़ने का साहस देती हैं. साहस की ऐसा ही एक कहानी पिछड़े समाज की महिला राजो देवी की है. जिसने अपने अदम्य संघर्ष के बल पर भीख मांगने से डीलर बनने तक का सफर तय किया है.

हाथ में कटोरा, गले में सांप, बंजारन की पोशाक पहनकर गली-गली भीख मांगने वाली कंजर महिला राजो देवी ने आज अपने हौसले के बल पर जिले की कंजर समुदाय की पहली महिला डीलर बनने का गौरव प्राप्त किया है.

राजो देवी का गांव
राजो देवी का गांव

पेशा छोड़ना चाहती थी राजो देवी
बचपन से ही हाथों में सांप और कटोरा लिए भीख मांगना राजो देवी का रोजाना का काम था. उस समय भी इन्हें हाथ फैलाना अच्छा नहीं लगता था. लेकिन कुछ समय बाद शादी हुई तो पति को भी मजदूरी करने के लिए कहा करती थी. लेकिन इस समुदाय का मुख्य पेशा घूम-घूम कर भीख मांगना, सांप-बिच्छू वगैरह का शिकार कर भोजन करना ही मुख्य काम है. जिससे राजो देवी अलग होना चाहती थी. लेकिन कंजर समुदाय अलग होने की इजाजत नहीं दे रहा था.

बच्चों के साथ राजो देवी
बच्चों के साथ राजो देवी

मुख्यधारा से जुड़कर किया सपना पूरा
2004 के बाद से ही राजो ने भीख मांगना छोड़ दिया. मुख्यधारा में शामिल होने का संघर्ष शुरू कर दिया. पहले साइकिल सीखी, फिर एक एनजीओ में कुछ दिन काम किया. हॉकर बनकर दैनिक पेपर का वितरण करने लगी. गुजर-बसर करने के लिए कहीं काम नहीं मिला तो सिनेमा हॉल में गेट कीपर की नौकरी की, सब्जी बेची, किसी तरह अपना गुजारा किया. घुमंतु समुदाय के लोगों ने इसे अपने समाज से बहिष्कृत कर दिया, पति ने भी साथ छोड़ दिया.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

ये भी पढ़ेंः 'सिंहासन खाली करो कि जनता आती है...' संपूर्ण क्रांति के पूरे हुए 46 साल

राजो ने पढ़ाई लिखाई भी की
इसी दौरान वह झंझारपुर के सूखेत पहुंची और अपनी हिम्मत के बल पर पढ़ाई लिखाई भी की. समाज से अलग रहने पर कंजर समाज ने इनसे जुर्माना के रूप में 7000 रुपया भी वसूला, फिर भी वह हार नहीं मानी और आखिरकार अपने समुदाय के लिए एक नई मिसाल कायम की. अब वो जन वितरण प्रणाली विक्रेता बन गई है. राजो देवी के पड़ोसी ने बताया कि हमारे दादा-परदादा किसी ने इस तरह का काम नहीं किया है. जो काम राजो देवी ने 2020 में डीलर बनकर किया है. हम लोग काफी खुश हैं.

राजो की जन वितरण प्रणाली की दुकान
राजो की जन वितरण प्रणाली की दुकान

'प्रशासन करेगा इनकी यथासंभव मदद'
वहीं, वरीय उप समाहर्ता सह बीडीओ विकास कुमार ने बताया कि महिला सशक्तिकरण के रूप में यह एक साहसी हौसले की महिला हैं. जिसे जन वितरण प्रणाली का लाइसेंस मिला है इन्हीं के परिवार में आंगनबाड़ी सेविका भी है. जो इनकी बहन चलाती हैं. यह दोनों बहने अपने समुदाय के लिए एक मिसाल कायम कर रही हैं. प्रखंड प्रशासन की तरफ से इन्हें यथासंभव मदद की जाएगी.

राजो देवी
राजो देवी

मधुबनीः हौंसले बुलंद हो तो परिस्थितियां लड़ने का साहस देती हैं. साहस की ऐसा ही एक कहानी पिछड़े समाज की महिला राजो देवी की है. जिसने अपने अदम्य संघर्ष के बल पर भीख मांगने से डीलर बनने तक का सफर तय किया है.

हाथ में कटोरा, गले में सांप, बंजारन की पोशाक पहनकर गली-गली भीख मांगने वाली कंजर महिला राजो देवी ने आज अपने हौसले के बल पर जिले की कंजर समुदाय की पहली महिला डीलर बनने का गौरव प्राप्त किया है.

राजो देवी का गांव
राजो देवी का गांव

पेशा छोड़ना चाहती थी राजो देवी
बचपन से ही हाथों में सांप और कटोरा लिए भीख मांगना राजो देवी का रोजाना का काम था. उस समय भी इन्हें हाथ फैलाना अच्छा नहीं लगता था. लेकिन कुछ समय बाद शादी हुई तो पति को भी मजदूरी करने के लिए कहा करती थी. लेकिन इस समुदाय का मुख्य पेशा घूम-घूम कर भीख मांगना, सांप-बिच्छू वगैरह का शिकार कर भोजन करना ही मुख्य काम है. जिससे राजो देवी अलग होना चाहती थी. लेकिन कंजर समुदाय अलग होने की इजाजत नहीं दे रहा था.

बच्चों के साथ राजो देवी
बच्चों के साथ राजो देवी

मुख्यधारा से जुड़कर किया सपना पूरा
2004 के बाद से ही राजो ने भीख मांगना छोड़ दिया. मुख्यधारा में शामिल होने का संघर्ष शुरू कर दिया. पहले साइकिल सीखी, फिर एक एनजीओ में कुछ दिन काम किया. हॉकर बनकर दैनिक पेपर का वितरण करने लगी. गुजर-बसर करने के लिए कहीं काम नहीं मिला तो सिनेमा हॉल में गेट कीपर की नौकरी की, सब्जी बेची, किसी तरह अपना गुजारा किया. घुमंतु समुदाय के लोगों ने इसे अपने समाज से बहिष्कृत कर दिया, पति ने भी साथ छोड़ दिया.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

ये भी पढ़ेंः 'सिंहासन खाली करो कि जनता आती है...' संपूर्ण क्रांति के पूरे हुए 46 साल

राजो ने पढ़ाई लिखाई भी की
इसी दौरान वह झंझारपुर के सूखेत पहुंची और अपनी हिम्मत के बल पर पढ़ाई लिखाई भी की. समाज से अलग रहने पर कंजर समाज ने इनसे जुर्माना के रूप में 7000 रुपया भी वसूला, फिर भी वह हार नहीं मानी और आखिरकार अपने समुदाय के लिए एक नई मिसाल कायम की. अब वो जन वितरण प्रणाली विक्रेता बन गई है. राजो देवी के पड़ोसी ने बताया कि हमारे दादा-परदादा किसी ने इस तरह का काम नहीं किया है. जो काम राजो देवी ने 2020 में डीलर बनकर किया है. हम लोग काफी खुश हैं.

राजो की जन वितरण प्रणाली की दुकान
राजो की जन वितरण प्रणाली की दुकान

'प्रशासन करेगा इनकी यथासंभव मदद'
वहीं, वरीय उप समाहर्ता सह बीडीओ विकास कुमार ने बताया कि महिला सशक्तिकरण के रूप में यह एक साहसी हौसले की महिला हैं. जिसे जन वितरण प्रणाली का लाइसेंस मिला है इन्हीं के परिवार में आंगनबाड़ी सेविका भी है. जो इनकी बहन चलाती हैं. यह दोनों बहने अपने समुदाय के लिए एक मिसाल कायम कर रही हैं. प्रखंड प्रशासन की तरफ से इन्हें यथासंभव मदद की जाएगी.

राजो देवी
राजो देवी
Last Updated : Jun 6, 2020, 6:41 AM IST
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