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बिहार महासमर 2020 : मिथिलांचल वोट बैंक साधने के लिए Mask बनेगा हथियार

कोरोना के चलते बिहार विधानसभा चुनाव 2020 पहले जैसा नहीं होने वाला है. प्रचार से लेकर मतदान तक में महामारी को लेकर एहतियात बरते जाएंगे. ऐसे में पार्टियां वोटरों को लुभाने के लिए वर्चुअल के साथ-साथ और भी तरीके अपना रहीं हैं. पढ़ें खास रिपोर्ट...

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Published : Aug 29, 2020, 11:15 PM IST

बिहार की खबर
बिहार की खबर

मधुबनी: बिहार की मिथिला (मधुबनी) पेंटिंग देश ही नहीं, विदेश में भी प्रसिद्ध है. कोरोना महामारी के दौर में इस पेंटिंग ने अपनी एक अलग पहचान बनाई है. मास्क पर उकेरी गई मधुबनी पेंटिंग की चर्चा चारों ओर है. ऐसे में बिहार के चुनावी साल में इस पेंटिंग के जरिए मतदाताओं को लुभाने का प्रयास भी शुरू हो गया है.

बिहार में विधानसभा चुनाव इसी साल होने हैं. ऐसे में चुनाव आयोग ने नई गाइडलाइन भी जारी कर दी है. प्रचार-प्रसार के लिए जहां पार्टियां वर्चुअल मीटिंग कर रणनीति बना रही हैं. वहीं, महामारी से बचने और प्रचार के लिए मास्क का प्रयोग किया जा रहा है. ऐसे में मिथिला पेंटिंग से सजे-धजे मास्क पार्टियों के सिम्बल के साथ प्रचार करने में उतरने वाले हैं, इसको लेकर पार्टियों ने मधुबनी पेंटिंग के माहिर लोगों को ऑर्डर दे दिया है.

देखें ये खास रिपोर्ट

अब बंटेगा मिथिला पेंटिंग वाला मास्क
यूं तो मार्केट में मिथिला पेंटिंग वाले मास्क की डिमांड तेजी के साथ बढ़ी. पीएम मोदी से लेकर कई बड़ी हस्तियों जैसे आनंद महिंद्रा और बॉलीवुड अभिनेत्री रवीना टंडन ने इन मास्क की जमकर तारीफ की. अब ये यहीं तक सीमित नहीं रहा, बिहार के राजनेता मधुबनी पेंटिंग वाले मास्क के साथ दिखाई देने लगे. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव हो या लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान. कई नेताओं के चेहरे पर जो मास्क दिखाई दे रहा है, वो मधुबनी पेंटिंग से सजा धजा है.

पार्टियों ने दिये हैं ऑर्डर
पार्टियों ने दिये हैं ऑर्डर

वैसे कोरोना आगमन के साथ ही बिहार के कई राजनीतिक दलों ने लोगों के बीच मास्क और सैनिटाइजर वितरण करना शुरू कर दिया था. कई पार्टियों ने मास्क पर पार्टी सिम्बल भी चस्पा करवाया. लेकिन खाटी माटी की महक तो मिथिला पेंटिंग से आने वाली है, सो अब पार्टियां मिथिला पेटिंग वाले मास्क वितरित करने के लिए कदम बढ़ा चुकी हैं. मानें, इसकी तैयारी पूरी हो चुकी है.

मास्क बनाते कलाकार
मास्क बनाते कलाकार

'मिलने लगे हैं ऑर्डर'
मधुबनी जिले के जितवारपुर गांव में कलाकार दम्पत्ति रेमन्त मिश्रा ने मधुबनी पेंटिंग के जरिए लोगों को कोरोना से लड़ने का संदेश दिया. इसके बाद चर्चा में आए रेमन्त एंड फैमिली को पॉलिटिकल पार्टियां अपने सिंबल के साथ मास्क बनाने का ऑर्डर दे रहीं हैं. रेमंत मिश्रा बताते हैं, 'कई राजनीतिक दलों ने अपने सिम्बल को मधुबनी पेंटिंग से बनाने के लिए संपर्क किया है. इसके लिए हमने उन्हें बतौर सैम्पल कई मास्क तैयार किये हैं.'

मिथिला पेंटिंग से सजे मास्क
मिथिला पेंटिंग से सजे मास्क

ऊषा ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि वो और उनके पति मिलकर मास्क तैयार करते हैं. इसमें टाइम लगता है. लेकिन पहले हम खुद से मास्क बना रहे थे अब इसके लिए ऑर्डर मिलने लगा है. ये खुशी की बात है. इसके साथ ही वो अपना लोकगीत भी सुनाती हैं.

मिथिलांचल वोट बैंक
मिथिलांचल वोट बैंक

चुनौती भरा काम- रेमंत
रेमंत आगे कहते हैं कि राजनीतिक दलों का चिन्ह देकर मधुबनी पेंटिंग बनाना बड़ी चुनौती वाला काम है. इसमें काफी समय और मेहनत करनी पड़ती हैं. इस बार विधानसभा चुनाव में मधुबनी पेंटिंग से सजे धजे मास्क खूब देखने को मिलेंगे. फिलहाल, हमारे जैसे जिले के कई कलाकार बेहद खुश हैं कि इस आफत की घड़ी में उन्हें उनकी महारथ की वजह से रोजगार मिल रहा है.

होगी अच्छी कमाई
वैसे मिथिला पेंटिंग बने मास्क की थोक कीमत 15 से 30 रुपये तक है. जो बाजार में 40 से 70 रुपये तक बिक रहे हैं. फिलहाल, पार्टियों और कलाकारों के बीच इसका रेट अभी तय नहीं हुआ है. फोन और व्यक्तिगत संपर्क कर पार्टी के कार्यकर्ता कलाकारों से मिल रहे हैं. वहीं, कलाकार खुद पीएम मोदी के आह्वान का जिक्र करते हुए लोकल से वोकल की बात भी कर रहे हैं.

मिथिला का दायरा
मिथिला का दायरा

मिथिलांचल वोट बैंक पर निशाना
वैसे बिहार में जातिगत राजनीति ज्यादा होती है और इसी को लेकर वोट बैंक साधने की तैयारी जोरों पर चलती है. वहीं, क्षेत्रवाद की बात करें, तो चुनाव के समय पार्टियां इसे लेकर भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहतीं. लिहाजा, मधुबनी पेंटिंग से प्रचार प्रसार को हथियार बनाना कहीं ना कहीं मिथिलांचल वोट बैंक साधने की कवायद जैसा लगता है. और ऐसा हो भी क्यों ना.

बिहार में मिथिलांचल की बात करें, तो सूबे में 24 जिले ऐसे हैं, जहां मैथिली बोली जाती है. तो इसमें मधुबनी, बांका, पश्चिमी चंपारण, शिवहर, शेखपुरा, सीतामढ़ी, समस्तीपुर, दरभंगा, सुपौल, सहरसा, अररिया, मधेपुरा, खगड़िया, बेगूसराय, कटिहार और पूर्णिया जिले आते हैं. मिथिलांचल में तकरीबन 144 विधानसभा सीटें आती हैं. इन जिलों की विधानसभा सीटों पर हुई जीत, माने सत्ता सिंहासन और सरकार पक्की.

मधुबनी: बिहार की मिथिला (मधुबनी) पेंटिंग देश ही नहीं, विदेश में भी प्रसिद्ध है. कोरोना महामारी के दौर में इस पेंटिंग ने अपनी एक अलग पहचान बनाई है. मास्क पर उकेरी गई मधुबनी पेंटिंग की चर्चा चारों ओर है. ऐसे में बिहार के चुनावी साल में इस पेंटिंग के जरिए मतदाताओं को लुभाने का प्रयास भी शुरू हो गया है.

बिहार में विधानसभा चुनाव इसी साल होने हैं. ऐसे में चुनाव आयोग ने नई गाइडलाइन भी जारी कर दी है. प्रचार-प्रसार के लिए जहां पार्टियां वर्चुअल मीटिंग कर रणनीति बना रही हैं. वहीं, महामारी से बचने और प्रचार के लिए मास्क का प्रयोग किया जा रहा है. ऐसे में मिथिला पेंटिंग से सजे-धजे मास्क पार्टियों के सिम्बल के साथ प्रचार करने में उतरने वाले हैं, इसको लेकर पार्टियों ने मधुबनी पेंटिंग के माहिर लोगों को ऑर्डर दे दिया है.

देखें ये खास रिपोर्ट

अब बंटेगा मिथिला पेंटिंग वाला मास्क
यूं तो मार्केट में मिथिला पेंटिंग वाले मास्क की डिमांड तेजी के साथ बढ़ी. पीएम मोदी से लेकर कई बड़ी हस्तियों जैसे आनंद महिंद्रा और बॉलीवुड अभिनेत्री रवीना टंडन ने इन मास्क की जमकर तारीफ की. अब ये यहीं तक सीमित नहीं रहा, बिहार के राजनेता मधुबनी पेंटिंग वाले मास्क के साथ दिखाई देने लगे. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव हो या लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान. कई नेताओं के चेहरे पर जो मास्क दिखाई दे रहा है, वो मधुबनी पेंटिंग से सजा धजा है.

पार्टियों ने दिये हैं ऑर्डर
पार्टियों ने दिये हैं ऑर्डर

वैसे कोरोना आगमन के साथ ही बिहार के कई राजनीतिक दलों ने लोगों के बीच मास्क और सैनिटाइजर वितरण करना शुरू कर दिया था. कई पार्टियों ने मास्क पर पार्टी सिम्बल भी चस्पा करवाया. लेकिन खाटी माटी की महक तो मिथिला पेंटिंग से आने वाली है, सो अब पार्टियां मिथिला पेटिंग वाले मास्क वितरित करने के लिए कदम बढ़ा चुकी हैं. मानें, इसकी तैयारी पूरी हो चुकी है.

मास्क बनाते कलाकार
मास्क बनाते कलाकार

'मिलने लगे हैं ऑर्डर'
मधुबनी जिले के जितवारपुर गांव में कलाकार दम्पत्ति रेमन्त मिश्रा ने मधुबनी पेंटिंग के जरिए लोगों को कोरोना से लड़ने का संदेश दिया. इसके बाद चर्चा में आए रेमन्त एंड फैमिली को पॉलिटिकल पार्टियां अपने सिंबल के साथ मास्क बनाने का ऑर्डर दे रहीं हैं. रेमंत मिश्रा बताते हैं, 'कई राजनीतिक दलों ने अपने सिम्बल को मधुबनी पेंटिंग से बनाने के लिए संपर्क किया है. इसके लिए हमने उन्हें बतौर सैम्पल कई मास्क तैयार किये हैं.'

मिथिला पेंटिंग से सजे मास्क
मिथिला पेंटिंग से सजे मास्क

ऊषा ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि वो और उनके पति मिलकर मास्क तैयार करते हैं. इसमें टाइम लगता है. लेकिन पहले हम खुद से मास्क बना रहे थे अब इसके लिए ऑर्डर मिलने लगा है. ये खुशी की बात है. इसके साथ ही वो अपना लोकगीत भी सुनाती हैं.

मिथिलांचल वोट बैंक
मिथिलांचल वोट बैंक

चुनौती भरा काम- रेमंत
रेमंत आगे कहते हैं कि राजनीतिक दलों का चिन्ह देकर मधुबनी पेंटिंग बनाना बड़ी चुनौती वाला काम है. इसमें काफी समय और मेहनत करनी पड़ती हैं. इस बार विधानसभा चुनाव में मधुबनी पेंटिंग से सजे धजे मास्क खूब देखने को मिलेंगे. फिलहाल, हमारे जैसे जिले के कई कलाकार बेहद खुश हैं कि इस आफत की घड़ी में उन्हें उनकी महारथ की वजह से रोजगार मिल रहा है.

होगी अच्छी कमाई
वैसे मिथिला पेंटिंग बने मास्क की थोक कीमत 15 से 30 रुपये तक है. जो बाजार में 40 से 70 रुपये तक बिक रहे हैं. फिलहाल, पार्टियों और कलाकारों के बीच इसका रेट अभी तय नहीं हुआ है. फोन और व्यक्तिगत संपर्क कर पार्टी के कार्यकर्ता कलाकारों से मिल रहे हैं. वहीं, कलाकार खुद पीएम मोदी के आह्वान का जिक्र करते हुए लोकल से वोकल की बात भी कर रहे हैं.

मिथिला का दायरा
मिथिला का दायरा

मिथिलांचल वोट बैंक पर निशाना
वैसे बिहार में जातिगत राजनीति ज्यादा होती है और इसी को लेकर वोट बैंक साधने की तैयारी जोरों पर चलती है. वहीं, क्षेत्रवाद की बात करें, तो चुनाव के समय पार्टियां इसे लेकर भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहतीं. लिहाजा, मधुबनी पेंटिंग से प्रचार प्रसार को हथियार बनाना कहीं ना कहीं मिथिलांचल वोट बैंक साधने की कवायद जैसा लगता है. और ऐसा हो भी क्यों ना.

बिहार में मिथिलांचल की बात करें, तो सूबे में 24 जिले ऐसे हैं, जहां मैथिली बोली जाती है. तो इसमें मधुबनी, बांका, पश्चिमी चंपारण, शिवहर, शेखपुरा, सीतामढ़ी, समस्तीपुर, दरभंगा, सुपौल, सहरसा, अररिया, मधेपुरा, खगड़िया, बेगूसराय, कटिहार और पूर्णिया जिले आते हैं. मिथिलांचल में तकरीबन 144 विधानसभा सीटें आती हैं. इन जिलों की विधानसभा सीटों पर हुई जीत, माने सत्ता सिंहासन और सरकार पक्की.

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