मधुबनी: कमला बलान नदी. जिले के लोगों के लिए कहर का दूसरा नाम. इस साल बाढ़ ने ऐसी तबाही मचाई कि लोग घर से बेघर हो गए. आस थी, सरकार से सहायता मिलेगी. लेकिन बाढ़ में सब कुछ गंवा चुके रखवारी गांव के लोगों की सुध लेने वाला कोई नहीं है.
भीषण बाढ़ में कमला बलान नदी का रौद्र रूप हर किसी ने देखा. जिले में 3 जगहों पर तटबंध टूटा. जिसकी चपेट में आस-पास के लोग आ गए. बांध टूटने के बाद जिले के रखवारी गांव के हजारों लोग इस दंश को झेल रहे हैं. इन लोगों के उपर जैसे मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है.
दाने-दाने को मोहताज बाढ़ पीड़ित
कहने को अपना घर छोड़ कर ऊंचे स्थान पर रह रहे हैं. लेकिन दाने-दाने को मोहताज हैं. इस इलाके के लोगों को अभी भी राहत सामग्री उपलब्ध नहीं हो पाई है. कुछ लोग गांव के अंदर ही फंसे हैं. इन्हें ना कोई देखने वाला है और ना ही राहत सामग्री पहुंचाने वाला. जान बचाकर बांध पर पहुंचे लोगों की हालत तो कुछ ठीक है. लेकिन, बस्ती के अंदर लोगों का हाल जानने अबतक कोई नहीं पहुंच पाया है.
चारों तरफ भयावह मंजर
गांव के अंदर चारों तरफ पानी ही पानी. मंजर ऐसा की दिल दहल जाए. भूखे-प्यासे लोग बांध पर सरकार से आस लगाए बैठे हैं. राहत सामग्री मिलेगी. भूख-प्यास मिटेगी. बाढ़ की विभीषिका झेल रहे एक ग्रामीण ने अपना दर्द शेयर करते हुए कहा, यहां अन्न और पानी के बगैर पूरा परिवार मर रहा है. जब बारिश होती है तो आफत आ जाती है. बारिश में सिर छुपाने के लिए प्लासटिक भी नहीं है. बांध पर रह रहे इन लोगों की शिकायत है कि सरकार के नुमाइंदे इधर देखने भी नहीं आए. आखिर हमलोग जायें तो कहां जाएं.
दर्जनों गांव हुए जल मग्न
गौरतलब है कि रखवारी बांध के टूटने से कई गांव जलमग्न हो गए हैं. अंधराठाढ़ी प्रखंड के बटोआ, हररी, डुमरा, जलसेन,भड़ुआर, कर्णपुर, चंदेश्वर समेत दर्जनों गांवों में बाढ़ का पानी घुस गया है. जहां के लोग हर तरह की कमी से जूझ रहे हैं. लोगों को दवा, पानी, भोजन कुछ भी नसीब नहीं हो रहा है.