मधुबनीः 'पग-पग पोखर माछ मखान इ थिक मिथिला की पहचान'. जी हां, मिथिला की पहचान माछ, मखान और पोखर है. यही वजह है कि बिहार सरकार ने मखाना किसानों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से यहां करोड़ों रुपये खर्च करके मखाना प्रोसेसिंग यूनिट लगाई थी. लेकिन जमीनी हकीकत ये है कि इससे मखाना किसानों को कोई लाभ नहीं मिला. मखाना प्रोसेसिंग के नाम पर अधिकारी सरकारी रुपये की बंदरबांट कर रहे हैं.
60 लाख की लागत से लगाया गया था प्लांट
जिले के झंझारपुर अनुमंडल के कन्हौली स्थित मखाना प्रोसेसिंग यूनिट सालों से बंद पड़ी है. साल 2008 में इसे करीब 60 लाख की लागत से तैयार किया गया था. बिहार सरकार के तत्कालीन मंत्री नीतीश मिश्रा, गिरिराज सिंह ,तत्कालीन विधान पार्षद संजयकुमार झा, वीरेंद्र चौधरी और कई गणमान्य जनप्रतिनिधियों ने इसका उद्घाटन किया था. यह प्लांट उद्घाटन अवधि को छोड़कर कभी भी मखाना का उत्पादन न कर सका. अब मशीन को जंग खा रहा है.
'सिर्फ 15 अगस्त और 26 जनवरी को खुलता है'
यहां के लोगों का कहना है कि यह प्लांट साल में 2 दिन ही खुलता है. 15 अगस्त और 26 जनवरी के दिन. इस मशीन से बिजली उत्पादन किये जाने की बात थी. जिससे आस-पास के गांव को बिजली आपूर्ति की जाने की योजना थी. लेकिन सारा सपना सपना ही रह गया. अब यह प्लांट जंगल का रूप ले चुका है. गार्ड मोहम्मद सईद ने बताया कि यह मशीन खुलने के बाद एक-दो दिन ही चला. उसके बाद बंद पड़ा हुआ है. मशीन को जंग खा रहा है. साथ ही हम लोगों को वेतन भी नहीं दिया जा रहा है.
ये भी पढ़ेंः जिंदा होने का सबूत लेकर भटक रहा है ये बुजुर्ग, 10 साल पहले मृत बताकर कफन की भी ले ली गई है राशि
तकनीकी खराबी के कारण बंद है मशीन
वहीं, ग्रामीण सिंहेश्वर झा ने बताया कि स्थापना के बाद नीतीश मिश्रा जब तक रहे प्लांट चला, उसके बाद बंद पड़ा हुआ है. वहीं प्रखंड सहकारिता पदाधिकारी ने बताया 2008 में इस प्लांट की स्थापना की गई थी.कुछ तकनीकी खराबी के कारण मशीन का पार्ट नहीं मिल पा रहा है. जिस वजह से बंद है. लेकिन अब मुख्यमंत्री मखाना को एक व्यंजन के रूप में हर थाली में देना चाहते हैं, इसको लेकर इस प्लांट को शुरू करने की बात कही गई है.
मोदी सरकार के जरिए मखाना के किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए मखाना को ब्रांड बनाने की घोषणा हुई है. अब देखना ये है कि इसके बाद इस यूनिट की कायाकल्प होती है या नहीं.