मधुबनीः जनसंख्या नियंत्रण को लेकर स्वास्थ्य विभाग काफी सक्रिय है. विभाग के कर्मचारी क्वॉरेंटाइन में रह चुके प्रवासियों को घर-घर जाकर परिवार नियोजन की जानकारी दे रहे हैं. जनसंख्या नियंत्रण को लेकर स्वास्थ्य विभाग की आशा टीम महिलाओं को अस्थाई गर्भनिरोधक साधन उपलब्ध करा रही है.
कोरोना संकट काल में बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर देश के विभिन्न भागों से अपने घरों को लौटे हैं. स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन उन्हें 14 दिनों के क्वारेंटाइन सेंटर में रख रहा है. इसके बाद उन्हें घर भेज दिया जा रहा है. इसी दौरान प्रवासी कामगारों और उनके परिवार की जरूरत को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग आशा और सेविका के जरिए जनसंख्या नियंत्रण का अस्थाई साधन अपनाने की जानकारी दे रहा है.
सभी प्रखंड में चलाया जा रहा अभियान
स्वास्थ्य विभाग की सहयोगी संस्था केयर इंडिया की देखरेख में इस कार्यक्रम को जिला के सभी 21 प्रखंडों में चलाया जा रहा है. इनमें अंधराठाढ़ी, बाबूबरही, बासोपट्टी बेनीपट्टी, बिस्फी, घोघरडीहा, हरलाखी, जयनगर, झंझारपुर, कलुआही, खजौली, लदनियां, लखनौर, लौकहा, खुटौना, लौकही, मधेपुर, मधवापुर, पंडोल, फुलपरास, रहिका, राजनगर प्रखंड शामिल हैं. केयर इंडिया के डीटीएल महेंद्र सिंह सोलंकी ने बताया कि जिले में बड़ी संख्या में प्रवासी कामगारों का लौटना जारी है. यह वह समय है जब प्रवासी कामगार अपने परिवार के साथ अधिक समय बिता रहे होंगे. आशा और आंगनबाड़ी सेविकाएं चिन्हित प्रवासी कामगारों के घरों पर जाकर दंपति को परिवार नियोजन की आर्थिक और सामाजिक प्रभाव पर चर्चा कर रही हैं. साथ ही उन्हें अस्थायी परिवार नियोजन के साधनों के इस्तेमाल के लिए प्रोत्साहित भी किया जा रहा है.
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उपलब्ध कराए जा रहे अस्थाई साधन
प्रवासी कामगारों को उनकी पत्नी की मौजूदगी में इन बातों की जानकारी देने के साथ उन्हें कंडोम, माला एन, छाया, ईजी पिल्स, जैसे अस्थायी साधन मुहैया कराये जा रहे हैं. इस दौरान ऐसी दंपति को लक्षित किया गया है जिनके संतान नहीं है या एक संतान हैं. उन दंपति को जिनकी संतान नहीं हैं उन्हें इस बात की जानकारी दी गयी है कि वे कितने अवधि के बाद संतान चाहते हैं. जब तक वे संतान नहीं चाहते हैं वे अस्थायी साधन का इस्तेमाल कर सकते हैं. वैसे दंपति जिन्हें एक बच्चा है उनके लिए दूसरी संतान के लिए तीन साल का अंतर रखना जरूरी है. इस दौरान वे अस्थायी परिवार नियोजन के साधन का इस्तेमाल करना बेहतर है.
परिवार नियोजन के साधनों को अपनाने की अपील
एसीएमओ डॉ सुनील कुमार ने कहा कि जिले में बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर आए हैं. आशा और सेविका के जरिए उनके घर जाकर परिवार नियोजन के अस्थाई साधन के बारे में जानकारी दी जा रही है. उन्होंने कहा किसी भी परिवार की समृद्धि उसके परिवार के आकार पर निर्भर करता है. ज्यादातर परिवार जिनमें पति-पत्नी के अलावा दो बच्चे होते हैं उन्हें सामाजिक, आर्थिक और शारीरिक फायदे होते हैं. सीमित परिवार के कारण बचत की संभावना रहती है, जो बच्चों को उच्च शिक्षा और पोषण में मददगार साबित होता है. इसलिए उन्होंने परिवार नियोजन साधनों को अपनाने की लोगों से अपील की है.