मधुबनी: जिले में मुकाबला दिलचस्प हो गया है. पांचवें फेज में 6 मई को मिथिलांचल के इस प्रमुख शहर में वोटिंग होगी. लेकिन, कई दिग्गजों के यहां से मैदान में उतरने से सबकी नजरें इस संसदीय सीट पर टिकी हुई है. यहां असली मुसीबत महागठबंधन के लिए मानी जा रही है.
इस पार्टी से ये हैं उम्मीदवार
कहा जा रहा है कि हुकुमदेव यादव ने मधुबनी सीट क्या छोड़ी, इस बार कई दिग्गजों ने मैदान में उतरने का फैसला कर लिया. बीजेपी ने मधुबनी से इसबार हुकुमदेव नारायण यादव के बेटे अशोक यादव को टिकट दिया है. जबकि महागठबंधन ने वीआईपी के प्रत्याशी बद्री कुमार पूर्वे को मैदान में उतारा है.
लेकिन, मामला यही नहीं थमता. अपनी- अपनी पार्टियों से नाराज मिथिलांचल के दो दिग्गज उम्मीदवार भी मधुबनी से इसबार ताल ठोक रहे हैं. पहले इन दोनों दिग्गजों ने अपनी-अपनी पार्टी से टिकट को लेकर काफी मिन्नतें की. लेकिन, जब इनकी नहीं सुनी गई तो कांग्रेस से शकील अहमद खान ने इस्तीफा दे दिया. वहीं फातमी ने राष्ट्रीय जनता दल से किनारा कर लिया.
कुल पांच प्रत्याशी हैं मैदान में
कभी महागठबंधन की तरफ रहे फातमी और शकील समेत अब 3 प्रत्याशी मैदान में हैं. ज्ञात हो कि फातमी और शकील अहमद के मैदान में उतरने से बद्री कुमार पूर्वे की मुश्किलें बढ़ गई हैं. वहीं अशोक यादव के लिए माना जा रहा है कि मुकाबला आसान हो गया है. हालांकि वोटिंग किस पैटर्न पर होगी, वोटों का बिखराव होगा या नहीं, यह देखना दिलचस्प होगा.
सभी दल कर रहे अपनी जीत का दावा
हालांकि राष्ट्रीय जनता दल के नेता मानते हैं कि राजद को या महागठबंधन को इससे कोई नुकसान नहीं होने वाला. पार्टी ने जिसे सिंबल दिया है वहीं मधुबनी से उम्मीदवार है. लोग उसे ही वोट करेंगे. इधर भारतीय जनता पार्टी और जदयू ने दावा किया कि मुकाबला होने से पहले ही महागठबंधन वहां चुनाव हार चुका है. अशोक यादव की भारी मतों से जीत निश्चित है.