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बिहार में देश का ऐसा एक मात्र स्टेशन जहां बिना सिग्नल के सरपट दौड़ती है ट्रेन - Chance of major accident

कई बार डीआरएम समस्तीपुर को लिखित देकर सिग्नल लगाने की मांग की गई लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई. स्थानीय लोगों ने सरकार और रेल मंत्री से गुहार लगाई है कि मिठाई रेलवे स्टेशन पर अविलंब सिग्नल लगाया जाए ताकि दुर्घटना की संभावना न रहे.

मिठाई रेलवे स्टेशन
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Published : Sep 9, 2019, 11:01 AM IST

मधेपुरा: मिठाई रेलवे स्टेशन देश का एक मात्र स्टेशन है जहां बगैर सिग्नल के ही ट्रेनों का परिचालन होता है. आश्चर्य की बात यह है कि स्टेशन पर एक टेलीफोन भी नहीं है. स्टेशन मास्टर को अपने निजी मोबाइल से गाड़ी आने और जाने की सूचना सहरसा और मधेपुरा स्टेशन से लेना पड़ता है.

जानकारी के मुताबिक आजादी के पूर्व स्थापित मिठाई रेलवे स्टेशन पर सिग्नल था. लेकिन 1934 में आये भूकंम्प में क्षति ग्रस्त हो गया. इसके बाद से यहां सिग्नल नहीं लगाया गया. पहले छोटी लाईन थी और ट्रेन की संख्या भी काफी कम थी. लम्बी दूरी की ट्रेनें इस रूट से नहीं गुजरती थी. इसलिए संयोग वश कोई बड़ी हादसा नहीं हुआ. लेकिन अब बड़ी लाईन बन गई है. इस रूट से कोलकाता, दिल्ली, लुधियाना और पटना सहित कई जगहों के लिये ट्रेनें चलती है.

जानकारी देते स्थानीय

बड़ी दुर्घटना होने की संभावना
सिग्नल नहीं रहने से हमेशा बड़ी दुर्घटना होने की संभावना बनी रहती है. ट्रेन आने-जाने की सूचना मोबाईल और टेलीफोन के जरिये सहरसा, समस्तीपुर और मधेपुरा स्टेशन से ली जाती है. सबसे बड़ी समस्या तब उतपन्न होती है जब ट्रेन आने जाने का समय हो जाता और फोन कनेक्ट नहीं होता है.

madhepura
मिठाई रेलवे स्टेशन पर बगैर सिग्नल के ही ट्रेनों का होता है परिचालन

सिग्नल लगाने की मांग
इसे लेकर कई बार डीआरएम समस्तीपुर को लिखित देकर सिग्नल लगाने की मांग की गई लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई. स्थानीय लोगों ने सरकार और रेल मंत्री से गुहार लगाई है कि मिठाई रेलवे स्टेशन पर अविलंब सिग्नल लगाया जाए ताकि दुर्घटना की संभावना न रहे.

मधेपुरा: मिठाई रेलवे स्टेशन देश का एक मात्र स्टेशन है जहां बगैर सिग्नल के ही ट्रेनों का परिचालन होता है. आश्चर्य की बात यह है कि स्टेशन पर एक टेलीफोन भी नहीं है. स्टेशन मास्टर को अपने निजी मोबाइल से गाड़ी आने और जाने की सूचना सहरसा और मधेपुरा स्टेशन से लेना पड़ता है.

जानकारी के मुताबिक आजादी के पूर्व स्थापित मिठाई रेलवे स्टेशन पर सिग्नल था. लेकिन 1934 में आये भूकंम्प में क्षति ग्रस्त हो गया. इसके बाद से यहां सिग्नल नहीं लगाया गया. पहले छोटी लाईन थी और ट्रेन की संख्या भी काफी कम थी. लम्बी दूरी की ट्रेनें इस रूट से नहीं गुजरती थी. इसलिए संयोग वश कोई बड़ी हादसा नहीं हुआ. लेकिन अब बड़ी लाईन बन गई है. इस रूट से कोलकाता, दिल्ली, लुधियाना और पटना सहित कई जगहों के लिये ट्रेनें चलती है.

जानकारी देते स्थानीय

बड़ी दुर्घटना होने की संभावना
सिग्नल नहीं रहने से हमेशा बड़ी दुर्घटना होने की संभावना बनी रहती है. ट्रेन आने-जाने की सूचना मोबाईल और टेलीफोन के जरिये सहरसा, समस्तीपुर और मधेपुरा स्टेशन से ली जाती है. सबसे बड़ी समस्या तब उतपन्न होती है जब ट्रेन आने जाने का समय हो जाता और फोन कनेक्ट नहीं होता है.

madhepura
मिठाई रेलवे स्टेशन पर बगैर सिग्नल के ही ट्रेनों का होता है परिचालन

सिग्नल लगाने की मांग
इसे लेकर कई बार डीआरएम समस्तीपुर को लिखित देकर सिग्नल लगाने की मांग की गई लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई. स्थानीय लोगों ने सरकार और रेल मंत्री से गुहार लगाई है कि मिठाई रेलवे स्टेशन पर अविलंब सिग्नल लगाया जाए ताकि दुर्घटना की संभावना न रहे.

Intro:मधेपुरा का मिठाई रेलवे स्टेशन देश का पहला स्टेशन है जहां सिग्नल है ही नहीं।बगैर सिग्नल का हैं दौड़ती है ट्रेन।


Body:बता दें कि मधेपुरा सहरसा के बीच में स्थित मिठाई रेलवे स्टेशन देश का पहला स्टेशन है जहां से बगैर सिग्नल का ही दौड़ती है पटना,दिल्ली,लुधियाना सहित अन्य राज्यों को जाने बाली ट्रेनें।मिली जानकारी के मुताबिक आजादी के पूर्व स्थापित मिठाई रेलवे स्टेशन पर सिग्नल था।लेकिन 1934 में आये भूकंम्प में क्षति ग्रस्त हो गया।इसके बाद से अब तक रेल मंत्रालय कान में तेल डालकर सोया हुआ है।गनीमत यह है कि पहले छोटी लाईन थी और ट्रेन की संख्या भी काफी कम थी तथा लंम्बी दूरी की ट्रेनें इस रूट से नहीं गुजरती थी ।इसलिए संयोग वश कोई बड़ी हादसा नहीं हुआ है।उल्लेखनीय बात तो यह है कि अब बड़ी लाईन बन गई है,इतना ही नहीं इस रूट से कोलकाता, दिल्ली,लुधियाना, पटना सहित कई राज्यों को जाने बाली ट्रेनें चलती है।ऐसी स्थिति में सिग्नल नहीं रहने से हरवक्त बड़ी दुर्घटना घटने की संभावना बनी रहती है।इतना हीं नहीं रेलवे के अधिकारियों ने नाम नहीं छापने के शर्त पर बताया कि जब तक ड्यूटी में रहता हूँ जान सांसत में रहता है कब कौन घटना घट जाय,चूंकि ट्रेन आने जाने की सूचना मोबाईल तथा टेलीफोन से सहरसा,समस्तीपुर व मधेपुरा स्टेशन से ली और दी जाती है।सबसे बड़ी समस्या तब उतपन्न हो जाता है जब ट्रेन आने जाने का समय हो जाता और मोबाईल नहीं लगता है।उन्होंने कहा कि कई बार डीआरएम समस्तीपुर को लिखित रूप से यहां पर सिग्नल लगाने की मांग की गई।लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं कि जा सकी है।अपनी लाचारी बताते हुए परेशान अधिकारियों ने कहा कि अगर मीडिया में नाम आ गया तो बगैर देर किए तुरंत कार्रवाई कर दी जाएगी।इसलिए हर परेशानी को झेलकर किसी तरह रात दिन काम करता हूँ।स्थानीय लोगों ने डीआरएम समस्तीपुर से अबिलम्ब मिठाई रेलवे स्टेशन पर सिग्नल लगाने की मांग की है।बाइट--1--सुनील कुमार---स्थानीय इंजीनियर।बाइट-2---डॉ0राजीव जोशी-स्थानीय।


Conclusion:मधेपुरा से रुद्रनारायण।
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