मधेपुरा: जिले के बीएन मंडल विश्वविद्यालय में अधिकारियों और कर्मचारियों की मनमानी के कारण छात्रों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. छात्रों की समस्याओं को कोई देखने और सुनने वाला नहीं है. जिसके चलते छोटे-मोटे कार्यों को लेकर छात्रों को दो-दो सालों तक विवि का चक्कर काटना पड़ता है. लेकिन फिर भी कार्य पूरा नहीं होता है. इसी कारण यहां के छात्र दूसरे विवि के तरफ रुख करने लगे हैं.
विवि बना लूट-खसोट का अड्डा
बता दें कि विश्वविद्यालय के सर्वाधिक अधिकारी और कर्मचारी सिर्फ कमाने के चक्कर में रहते हैं. उन्हें छात्रों की समस्या से कोई लेना-देना नहीं रहता है. छात्रों का आरोप है कि उन्हें हर काम के लिए यूनिवर्सिटी का कई बार चक्कर काटना पड़ता है. अगर गलती से किसी छात्र का कार्य हो भी जाता है तो उनसे हर टेबल पर अलग-अलग कर्मी नजराना लेते हैं. आलम ये है कि विवि अब लूट-खसोट का अड्डा बनता जा रहा है.
आंदोलन का भी नहीं पड़ा असर
सहरसा एमएलटी कॉलेज की छात्रा अनसुली कुमारी ने बताया कि वे पिछले तीन साल से विवि का चक्कर काट रही हैं. लेकिन आज तक उन्हें सिर्फ आश्वासन ही दिया जा रहा है. वहीं, छात्र नेता राहुल यादव का कहना है कि विवि में व्याप्त मनमानी,लूट खसोट और छात्रों की परेशानी के विरुद्ध पिछले पांच साल से उग्र आंदोलन किया गया ,लेकिन कॉलेज प्रशासन पर किसी बात का असर नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि विवि में उच्चाधिकारी से लेकर अधिकारी और कर्मचारी सभी लूट-खसोट में लीन हैं. उन्होंने कहा यहां जो भी कुलपति आते हैं, समय काटकर और धन कमाकर चले जाते हैं. उन्हें छात्र और विवि की समस्या से कोई मतलब नहीं रहता है.
छात्रों का भविष्य अंधकार में
स्थानीय अधिवक्ता डॉ.राजीव जोशी ने कहा कि इस विवि को बर्बाद होने से अब कोई नहीं बचा सकता है. क्योंकि यहां छात्र का भविष्य बनाया नहीं, बिगाड़ा जाता है. उन्होंने कहा कि वह दिन दूर नहीं जब गिने हुए छात्र इस विवि में पढ़ने आएगें. वहीं विवि के रजिस्टार डॉ. कपिलदेव प्रसाद ने छात्रों की बातों को नकारते हुए कहा कि विवि में कोई परेशानी नहीं है. जो छात्र परेशानी लेकर मेरे पास आते हैं, उनका समाधान तुरंत कर दिया जाता है.
विवि में कोई सुधार नहीं
बता दें कि सन् 1992 में दरभंगा के ललित नारायण मिथिला विवि से अलग कर मधेपुरा में बीएन मंडल विवि की स्थापना की गई थी. इसका मुख्य उद्देश्य था कि पिछड़े क्षेत्र के बच्चे आसानी से कम खर्च में उच्च शिक्षा हासिल कर सके. लेकिन यहां विवि खुलते ही सब कुछ विपरीत होने लगा छात्र हित में कार्य कम और लूट-खसोट चरम पर पहुंच गया. जिसके कारण अब तक कई पूर्व कुलपति से लेकर दर्जनों अधिकारी और कर्मचारी बेऊर जेल का हवा खा चुके हैं. लेकिन विवि में अभी तक कोई सुधार नहीं आया है.