मधेपुरा: जिले में कोरोना के 7 नए मामले मिलने से प्रशासनिक महकमे में हड़कंप मच गया है. महाराष्ट्र से आए 104 छात्रों में से 7 छात्र कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं. 25 छात्रों को स्क्रीनिंग के बाद क्वॉरेंटाइन सेंटर भेजा गया था. वहीं, 79 अन्य को होम क्वॉरेंटाइन कर दिया गया था. यही वजह है कि जिला प्रशासन की बड़ी लापरवाही अब जिले वासियों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है.
दरअसल महाराष्ट्र में पढ़ने वाले 104 छात्र बीते 6 मई को श्रमिक स्पेशल ट्रेन से सहरसा पहुंचे थे. इसके बाद मधेपुरा जिला प्रशासन द्वारा उन लोगों को बसों के माध्यम से जिले के बीएन मंडल स्टेडियम लाया गया. जहां सोशल डिस्टेंसिंग को ताक पर रखते हुए कई घंटों तक चली प्रक्रिया के दौरान इन छात्रों का पंजीकरण कराया गया. वहीं, 104 में से 25 छात्रों में संदिग्ध लक्षण पाए जाने के बाद उन्हें क्वॉरेंटाइन कर दिया गया. बाकी बचे छात्रों को उनके घर भेज दिया गया. इसके बाद क्वॉरेंटाइन किए गए सभी 25 छात्रों का 7 मई को कोविड-19 टेस्ट के लिए सैंपल डीएमसीएच भेजा गया. जहां से आई टेस्ट रिपोर्ट के अनुसार 7 छात्र कोरोना पॉजिटिव पाए गए. जिनमें पुरैनी प्रखंड के 5, घैलाढ़ प्रखंड के 1 और झिटकिया का एक छात्र शामिल हैं.
7 छात्र कोविड 19 पॉजिटिव
बता दें कि इसी बाहर से आए 7 छात्र सहरसा जिले में भी कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं. कोरोना से जुड़े कई मामले ऐसे भी पाए गए हैं. जिनमें शरीर के तापमान की जांच में पुष्टि नहीं हो पाती है. जबकि व्यक्ति कोरोना संक्रमित होता है. ऐसे में होम क्वॉरेंटाइन किए गए छात्रों में कोरोना संक्रमण के मामले मिलने की आशंका जताई जा रही है. जांच के दौरान लापरवाही बरतने के कारण जिले वासियों में अब कोरोना वायरस के फैलने को लेकर चिंताएं बढ़ने लगी है. मामला के सामने आने के बाद मधेपुरा जिला प्रशासन में हड़कंप मच गया है. वहीं, अन्य शेष छात्रों की जांच के लिए उनकी खोजबीन की जा रही है.
मधेपुरा प्रशासन पर उठा सवाल
बहरहाल होम क्वॉरेंटाइन किए गए छात्रों की वजह से उनके परिजनों और आसपास के लोगों में भी कोरोना वायरस का खतरा मंडरा रहा है. बड़ा सवाल है कि अगर इन छात्रों को 14 दिनों के लिए क्वॉरेंटाइन सेंटर भेज दिया गया होता तो आज खतरे से बचा जा सकता था. कोरोना संक्रमण और आम लोगों की व्यवस्था से जुड़ी सुविधाओं को लेकर मधेपुरा जिला प्रशासन लापरवाह नजर आ रहा है.