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बदहाल है ग्रामीण क्षेत्र की स्वास्थ्य सेवाएं, सिविल सर्जन ने दी डॉक्टरों की कमी की दुहाई

डॉ.शैलेंद्र कुमार ने ग्रामीण क्षेत्रों के बदहाल स्वास्थ्य सेवा को स्वीकार करते हुए कहा कि जिले में चिकित्सक और अन्य कर्मी की भारी कमी है. इसके लिए सरकार को कई बार पत्र लिखा गया है. लेकिन अब तक कोई पहल नहीं की गई है.

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Published : Jun 8, 2019, 12:01 PM IST

ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा केंद्र पूर्ण रूप से बदहाल

मधेपुराः जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा ठप है. स्वास्थ्य केंद्रों में पिछले 25 सालों से चिकित्सक और कर्मी नहीं हैं. इस कारण अस्पताल जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है और धीरे-धीरे जंगल में तब्दील हो रहा है. यहां के ग्रामीण इलाकों के लोग भूल चुके हैं कि उनके गांव में सरकारी स्वास्थ्य केंद्र भी है जहां कभी मुफ्त में इलाज होता था.

madhepura
ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा केंद्र पूर्ण रूप से बदहाल

सरकार ग्रामीण क्षेत्रों के स्वास्थ्य सेवा में परिवर्तन के भले ही लाख दावे कर ले. लेकिन हकीकत यह है कि ग्रामीण क्षेत्रों के सर्वाधिक स्वास्थ्य केंद्रों में लोगों को कोई सुविधा नहीं मिल पा रही है. वहीं, स्वास्थ्य केंद्र अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. स्थिति इतनी खराब है कि कभी भी ये स्वास्थ्य केंद्र धराशायी हो सकता है. आलम यह है कि गांव के स्वास्थ्य केंद्र अब जंगल में तब्दील हो चुके हैं. इस परिसर में मरीज के बदले सांप, बिच्छू और कमरे में गंदगी देखने को मिल रही है.

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ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा केंद्र पूर्ण रूप से बदहाल

क्या कहते हैं ग्रामीण

ग्रामीणों का कहना है कि पहले स्वास्थ्य केंद्रों पर मुफ्त में दवा मिलती थी, चिकित्सक और स्वाथ्य कर्मी प्रत्येक दिन आते थे. लेकिन पिछले 25 सालों से स्वास्थ्य केंद्रों पर एक भी चिकित्सक या कर्मी कोई नहीं रहता है. हैरत की बात यह है कि सरकारी स्तर पर ढिंढोरा पीटा जाता है कि स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में बिहार सरकार ने उल्लेखनीय कार्य किया है. लेकिन जमीन पर स्वास्थ्य सेवा भगवान भरोसे चल रहा है.

ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा केंद्र पूर्ण रूप से बदहाल

सरकार को कई बार लिखा गया पत्र

मधेपुरा के सिविल सर्जन डॉ.शैलेंद्र कुमार ने ग्रामीण क्षेत्रों के बदहाल स्वास्थ्य सेवा को स्वीकार करते हुए कहा कि जिले में चिकित्सक और अन्य कर्मी की भारी कमी है. इसके लिए सरकार को कई बार पत्र लिखा गया है. लेकिन अब तक कोई पहल नहीं की गई है. सर्जन ने कहा कि सरकार द्वारा चिकित्सक और कर्मी की जैसे ही नियुक्ति कर मधेपुरा को उपलब्ध कराया जाएगा है, उन्हें तुरंत सभी ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रों पर पदस्थापित कर स्वास्थ्य सेवा बहाल कर दिया जाएगा.

मधेपुराः जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा ठप है. स्वास्थ्य केंद्रों में पिछले 25 सालों से चिकित्सक और कर्मी नहीं हैं. इस कारण अस्पताल जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है और धीरे-धीरे जंगल में तब्दील हो रहा है. यहां के ग्रामीण इलाकों के लोग भूल चुके हैं कि उनके गांव में सरकारी स्वास्थ्य केंद्र भी है जहां कभी मुफ्त में इलाज होता था.

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ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा केंद्र पूर्ण रूप से बदहाल

सरकार ग्रामीण क्षेत्रों के स्वास्थ्य सेवा में परिवर्तन के भले ही लाख दावे कर ले. लेकिन हकीकत यह है कि ग्रामीण क्षेत्रों के सर्वाधिक स्वास्थ्य केंद्रों में लोगों को कोई सुविधा नहीं मिल पा रही है. वहीं, स्वास्थ्य केंद्र अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. स्थिति इतनी खराब है कि कभी भी ये स्वास्थ्य केंद्र धराशायी हो सकता है. आलम यह है कि गांव के स्वास्थ्य केंद्र अब जंगल में तब्दील हो चुके हैं. इस परिसर में मरीज के बदले सांप, बिच्छू और कमरे में गंदगी देखने को मिल रही है.

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ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा केंद्र पूर्ण रूप से बदहाल

क्या कहते हैं ग्रामीण

ग्रामीणों का कहना है कि पहले स्वास्थ्य केंद्रों पर मुफ्त में दवा मिलती थी, चिकित्सक और स्वाथ्य कर्मी प्रत्येक दिन आते थे. लेकिन पिछले 25 सालों से स्वास्थ्य केंद्रों पर एक भी चिकित्सक या कर्मी कोई नहीं रहता है. हैरत की बात यह है कि सरकारी स्तर पर ढिंढोरा पीटा जाता है कि स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में बिहार सरकार ने उल्लेखनीय कार्य किया है. लेकिन जमीन पर स्वास्थ्य सेवा भगवान भरोसे चल रहा है.

ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा केंद्र पूर्ण रूप से बदहाल

सरकार को कई बार लिखा गया पत्र

मधेपुरा के सिविल सर्जन डॉ.शैलेंद्र कुमार ने ग्रामीण क्षेत्रों के बदहाल स्वास्थ्य सेवा को स्वीकार करते हुए कहा कि जिले में चिकित्सक और अन्य कर्मी की भारी कमी है. इसके लिए सरकार को कई बार पत्र लिखा गया है. लेकिन अब तक कोई पहल नहीं की गई है. सर्जन ने कहा कि सरकार द्वारा चिकित्सक और कर्मी की जैसे ही नियुक्ति कर मधेपुरा को उपलब्ध कराया जाएगा है, उन्हें तुरंत सभी ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रों पर पदस्थापित कर स्वास्थ्य सेवा बहाल कर दिया जाएगा.

Intro:मधेपुरा ज़िले के ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा बदहाल है।सर्वाधिक स्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सक व कर्मी 25 साल से नहीं रहने के कारण जीर्णशीर्ण अवस्था और जंगल में तब्दील है।ग्रामीण इलाकों के लोग भूल चुके हैं कि उनके गांव में सरकारी स्वास्थ्य केंद्र भी है जहां कभी मुफ्त में इलाज भी होता था।


Body:सरकार भले ही ग्रामीण क्षेत्रों के स्वास्थ्य सेवा में आमूल चूल परिवर्तन का दावा फाइल में कर रखी है।लेकिन हकीकत यह है कि ग्रामीण क्षेत्रों में अवस्थित सर्वाधिक स्वास्थ्य केंद्रों में पिछले 25 साल से चिकित्सक व कर्मी नहीं रहने के कारण जहां लोगों को कोई सुविधा नहीं मिल पा रहा है।वहीं स्वास्थ्य केंद्र जीर्णशीर्ण अवस्था में अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है।अब तो स्थिति ऐसी बन गई है कि कभी भी स्वास्थ्य केंद्र धरासायी हो सकता है ।स्वास्थ्य केंद्रों पर रोगी नहीं जंगल में तब्दील परिसर में सांप बिच्छू और कमरे में गंदगी देखने को मिल रहा है।ग्रामीणों का कहना है कि पहले स्वास्थ्य केंद्रों पर मुफ्त में दवा भी मिलती थी और चिकित्सक व स्वाथ्य कर्मी प्रत्येक दिन आते थे।लेकिन पिछले 25 साल से स्वास्थ्य केंद्रों पर एक भी चिकित्सक व कर्मी नहीं रहते हैं।हैरत की बात तो यह है कि सरकारी स्तर पर ढिंढोरा पीटा जाता है कि स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में बिहार सरकार उल्लेखनीय कार्य की है।लेकिन सरजमीन पर स्वास्थ्य सेवा भगवान भरोसे चल रहा है।अब भी लोग झोलाछाप चिकित्सक के सहारे जिंदा है।मधेपुरा के सिविल सर्जन डॉ0शैलेंद्र कुमार ने ग्रामीण क्षेत्रों के बदहाल स्वास्थ्य सेवा को स्वीकार करते हुए कहा कि ज़िले में चिकित्सक व अन्य कर्मी की भाड़ी कमी है।इसके लिए सरकार को कई बार पत्र लिखा गया है।लेकिन अब तक कोई सार्थक पहल नहीं की गई है जैसे ही सरकार द्वारा चिकित्सक व कर्मी की नियुक्ति कर मधेपुरा को उपलब्ध कराया जाता है उसे तुरंत सभी ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रों पर पदस्थापित कर स्वास्थ्य सेवा बहाल कर दिया जाएगा।बाइट--1----सुनील कुमार----ग्रामीण।बाइट----2----तेजनारायण यादव-----ग्रामीण।बाइट---3------डॉ0शैलेंद्र कुमार---सिविल सर्जन मधेपुरा।


Conclusion:अब देखना दिलचस्प होगा कि कब तक ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा में सुधार हो पाता है।
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