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बिहार के इस संत ने संवारी हजारों की जिंदगी, मुफ्त में सुविधाएं देकर गढ़ते हैं भविष्य

संत ने आर्थिक रूप से कमजोर हजारों युवाओं को खाने-रहने और अपने पैसे से मदद कर उन्हें सरकारी सेवा में भेजा है. इनकी पहल काबिलेतारीफ है.

प्रशिक्षण लेते छात्र
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Published : Jun 17, 2019, 12:37 PM IST

मधेपुराः भारत में संत महात्मा, सच्चे समाजसेवी और विद्ववानों का जन्म हर युग में होता रहा है. इसलिए इस देश को महापुरुषों का देश भी कहा जाता है. इसी कड़ी में मधेपुरा के सेवानिवृत्त फिजिकल शिक्षक का नाम भी आता है. जिनका नाम भी संयोग से संत कुमार है. जिन्होंने ने अपनी सरकारी सेवा के प्रारंभ काल से लेकर अब तक दस हजार से अधिक गरीब युवाओं को विभिन्न विभागों की सरकारी नौकरियों में भेज चुके हैं.

सरकारी नौकरी के लिए फ्री में प्रशिक्षण
मधेपुरा के किसान परिवार में जन्मे सेवानिवृत्त फिजिकल शिक्षक संत कुमार का सामाजिक कार्य किसी महान संत महात्मा और महापुरुषों से कम नहीं है. जिन्होंने अपनी नौकरी में रहते हुए भी समाज के युवाओं को खुद के खर्च से कठिन फिजिकल प्रशिक्षण देकर के उनका भविष्य संवारा है. सेवानिवृत्त के बाद भी यह सिलसिला जारी है. मधेपुरा के रास बिहारी हाई स्कूल से फिजिकल शिक्षक के पद से सेवानिवृत्त हुए संत कुमार ने बताया कि वे जब से सरकारी सेवा में गये तब से ही वेतन के पैसे सिर्फ अपने परिवार पर ही नहीं बल्कि समाज के गरीब युवाओं के भविष्य को संवारने में भी लगाया.

student
प्रशिक्षण लेते छात्र

संत कुमार का क्या है कहना?
संत कुमार ने बताया कि मैं दिन-रात युवाओं को कठोर फिजिकल प्रशिक्षण देकर उसे प्रशासनिक सेवा में जाने लायक बनाता हूं. उन्होंने कहा कि आर्मी में तीन सौ से अधिक युवा देश के विभिन्न भागों में पदस्थापित हैं. जबकि सीआरपीएफ, बीएमपी, बिहार पुलिस सेवा में चार हजार, फिजिकल टीचर में पांच हजार और सात सौ सब इंस्पेक्टर के पद पर कार्यरत हैं. उन्होंने कहा कि अगर कोई आर्थिक रूप से कमजोर युवा मेरे पास आता है तो उसे रहने खाने के साथ-साथ परीक्षा आदि का फॉर्म भरने के लिए आर्थिक मदद भी करते हैं. ताकि उन्हें आगे बढ़ने में परेशानी नहीं हो. संत ने आर्थिक रूप से कमजोर कई युवाओं को खाने-रहने और अपने पैसे से मदद करके उन्हें सरकारी सेवा में भेजा है.

sant kumar
फिजिकल शिक्षक संत कुमार

क्या है प्रशिक्षण देने का मकसद?
संत ने कहा कि उनका मकसद है कि कोई भी युवा गलत रास्ते पर नहीं जाय. अगर वे शिक्षित हो जाते हैं और कोई सरकारी नौकरी मिल जाती है तो उनका परिवार, देश और समाज खुशहाल होगा. उनका कहना है कि वो सदा समाज के हर व्यक्ति और देश को खुशहाल देखना चाहते हैं. बता दें कि संत कुमार को कोई संतान नहीं है. वे समाज के बच्चों को ही अपना संतान मानकर सहयोग करते हैं. संत सेवा में रख कर छात्रों को फ्री में सारी सुविधाएं देते हैं. यही उनकी खासियत है.

प्रशिक्षण लेते छात्र और बयान देते फिजिकल शिक्षक संत कुमार

क्या कहते हैं स्थानीय लोग?
स्थानीय निवासी डॉ. राजीव जोशी कहते हैं कि अगर देश में संत बाबू के जैसे पचास लोग भी हो जाएं तो समाज का जो युवा दिग्भ्रमित हो रहा है, उस पर स्वतः विराम लग जाएगा. संत सेवा आश्रम में रह कर फिजिकल तैयारी कर रहे आर्थिक रूप से कमजोर सूरज कुमार कहते हैं कि उन्हें आस जगी है कि संत बाबू की देख-रेख में उनका भविष्य जरूर संवर जाएगा.

मधेपुराः भारत में संत महात्मा, सच्चे समाजसेवी और विद्ववानों का जन्म हर युग में होता रहा है. इसलिए इस देश को महापुरुषों का देश भी कहा जाता है. इसी कड़ी में मधेपुरा के सेवानिवृत्त फिजिकल शिक्षक का नाम भी आता है. जिनका नाम भी संयोग से संत कुमार है. जिन्होंने ने अपनी सरकारी सेवा के प्रारंभ काल से लेकर अब तक दस हजार से अधिक गरीब युवाओं को विभिन्न विभागों की सरकारी नौकरियों में भेज चुके हैं.

सरकारी नौकरी के लिए फ्री में प्रशिक्षण
मधेपुरा के किसान परिवार में जन्मे सेवानिवृत्त फिजिकल शिक्षक संत कुमार का सामाजिक कार्य किसी महान संत महात्मा और महापुरुषों से कम नहीं है. जिन्होंने अपनी नौकरी में रहते हुए भी समाज के युवाओं को खुद के खर्च से कठिन फिजिकल प्रशिक्षण देकर के उनका भविष्य संवारा है. सेवानिवृत्त के बाद भी यह सिलसिला जारी है. मधेपुरा के रास बिहारी हाई स्कूल से फिजिकल शिक्षक के पद से सेवानिवृत्त हुए संत कुमार ने बताया कि वे जब से सरकारी सेवा में गये तब से ही वेतन के पैसे सिर्फ अपने परिवार पर ही नहीं बल्कि समाज के गरीब युवाओं के भविष्य को संवारने में भी लगाया.

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प्रशिक्षण लेते छात्र

संत कुमार का क्या है कहना?
संत कुमार ने बताया कि मैं दिन-रात युवाओं को कठोर फिजिकल प्रशिक्षण देकर उसे प्रशासनिक सेवा में जाने लायक बनाता हूं. उन्होंने कहा कि आर्मी में तीन सौ से अधिक युवा देश के विभिन्न भागों में पदस्थापित हैं. जबकि सीआरपीएफ, बीएमपी, बिहार पुलिस सेवा में चार हजार, फिजिकल टीचर में पांच हजार और सात सौ सब इंस्पेक्टर के पद पर कार्यरत हैं. उन्होंने कहा कि अगर कोई आर्थिक रूप से कमजोर युवा मेरे पास आता है तो उसे रहने खाने के साथ-साथ परीक्षा आदि का फॉर्म भरने के लिए आर्थिक मदद भी करते हैं. ताकि उन्हें आगे बढ़ने में परेशानी नहीं हो. संत ने आर्थिक रूप से कमजोर कई युवाओं को खाने-रहने और अपने पैसे से मदद करके उन्हें सरकारी सेवा में भेजा है.

sant kumar
फिजिकल शिक्षक संत कुमार

क्या है प्रशिक्षण देने का मकसद?
संत ने कहा कि उनका मकसद है कि कोई भी युवा गलत रास्ते पर नहीं जाय. अगर वे शिक्षित हो जाते हैं और कोई सरकारी नौकरी मिल जाती है तो उनका परिवार, देश और समाज खुशहाल होगा. उनका कहना है कि वो सदा समाज के हर व्यक्ति और देश को खुशहाल देखना चाहते हैं. बता दें कि संत कुमार को कोई संतान नहीं है. वे समाज के बच्चों को ही अपना संतान मानकर सहयोग करते हैं. संत सेवा में रख कर छात्रों को फ्री में सारी सुविधाएं देते हैं. यही उनकी खासियत है.

प्रशिक्षण लेते छात्र और बयान देते फिजिकल शिक्षक संत कुमार

क्या कहते हैं स्थानीय लोग?
स्थानीय निवासी डॉ. राजीव जोशी कहते हैं कि अगर देश में संत बाबू के जैसे पचास लोग भी हो जाएं तो समाज का जो युवा दिग्भ्रमित हो रहा है, उस पर स्वतः विराम लग जाएगा. संत सेवा आश्रम में रह कर फिजिकल तैयारी कर रहे आर्थिक रूप से कमजोर सूरज कुमार कहते हैं कि उन्हें आस जगी है कि संत बाबू की देख-रेख में उनका भविष्य जरूर संवर जाएगा.

Intro:मधेपुरा।भारत में संत, महात्मा,सच्चे समाजसेवी और विद्ववानों का जन्म हर युग में होते रहा है ।इसलिए इस देश को संत,महात्मा व महापुरुषों का देश भी कहा जाता है।इसी कड़ी में आता है मधेपुरा का सेवानिवृत्त फिजिकल शिक्षक जिनका नाम भी संयोग से संत कुमार ही है।जिन्होंने ने अपने सेवा सरकारी सेवा के प्रारंभ काल से लेकर अब तक में दस हजार से अधिक युवाओं को खुद से कठिन फिजिकल प्रशिक्षण देकर और आर्थिक रूप से कमजोर युवा को खाने रहने व अपने पैसे से मदद करके उन्हें सरकारी सेवा में भेजा है।आज दस हजार से अधिक युवा देश के विभिन्न विभागों में नोकरी कर अपना और अपने परिवार का जीवन यापन कर रहे हैं।


Body:महात्मा गांधी और विवेकानंद के देश भारत के बिहार प्रांत का हिमालय के गोद में अवस्थित मधेपुरा के किसान परिवार में जन्मे सेवानिवृत्त फिजिकल शिक्षक संत कुमार का जीवनवृत्त और उल्लेखनीय सामाजिक कार्य किसी महान संत महात्मा और महापुरुषों से कम नहीं है ।जिन्होंने अपनी सरकारी सेवा के प्रारंभ काल से ही समाज के युवाओं को अपने खुद के खर्च से कठिन फिजिकल प्रशिक्षण देकर अब तक दस हजार से अधिक युवाओं के भविष्य को संवारने का काम किया है और अब भी यह सिलसिला जारी है।मधेपुरा के रासबिहारी हाई स्कूल से फिजिकल शिक्षक के पद से सेवानिवृत्त हुए संत कुमार ने बताया कि वे जब से सरकारी सेवा में गये तब से ही वेतन के पैसे सिर्फ अपने परिवार पर ही नहीं खर्च किये बल्कि के समाज के हर वर्ग के ऐसे युवाओं के भविष्य को सुधारने में भी लगाया जो आर्थिक रूप से कमजोर व गलत रास्ते पर जाने बाले थे।श्री कुमार ने बताया कि वे दिन रात बारहों मास युवाओं को कठोर फिजिकल प्रशिक्षण देकर उसे प्रशासनिक सेवा में जाने लायक बनाता हूँ।उन्होंने कहा कि आर्मी में तीन सौ से अधिक युवा देश के विभिन्न भागों में पदस्थापित है, जबकि सीआरपीएफ, बीएमपी,बिहार पुलिस सेवा में चार हजार,फिजिकल टीचर में पांच हजार और सात सौ सब इंस्पेक्टर के पद पर कार्यरत है।उन्होंने कहा कि अगर कोई आर्थिक रूप से कमजोर युवा मेरे पास आता है तो उसे रहने खाने के साथ साथ परीक्षा आदि का फॉर्म भरने के लिए आर्थिक मदद भी करते हैं ताकि उन्हें आगे बढ़ने में परेशानी नहीं हो सके।श्री संत ने कहा कि मेरा मकसद है कि कोई भी युवा गलत रास्ते पर नहीं जाय।अगर वे शिक्षित हो जाते हैं और कोई सरकारी नोकरी मिल जाती है तो उनके परिवार , देश व समाज खुशाल होगा।मैं सदा समाज के हर व्यक्ति व देश को खुशहाल देखना चाहता हूं।बता दें कि संत कुमार को कोई संतान नहीं है वे समाज के व अपने परिवार के सभी संतान को अपना संतान मानकर सहयोग करते हैं यही उनका बड़प्पन है।स्थानीय निवासी डॉ0राजीव जोशी कहते हैं कि अगर देश में संत बाबू के जैसे पचास लोग भी हो जाए तो समाज का जो युवा दिग्भ्रमित होकर आज गलत रास्ते पर जा रहे हैं उस पर स्वतः विराम लग जाएगा।संत सेवा आश्रम में रह फिजिकल तैयारी कर रहे आर्थिक रूप से कमजोर सूरज कुमार कहते हैं कि उन्हें आश जगी है कि संत बाबू के सानिध्य में जीवन दान जरूर मिलेगा।बाइट-1---संत कुमार---समाजसेवी व सेवानिवृत्त फिजिकल शिक्षक।बाइट---2----सूरज कुमार-----प्रशिक्षण ले रहे छात्र।बाइट----3------डॉ0राजीव जोशी----स्थानीय।


Conclusion:देश के हर व्यक्ति को संत बाबू से समाज निर्माण का सिख लेने की जरूरत है।सर यह खबर नहीं लगी है इसलिए दुबारा भेज रहा हूं।रुद्रनारायण मधेपुरा।
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