मधेपुराः भारत में संत महात्मा, सच्चे समाजसेवी और विद्ववानों का जन्म हर युग में होता रहा है. इसलिए इस देश को महापुरुषों का देश भी कहा जाता है. इसी कड़ी में मधेपुरा के सेवानिवृत्त फिजिकल शिक्षक का नाम भी आता है. जिनका नाम भी संयोग से संत कुमार है. जिन्होंने ने अपनी सरकारी सेवा के प्रारंभ काल से लेकर अब तक दस हजार से अधिक गरीब युवाओं को विभिन्न विभागों की सरकारी नौकरियों में भेज चुके हैं.
सरकारी नौकरी के लिए फ्री में प्रशिक्षण
मधेपुरा के किसान परिवार में जन्मे सेवानिवृत्त फिजिकल शिक्षक संत कुमार का सामाजिक कार्य किसी महान संत महात्मा और महापुरुषों से कम नहीं है. जिन्होंने अपनी नौकरी में रहते हुए भी समाज के युवाओं को खुद के खर्च से कठिन फिजिकल प्रशिक्षण देकर के उनका भविष्य संवारा है. सेवानिवृत्त के बाद भी यह सिलसिला जारी है. मधेपुरा के रास बिहारी हाई स्कूल से फिजिकल शिक्षक के पद से सेवानिवृत्त हुए संत कुमार ने बताया कि वे जब से सरकारी सेवा में गये तब से ही वेतन के पैसे सिर्फ अपने परिवार पर ही नहीं बल्कि समाज के गरीब युवाओं के भविष्य को संवारने में भी लगाया.
संत कुमार का क्या है कहना?
संत कुमार ने बताया कि मैं दिन-रात युवाओं को कठोर फिजिकल प्रशिक्षण देकर उसे प्रशासनिक सेवा में जाने लायक बनाता हूं. उन्होंने कहा कि आर्मी में तीन सौ से अधिक युवा देश के विभिन्न भागों में पदस्थापित हैं. जबकि सीआरपीएफ, बीएमपी, बिहार पुलिस सेवा में चार हजार, फिजिकल टीचर में पांच हजार और सात सौ सब इंस्पेक्टर के पद पर कार्यरत हैं. उन्होंने कहा कि अगर कोई आर्थिक रूप से कमजोर युवा मेरे पास आता है तो उसे रहने खाने के साथ-साथ परीक्षा आदि का फॉर्म भरने के लिए आर्थिक मदद भी करते हैं. ताकि उन्हें आगे बढ़ने में परेशानी नहीं हो. संत ने आर्थिक रूप से कमजोर कई युवाओं को खाने-रहने और अपने पैसे से मदद करके उन्हें सरकारी सेवा में भेजा है.
क्या है प्रशिक्षण देने का मकसद?
संत ने कहा कि उनका मकसद है कि कोई भी युवा गलत रास्ते पर नहीं जाय. अगर वे शिक्षित हो जाते हैं और कोई सरकारी नौकरी मिल जाती है तो उनका परिवार, देश और समाज खुशहाल होगा. उनका कहना है कि वो सदा समाज के हर व्यक्ति और देश को खुशहाल देखना चाहते हैं. बता दें कि संत कुमार को कोई संतान नहीं है. वे समाज के बच्चों को ही अपना संतान मानकर सहयोग करते हैं. संत सेवा में रख कर छात्रों को फ्री में सारी सुविधाएं देते हैं. यही उनकी खासियत है.
क्या कहते हैं स्थानीय लोग?
स्थानीय निवासी डॉ. राजीव जोशी कहते हैं कि अगर देश में संत बाबू के जैसे पचास लोग भी हो जाएं तो समाज का जो युवा दिग्भ्रमित हो रहा है, उस पर स्वतः विराम लग जाएगा. संत सेवा आश्रम में रह कर फिजिकल तैयारी कर रहे आर्थिक रूप से कमजोर सूरज कुमार कहते हैं कि उन्हें आस जगी है कि संत बाबू की देख-रेख में उनका भविष्य जरूर संवर जाएगा.