मधेपुरा: जिले की आलमनगर और चौसा प्रखंड की 11 पंचायतें बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हैं. यहां लाखों की आबादी प्रभावित हुई है. बाढ़ पीड़ित अपना घर छोड़ ऊंचे स्थान पर विस्थापित हो गए हैं. वहीं, अभी तक प्रशासन की ओर से इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं पहुंचा है.
बीते तीन दिन से बारिश नहीं हो रही है. दूसरी ओर कोसी बराज से छोड़े गए पानी का जलस्तर भी घटा है. लेकिन मधेपुरा के आलमनगर और चौसा प्रखंड के 11 पंचायत जलमग्न हैं. आलम यह है कि ग्रामीणों ने अपने परिवार और मवेशियों के साथ ऊंचे स्थानों में आशियाना बना लिया है. अनुमान के मुताबिक लगभग एक लाख आबादी बुरी तरह प्रभावित है.
नहीं मिली सरकारी नाव
सरकारी फाइल में बाढ़ प्रभावित इलाकों के लोगों को घर से निकालने के लिए सरकारी नावों की बात कही गई है. लेकिन ग्रामीणों के मुताबिक इन्हें ऐसी कोई सुविधा नहीं मिली. सभी बताते हैं कि जान जोखिम में डालकर वे ऊंचे स्थानों की ओर विस्थापित हुए हैं.
- यहां से जो भी तस्वीरें आईं हैं. उससे भी सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि कैसे ग्रामीणों ने अपना रास्ता खुद तय किया है.
लोगों में आक्रोश
बाढ़ पीड़ित उमेश सिंह ने आक्रोश जाहिर करते हुए कहा कि मदद के लिए कोई भी नहीं आया है. वहीं, राधा देवी कहती हैं कि घर दुआर सब बाढ़ में डूब गया है. बकरी और मवेशी सभी को किसी तरह बचा कर लाएं हैं. ऐसी ही बातें आशा देवी और सुधा भी बताती हैं. वहीं, ग्रामीणों का कहना है कि बाढ़ के लिए नावों को परमिट मिल चुका है बावजूद इसके, नाव नहीं मिली है.
वहीं, सीपीआई के राष्ट्रीय परिषद सदस्य कहते हैं कि इस समय बिहार सरकार को बाढ़ पीड़ितों के लिए भी कदम उठाने चाहिए. इनकी मदद करनी चाहिए. ये मुसीबत में हैं.
कब तक मिलेगी मदद
बिहार के कई जिलों में बाढ़ की स्थिति गंभीर हो चली है. कोरोना महामारी के इस दौर में बाढ़ मुसीबत को दोगुना कर रही है. सरकार ने जहां कोरोना के लिए अपनी पूरी मशनरी लगा रखी है. ऐसे में जरूरी है कि बाढ़ पीड़ितों के लिए भी ठोस कदम उठाए जाएं.
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