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मधेपुरा: रेशम का उत्पादन कर किसान कर रहे अच्छी आमदनी, सरकार भी दे रही है आर्थिक मदद

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Published : Nov 24, 2019, 3:07 PM IST

बिहार के किसान पहले परंपरागत खेती पर पूरी तरह से आश्रित रहते थे. इससे किसानों की आर्थिक स्थिति दयनीय बनी रहती थी. उनकी माली हालत को सुधारने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई कृषि योजना की घोषणा की.

रेशम उत्पादन से अच्छी कमाई कर रहे किसान

मधेपुरा: जिले के विभिन्न प्रखंडों में रेशम की खेती काफी फल-फूल रही है. इसके लिए सरकार किसानों को आर्थिक मदद भी दे रही है. इसी वजह से किसानों का रुझान तेजी से इस ओर बढ़ हो रहा है.

बिहार के किसान पहले परंपरागत खेती पर पूरी तरह से आश्रित रहते थे. इससे किसानों की आर्थिक स्थिति दयनीय बनी रहती थी. उनकी माली हालत को सुधारने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई कृषि योजना की घोषणा की.

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रेशम उत्पादन के लिए पत्ते तोड़ती किसान

घर में ही रेशम किट पालन की सुविधा
मुख्यमंत्री कोशी मलवरी परियोजना के तहत रेशम किट पालन के लिए सरकार स्वयं सहायता समुहों से जुड़ी जीविका दीदी को प्रशिक्षण देकर उनके घर में ही रेशम किट पालन की सारी सुविधा उपलब्ध कराती है.

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रेशम के कीड़े

मनरेगा के तहत किसानों को दी जाती है दैनिक मजदूरी
इसके साथ ही उन्हें मनरेगा योजना के माध्यम से दैनिक मजदूरी भी दी जाती है. उत्पादित रेशम को सरकार उनके घर से ही खरीदकर ले जाती है. जिससे महिला किसानों को इसे बेचने में कोई परेशानी नहीं होती है.

रेशम उत्पादन

एक महीने में रेशम उत्पादन
मधेपुरा सदर प्रखंड के वीआरपी कुंदन कुमार ने बताया कि प्रखंड में चालीस किसान रेशम कीट का पालन कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि इसके उत्पादन में मात्र एक महीने का समय लगता है. मधेपुरा के डीडीसी विनोद कुमार सिंह ने कहा कि किसानों की हालत सुधारने के लिए कीट पालन करने वालें को मनरेगा सहित अन्य योजनाओं से मदद की जा रही है.

मधेपुरा: जिले के विभिन्न प्रखंडों में रेशम की खेती काफी फल-फूल रही है. इसके लिए सरकार किसानों को आर्थिक मदद भी दे रही है. इसी वजह से किसानों का रुझान तेजी से इस ओर बढ़ हो रहा है.

बिहार के किसान पहले परंपरागत खेती पर पूरी तरह से आश्रित रहते थे. इससे किसानों की आर्थिक स्थिति दयनीय बनी रहती थी. उनकी माली हालत को सुधारने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई कृषि योजना की घोषणा की.

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रेशम उत्पादन के लिए पत्ते तोड़ती किसान

घर में ही रेशम किट पालन की सुविधा
मुख्यमंत्री कोशी मलवरी परियोजना के तहत रेशम किट पालन के लिए सरकार स्वयं सहायता समुहों से जुड़ी जीविका दीदी को प्रशिक्षण देकर उनके घर में ही रेशम किट पालन की सारी सुविधा उपलब्ध कराती है.

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रेशम के कीड़े

मनरेगा के तहत किसानों को दी जाती है दैनिक मजदूरी
इसके साथ ही उन्हें मनरेगा योजना के माध्यम से दैनिक मजदूरी भी दी जाती है. उत्पादित रेशम को सरकार उनके घर से ही खरीदकर ले जाती है. जिससे महिला किसानों को इसे बेचने में कोई परेशानी नहीं होती है.

रेशम उत्पादन

एक महीने में रेशम उत्पादन
मधेपुरा सदर प्रखंड के वीआरपी कुंदन कुमार ने बताया कि प्रखंड में चालीस किसान रेशम कीट का पालन कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि इसके उत्पादन में मात्र एक महीने का समय लगता है. मधेपुरा के डीडीसी विनोद कुमार सिंह ने कहा कि किसानों की हालत सुधारने के लिए कीट पालन करने वालें को मनरेगा सहित अन्य योजनाओं से मदद की जा रही है.

Intro:मधेपुरा में स्वयं सहायता समूह की जीविका दीदी रेशम का किट पालन कर जीवन को बनाया खुशहाल।सरकारी मदद से कर रही है रेशम उत्पादन की खेती।


Body:मधेपुरा जिले के विभिन्न प्रखंडों में रेशम उत्पादन की खेती काफी फल फूल रहा है।जिसमें सरकारी स्तर पर भी आर्थिक मदद समय समय पर दिया जा रहा है।यही कारण है कि रेशम उत्पादन के प्रति महिला व पुरुष किसान का रुझान इस ओर तेजी से अग्रसर हो रहे हैं।बता दें कि बिहार के किसान पहले परंपरागत खेती पर पूर्णरूपेण आश्रित रहते थे,जिसके कारण किसानों की आर्थिक स्थिति दयनीय बनी रहती थी।किसानों की माली हालत को सुधारने के ख्याल से प्रधानमंत्री मंत्री नरेंद्र मोदी ने नई कृषि योजना के तहत रेशम उत्पादन की नई योजना की घोषणा की और उसे बिहार सरकार ने किसानों तक पहुँचाने का कार्य किया है जो सराहनीय कदम है। सरकार ने स्वयं सहायता समूह के अंतगर्त रेशम जीविका महिला मलवरी उत्पादन समिति बनाकर महिलाओं को रेशम किट पालन का प्रशिक्षण के अलावे उन्हें आर्थिक मदद देकर आज घर घर में रेशम उत्पादन कर महिला अच्छी आमदनी कमा रही है।मधेपुरा सदर प्रखंड के वीआरपी कुंदन कुमार ने बताया कि मुख्यमंत्री कोसी मलवरी परियोजना के तहत रेशम किट पालन के लिए सरकार स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी जीविका दीदी को आर्थिक सहयोग के साथ साथ प्रशिक्षण देकर उनके घर में ही रेशम किट पालन की सारी सुविधा उपलब्ध कराती है।सबसे उल्लेखनीय बात तो यह है कि रेशम किट पालन करने बाली महिला को मनरेगा योजना के माध्यम से दैनिक मजदूरी भी सरकार द्वारा दी जाती है।इतना ही नहीं उत्पादित रेशम उनके घर पर से सरकार ही खरीदकर ले जाती है,ताकि महिला किसानों को रेशम बेचने में परेशानी नहीं हो सके।उन्होंने कहा कि मधेपुरा प्रखंड में चालीस किसान रेशम किट पालन कर रहे हैं, जबकि ज़िले के हर प्रखंड में किसान रेशम की खेती काफी संख्या में कर रहे हैं।उन्होंने कहा कि रेशम का उत्पादन मात्र एक माह में हो जाता है। मधेपुरा के डीडीसी विनोद कुमार सिंह ने कहा कि सदियों से किसान परंपरागत खेती पर आश्रित रहते थे,जिसके कारण किसानों की हालत दयनीय बनी रहती थी।इसलिए रेशम की किट पालन करने बाले किसानों को मनरेगा सहित अन्य योजनाओं से मदद किया जा रहा है,ताकि किसानों को कोई परेशानी नहीं हो सके।
बाइट---1--प्रियंका कुमारी-मलवरी किसान।बाइट----2----कुंदन कुमार--वीआरपी मधेपुरा सदर प्रखंड।बाइट---3-----विनोद कुमार सिंह---डीडीसी मधेपुरा।


Conclusion:मधेपुरा से रुद्रनारायण।
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