मधेपुरा: जिले के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक सिंघेश्वर स्थान कई मायनों में शिव भक्तों की आस्था का प्रतीक है. ऐसे में कड़ाके की ठंड में भी श्रद्धालु मंदिर में दर्शन के लिए यहां आ रहे हैं. मान्यताओं के अनुसार सिंघेश्वर के इस शिव मंदिर को किसी काल में भगवान विष्णु ने बनवाया था. शिव पुराण के रूद्र संहिता खंड में वर्णित महर्षि दधीचि और राजा ध्रुत के बीच अंतिम लड़ाई यहीं हुई थी. सिंघेश्वर मंदिर में शिवलिंग की कामना लिंग के रूप में पूजा की जाती है.
भक्तों ने शिवगंगा कुंड में लगाई डुबकी
बता दें कि मान्यताओं के अनुसार यहां राजा दशरथ के लिए श्रृंगी ऋषि ने पुत्र श्री यज्ञ कराया था. इसलिए संतान की चाहत के लिए काफी संख्या में श्रद्धालु बाबा के पास आते हैं. तापमान में हो रही लगातार गिरावट के बीच शिव भक्तों की आस्था साल के अंतिम दिन सुबह से ही देखने को मिली. घने कोहरे के बीच भक्त शिवगंगा कुंड में स्नान कर बाबा को जल चढ़ाते नजर आए. वहीं, श्रद्धालु प्रभास आनंद झा ने कहा की बीते 14 सालों से वह प्रत्येक मंगलवार को शिवगंगा कुंड में स्नान करने के बाद बाबा को जल चढ़ाते हैं.
मुरादे लेकर यहां आते हैं भक्त
मंदिर के पुजारी संजीव ठाकुर ने कहा कि हमारी सभ्यता और संस्कृति विदेशी प्रभाव की वजह से खत्म होती जा रही है. यही वजह है कि समाज में विसंगतियां फैल रही है. उन्होंने कहा कि हमें सनातन धर्म से जुड़ी आस्था का सम्मान और पालन करना चाहिए. साथ ही कहा कि बाबा सिंघेश्वर नाथ बाबा मनोकामना लिंग के नाम से पूरे विश्व में विख्यात हैं. भक्त यहां अपनी मुरादे लेकर आते हैं. चाहे कोई भी मौसम हो यहां भक्तों के आने का सिलसिला जारी रहता है.