मधेपुराः लोक आस्था का महापर्व छठ समाप्त हो गया है. लेकिन मधेपुरा सहित मिथिला में पर्व के दौरान होने वाला नाच अभी भी चर्चा का विषय बना हुआ है. दरअसल जिले में वर्षो से पर्व के मौके पर श्रद्धालुओं की ओर से नाच का आयोजन किया जा रहा है. इस कारण जिले के सभी छठ घाटों पर श्रद्धालुओं सहित अन्य दर्शकों की गहमा-गहमी लगी रहती है.
मनोकामना पूरी होने पर नाच का आयोजन
समाजसेवी डॉ. सुलेंद्र कुमार कहते है कि यहां जो लोग छठ मईया से मनोकामना मांगते है उसमें यह नाच भी शामिल रहता है. श्रद्धालु मनोकामना पूरी होने पर घाट पर नाच का आयोजन करवाते हैं. यही कारण है कि यहां हर साल दर्जनों से ज्यादा की संख्या में लोग नाच का आयोजन करवाते रहते हैं.
बिहार का कल्चर हिस्सा है यह नाच
उन्होंने यह भी कहा कि खासकर जिनको बाल बच्चे नहीं होता है. वह लोग अधिकतर मनोकामना पूर्ण होने पर इस तरह के नाच का आयोजन करवाते हैं. लड़कियों के भेष में लड़को के इस नाच को लौंडा नाच कहा जाता है. यह नाच बिहार कल्चर का हिस्सा है, जो अब भी देखने को मिलता है.