ETV Bharat / state

मधेपुरा: रैयती जमीन को लेकर लोगों में आक्रोश, दशकों से चल रहा विवाद

मधेपुरा में रैयती जमीन को लेकर लोगों में आक्रोश है. बता दें उच्च न्यायालय ने 1994 में डीएम के द्वारा गलत तरीके से रैयती जमीन दलितों के बीच बांटे जाने को अवैध मानते हुए पर्चा को रद्द कर दिया

land dispute in madhepura
land dispute in madhepura
author img

By

Published : Jan 20, 2021, 7:53 PM IST

मधेपुरा: रैयती जमीन पर जबरन दलितों द्वारा कब्जा करने को लोगों में आक्रोश है. बता दें मधेपुरा जिले के मुरलीगंज अंचल अंतर्गत पड़वा नवटोल गांव में 98 एकड़ जमीन को लेकर रैयती जमीनदार और दलितों के बीच दशकों से विवाद चल रहा है.

पर्चा रद्द करने के लिए परिवाद दायर
बता दें तत्कालीन डीएम केपी रमैया ने अपने कार्यकाल 1992 में गलत तरीके से उक्त 98 एकड़ रैयती जमीन का 74 महादलितों के बीच पर्चा देकर बांट दिया था. इसके बाद पीड़ित रैयती जमीनदार ने उच्च न्यायालय में पर्चा रद्द करने के लिए परिवाद दायर किया. उच्च न्यायालय ने 1994 में डीएम के द्वारा गलत तरीके से रैयती जमीन दलितों के बीच बांटे जाने को अवैध मानते हुए पर्चा को रद्द कर दिया और तत्कालीन डीएम केपी रमैया पर 25 हजार रुपये का आर्थिक जुर्माना भी ठोका था.

देखें रिपोर्ट

कब्जा करने का प्रयास
उच्च न्यायालय द्वारा पर्चा रद्द करने के आदेश दिए जाने के बाद जिला प्रशासन ने भू-धारी रैयत को फिर से जमीन सुपुर्द कर दिया. लेकिन स्थानीय प्रसाशन की सुस्ती के कारण महादलितों द्वारा लगातार उक्त जमीन पर कब्जा करने का प्रयास जारी रहा.

ये भी पढ़ें: पटना: 23 जनवरी को PMCH के सुपर स्पेशलिटी के नए भवन का CM नीतीश करेंगे शिलान्यास

गावं में तनावपूर्ण स्थिति
अब 2021 में फिर अवैध पर्चाधारी दलित-महादलितों ने रैयती तालाब से जबरन मछली मारकर गांव में स्थिति को तनावपूर्ण बना दिया है. मधेपुरा के एसडीएम नीरज कुमार ने कहा कि उक्त मामले में 107 की कार्रवाई की गयी है. ताकि किसी तरह की अप्रिय घटना नहीं घटे. इसके अलावे मुरलीगंज के सीओ और थाना अध्यक्ष को स्थिति पर नजर रखने का आदेश दिया गया है.

मधेपुरा: रैयती जमीन पर जबरन दलितों द्वारा कब्जा करने को लोगों में आक्रोश है. बता दें मधेपुरा जिले के मुरलीगंज अंचल अंतर्गत पड़वा नवटोल गांव में 98 एकड़ जमीन को लेकर रैयती जमीनदार और दलितों के बीच दशकों से विवाद चल रहा है.

पर्चा रद्द करने के लिए परिवाद दायर
बता दें तत्कालीन डीएम केपी रमैया ने अपने कार्यकाल 1992 में गलत तरीके से उक्त 98 एकड़ रैयती जमीन का 74 महादलितों के बीच पर्चा देकर बांट दिया था. इसके बाद पीड़ित रैयती जमीनदार ने उच्च न्यायालय में पर्चा रद्द करने के लिए परिवाद दायर किया. उच्च न्यायालय ने 1994 में डीएम के द्वारा गलत तरीके से रैयती जमीन दलितों के बीच बांटे जाने को अवैध मानते हुए पर्चा को रद्द कर दिया और तत्कालीन डीएम केपी रमैया पर 25 हजार रुपये का आर्थिक जुर्माना भी ठोका था.

देखें रिपोर्ट

कब्जा करने का प्रयास
उच्च न्यायालय द्वारा पर्चा रद्द करने के आदेश दिए जाने के बाद जिला प्रशासन ने भू-धारी रैयत को फिर से जमीन सुपुर्द कर दिया. लेकिन स्थानीय प्रसाशन की सुस्ती के कारण महादलितों द्वारा लगातार उक्त जमीन पर कब्जा करने का प्रयास जारी रहा.

ये भी पढ़ें: पटना: 23 जनवरी को PMCH के सुपर स्पेशलिटी के नए भवन का CM नीतीश करेंगे शिलान्यास

गावं में तनावपूर्ण स्थिति
अब 2021 में फिर अवैध पर्चाधारी दलित-महादलितों ने रैयती तालाब से जबरन मछली मारकर गांव में स्थिति को तनावपूर्ण बना दिया है. मधेपुरा के एसडीएम नीरज कुमार ने कहा कि उक्त मामले में 107 की कार्रवाई की गयी है. ताकि किसी तरह की अप्रिय घटना नहीं घटे. इसके अलावे मुरलीगंज के सीओ और थाना अध्यक्ष को स्थिति पर नजर रखने का आदेश दिया गया है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.