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नहीं कम हो रही तकलीफ! रोजगार के अभाव में दोबारा पलायन को मजबूर हैं मजदूर - kiul railway station news

कोरोना और लॉकडाउन के कारण बिहार वापस लौटे प्रवासी मजदूरों के पास अब एक बार फिर पलायन के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है. पीड़ित मजदूरों की मानें तो उन्हें यहां नौकरी नहीं मिलेगी.

स्टेशन पर ट्रेन का इंतजार करते मजदूर
स्टेशन पर ट्रेन का इंतजार करते मजदूर
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Published : Jun 8, 2020, 8:50 PM IST

लखीसराय: कोरोना वायरस को लेकर लागू लॉकडाउन का व्यापक प्रभाव आम जनजीवन पर पड़ा. सबसे अधिक परेशानी दूसरे राज्यों में रहकर दिहाड़ी पर काम करने वाले मजदूरों को झेलनी पड़ी. वे हजारों किलोमीटर दूर कैद हो गए. ऐसे में घर वापसी के अलावा उनके पास कोई विकल्प नहीं था. राज्य सरकार ने नौकरी देने की उम्मीद देकर उन्हें वापस तो बुला लिया लेकिन, अब सरकार फेल होती दिख रही है.

सरकारी नाकामी का ताजा नजारा लखीसराय के क्यूल रेलवे स्टेशन पर देखने को मिला. लॉकडाउन के दौरान राज्य वापस लौटे 4 मजदूरों को जब स्थानीय स्तर पर रोजगार नहीं मिला तो वे अनलॉक-1 के लागू होते ही वापस लौट रहे हैं. उन्हें कोरोना संक्रमण से ज्यादा रोजगार के अभाव में भूखे मरने का भय सताने लगा है.

lakhisarai
लखीसराय स्टेशन

नहीं नसीब हो रहा खाना
स्टेशन पर ट्रेन का इंतजार करते मनीष यादव और 3 अन्य दिहाड़ी मजदूरों ने लॉकडाउन के कारण वह 3 महीने से अपने घर में थे. यहां कमाने का कोई विकल्प नहीं सूझ रहा था. गांव में कोई काम नहीं मिलने के कारण उन्होंने यह फैसला किया कि वे बंगाल जाएंगे. उन्होंने बताया कि वे पश्चिम बंगाल के आसनसोल जाकर रोजगार की तलाश करेंगे.

देखें पूरी रिपोर्ट

प्रवासियों को लेकर सरकार पर हमलावर है आरजेडी
वहीं, इस संबंध में राजद विधायक प्रहलाद यादव ने एक बार फिर सरकार को घेरा है. उन्होंने डबल इंजन की सरकार पर प्रहार करते हुए कहा कि सरकार के पास मजदूरों को रोजगार देने के लिए कोई स्कोप नहीं है. मुख्यमंत्री कोई भगवान तो हैं कि रातों-रात रोजगार पैदा कर देंगे. अब मजदूरों को यहां रोजगार नहीं मिलेगा तो वे बाहर जाएंगे ही.

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विजय कुमार सिन्हा, श्रम संसाधन मंत्री

मंत्री बोले- संज्ञान में नहीं है कोई मामला
मजदूरों को दोबारा पलायन की घटनाओं पर जब बिहार के श्रम संसाधन मंत्री विजय कुमार सिन्हा से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि ऐसी कोई जानकारी उनके पास नहीं है. उन्हें नहीं पता कि प्रवासी मजदूर काम करने के लिए बिहार से बाहर जा रहे हैं. बिहार सरकार इस दिशा में लगातार काम कर रही है. राज्य वापस लौटे प्रवासियों की स्किल मैपिंग कराई जा रही है और उन्हें रोजगार दिया जा रहा है. अब तक करोड़ों रोजगार का सृजन किया जा चुका है. हर संभव मदद की जा रही है.

लखीसराय: कोरोना वायरस को लेकर लागू लॉकडाउन का व्यापक प्रभाव आम जनजीवन पर पड़ा. सबसे अधिक परेशानी दूसरे राज्यों में रहकर दिहाड़ी पर काम करने वाले मजदूरों को झेलनी पड़ी. वे हजारों किलोमीटर दूर कैद हो गए. ऐसे में घर वापसी के अलावा उनके पास कोई विकल्प नहीं था. राज्य सरकार ने नौकरी देने की उम्मीद देकर उन्हें वापस तो बुला लिया लेकिन, अब सरकार फेल होती दिख रही है.

सरकारी नाकामी का ताजा नजारा लखीसराय के क्यूल रेलवे स्टेशन पर देखने को मिला. लॉकडाउन के दौरान राज्य वापस लौटे 4 मजदूरों को जब स्थानीय स्तर पर रोजगार नहीं मिला तो वे अनलॉक-1 के लागू होते ही वापस लौट रहे हैं. उन्हें कोरोना संक्रमण से ज्यादा रोजगार के अभाव में भूखे मरने का भय सताने लगा है.

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लखीसराय स्टेशन

नहीं नसीब हो रहा खाना
स्टेशन पर ट्रेन का इंतजार करते मनीष यादव और 3 अन्य दिहाड़ी मजदूरों ने लॉकडाउन के कारण वह 3 महीने से अपने घर में थे. यहां कमाने का कोई विकल्प नहीं सूझ रहा था. गांव में कोई काम नहीं मिलने के कारण उन्होंने यह फैसला किया कि वे बंगाल जाएंगे. उन्होंने बताया कि वे पश्चिम बंगाल के आसनसोल जाकर रोजगार की तलाश करेंगे.

देखें पूरी रिपोर्ट

प्रवासियों को लेकर सरकार पर हमलावर है आरजेडी
वहीं, इस संबंध में राजद विधायक प्रहलाद यादव ने एक बार फिर सरकार को घेरा है. उन्होंने डबल इंजन की सरकार पर प्रहार करते हुए कहा कि सरकार के पास मजदूरों को रोजगार देने के लिए कोई स्कोप नहीं है. मुख्यमंत्री कोई भगवान तो हैं कि रातों-रात रोजगार पैदा कर देंगे. अब मजदूरों को यहां रोजगार नहीं मिलेगा तो वे बाहर जाएंगे ही.

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विजय कुमार सिन्हा, श्रम संसाधन मंत्री

मंत्री बोले- संज्ञान में नहीं है कोई मामला
मजदूरों को दोबारा पलायन की घटनाओं पर जब बिहार के श्रम संसाधन मंत्री विजय कुमार सिन्हा से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि ऐसी कोई जानकारी उनके पास नहीं है. उन्हें नहीं पता कि प्रवासी मजदूर काम करने के लिए बिहार से बाहर जा रहे हैं. बिहार सरकार इस दिशा में लगातार काम कर रही है. राज्य वापस लौटे प्रवासियों की स्किल मैपिंग कराई जा रही है और उन्हें रोजगार दिया जा रहा है. अब तक करोड़ों रोजगार का सृजन किया जा चुका है. हर संभव मदद की जा रही है.

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