लखीसराय: जिले का आश्रय स्थल इन दिनों महज शोभा बन कर रह गई है. प्रचार-प्रसार की कमी से लोग आश्रय स्थल तक नहीं पहुंच पा रहे हैं. आलम यह है कि वहां के स्थानीय लोगों को भी इस आश्रय स्थल की जानकारी नहीं है. सरकार द्वारा बनाई गई इस आश्रय स्थल का सदुपयोग ठीक से नहीं हो रहा है. लोगों का कहना है कि इस स्थल के बारे में किसी को जानकारी ही नहीं है. ऐसे में सर छुपाने के लिए काफी भटकना पड़ता है.
इस बाबत आश्रय स्थल की संचालिका रीता देवी ने इन आरोपों को सिरे से नकार दिया है. उन्होंने कहा कि इस आश्रय स्थल में लोगों के ठहरने के लिए उत्तम प्रबंध किए गए हैं. यहां सोने के लिए बेड और सस्ता खाना भी उपलब्ध कराया जाता है. इसके बावजूद कम लोग यहां आते हैं. संचालिका बताती हैं कि इस स्थल में प्रतिदिन 5-6 लोग ही आते हैं.
'बैनर-पोस्टर से होगा प्रचार'
नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी डॉ विपिन कुमार ने कहा कि आज आश्रय स्थल में प्रचार-प्रसार के अभाव में लोग नहीं पहुंच रहे हैं. हम जल्द ही बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन और हर चौक-चौराहों पर बैनर-पोस्टर लगवाकर प्रचार करेंगे. जिससे लोगों को इसकी जानकारी मिले सके.
एक समाजसेवी ने बताया कि शहर में आश्रय स्थल तो बन गया. लेकिन, उसमें आज तक गरीब तबके के लोग नहीं ठहर पा रहे हैं. कहीं ना कहीं सरकार की योजनाओं के साथ नाइंसाफी हो रही है. उन्होंने कहा कि नगर परिषद को सार्वजनिक जगहों पर प्रचार करनी चाहिए.
गौरतलब है कि नगर परिषद की ओर से राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन के तहत बनाया गया ये आश्रय स्थल सरकार की उपेक्षा का शिकार हो गया है. प्रतिदिन 15 रुपये की कीमत में मिलने वाली सुविधा लोगों से दूर हो रही है.