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लखीसराय: शोभा की वस्तु बनी सरकारी 'आश्रय स्थल', जानकारी के अभाव में नहीं पहुंच रहे लोग

एक समाजसेवी ने बताया कि शहर में आश्रय स्थल तो बन गया. लेकिन, उसमें आज तक गरीब तबके के लोग नहीं ठहर पा रहे हैं. कहीं ना कहीं सरकार की योजनाओं के साथ नाइंसाफी हो रही है.

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Published : Jul 21, 2019, 3:23 PM IST

लखीसराय

लखीसराय: जिले का आश्रय स्थल इन दिनों महज शोभा बन कर रह गई है. प्रचार-प्रसार की कमी से लोग आश्रय स्थल तक नहीं पहुंच पा रहे हैं. आलम यह है कि वहां के स्थानीय लोगों को भी इस आश्रय स्थल की जानकारी नहीं है. सरकार द्वारा बनाई गई इस आश्रय स्थल का सदुपयोग ठीक से नहीं हो रहा है. लोगों का कहना है कि इस स्थल के बारे में किसी को जानकारी ही नहीं है. ऐसे में सर छुपाने के लिए काफी भटकना पड़ता है.

इस बाबत आश्रय स्थल की संचालिका रीता देवी ने इन आरोपों को सिरे से नकार दिया है. उन्होंने कहा कि इस आश्रय स्थल में लोगों के ठहरने के लिए उत्तम प्रबंध किए गए हैं. यहां सोने के लिए बेड और सस्ता खाना भी उपलब्ध कराया जाता है. इसके बावजूद कम लोग यहां आते हैं. संचालिका बताती हैं कि इस स्थल में प्रतिदिन 5-6 लोग ही आते हैं.

आश्रय स्थल

'बैनर-पोस्टर से होगा प्रचार'
नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी डॉ विपिन कुमार ने कहा कि आज आश्रय स्थल में प्रचार-प्रसार के अभाव में लोग नहीं पहुंच रहे हैं. हम जल्द ही बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन और हर चौक-चौराहों पर बैनर-पोस्टर लगवाकर प्रचार करेंगे. जिससे लोगों को इसकी जानकारी मिले सके.

एक समाजसेवी ने बताया कि शहर में आश्रय स्थल तो बन गया. लेकिन, उसमें आज तक गरीब तबके के लोग नहीं ठहर पा रहे हैं. कहीं ना कहीं सरकार की योजनाओं के साथ नाइंसाफी हो रही है. उन्होंने कहा कि नगर परिषद को सार्वजनिक जगहों पर प्रचार करनी चाहिए.

गौरतलब है कि नगर परिषद की ओर से राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन के तहत बनाया गया ये आश्रय स्थल सरकार की उपेक्षा का शिकार हो गया है. प्रतिदिन 15 रुपये की कीमत में मिलने वाली सुविधा लोगों से दूर हो रही है.

लखीसराय: जिले का आश्रय स्थल इन दिनों महज शोभा बन कर रह गई है. प्रचार-प्रसार की कमी से लोग आश्रय स्थल तक नहीं पहुंच पा रहे हैं. आलम यह है कि वहां के स्थानीय लोगों को भी इस आश्रय स्थल की जानकारी नहीं है. सरकार द्वारा बनाई गई इस आश्रय स्थल का सदुपयोग ठीक से नहीं हो रहा है. लोगों का कहना है कि इस स्थल के बारे में किसी को जानकारी ही नहीं है. ऐसे में सर छुपाने के लिए काफी भटकना पड़ता है.

इस बाबत आश्रय स्थल की संचालिका रीता देवी ने इन आरोपों को सिरे से नकार दिया है. उन्होंने कहा कि इस आश्रय स्थल में लोगों के ठहरने के लिए उत्तम प्रबंध किए गए हैं. यहां सोने के लिए बेड और सस्ता खाना भी उपलब्ध कराया जाता है. इसके बावजूद कम लोग यहां आते हैं. संचालिका बताती हैं कि इस स्थल में प्रतिदिन 5-6 लोग ही आते हैं.

आश्रय स्थल

'बैनर-पोस्टर से होगा प्रचार'
नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी डॉ विपिन कुमार ने कहा कि आज आश्रय स्थल में प्रचार-प्रसार के अभाव में लोग नहीं पहुंच रहे हैं. हम जल्द ही बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन और हर चौक-चौराहों पर बैनर-पोस्टर लगवाकर प्रचार करेंगे. जिससे लोगों को इसकी जानकारी मिले सके.

एक समाजसेवी ने बताया कि शहर में आश्रय स्थल तो बन गया. लेकिन, उसमें आज तक गरीब तबके के लोग नहीं ठहर पा रहे हैं. कहीं ना कहीं सरकार की योजनाओं के साथ नाइंसाफी हो रही है. उन्होंने कहा कि नगर परिषद को सार्वजनिक जगहों पर प्रचार करनी चाहिए.

गौरतलब है कि नगर परिषद की ओर से राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन के तहत बनाया गया ये आश्रय स्थल सरकार की उपेक्षा का शिकार हो गया है. प्रतिदिन 15 रुपये की कीमत में मिलने वाली सुविधा लोगों से दूर हो रही है.

Intro:शोभा की वस्तु बनी आश्रय स्थल, आश्रय स्थल में सस्ती दर पर खाने रहने की सुविधा के बावजूद नहीं पहुंच रहे हैं आश्रय विहीन लोग


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डे प्लान की खबर

शोभा की वस्तु बनी आश्रय स्थल, आश्रय स्थल में सस्ती दर पर खाने रहने की सुविधा के बावजूद नहीं पहुंच रहे हैं आश्रय विहीन लोग

anchor-- लखीसराय नगर परिषद के द्वारा राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन के अधीन शहरी आश्रय दिनों के लिए संचालित आश्रय स्थल अब शोभा की वस्तु बनकर रह गई है।
प्रचार-प्रसार के अभाव में आश्रय स्थल पर नहीं पहुंच पा रहे हैं आश्रय विहीन लोग।
लखीसराय नगर परिषद में दीनदयाल अंत्योदय राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन के तहत शहरी समृद्धि उत्सव मना तो जाता है लेकिन आश्रय महीनों के लिए आश्रय स्थल तक पहुंचाने के लिए कोई समुचित व्यवस्था नहीं किया गया है शहरी गरीबों को सरकार के द्वारा संचालित योजना की जानकारी इससे वंचित शहरी गरीबों को योजना का लाभ देना उनका कार्य है उसके बाद भी प्रचार-प्रसार नहीं किए जाने से आश्रय स्थल आज बेकार पड़ा हुआ है।
केंद्र सरकार को राज्य सरकार गरीबों के हित में काम कर रही है इस कड़ी में लखीसराय शहर के शीतला घाट पर आश्रय स्थल की सुविधा तो बहाल की गई है लेकिन हम गरीबों को मयस्सर नहीं हो पा रहा है इसमें बहुत कम दर पर नगर प्रशासन द्वारा गांव से शहर में मजदूरी के लिए आने वाले लोगों के लिए खाने की सुविधा देने की सुविधा की व्यवस्था की गई है लेकिन यहां के कामगारों को ना रहने के लिए कोई घर है और ना ही कोई सार्वजनिक स्थल। जानकारी के अभाव में यहां के गरीब जैसे तैसे फुटपाथ पर सो कर समय व्यतीत कर देते हैं।
जब से मुजफ्फरपुर ( शेल्टर होम) आश्रय स्थल में हुई घटना को लेकर लोग सकते में है आश्रय स्थल में हुए अपराधिक घटनाओं पर अंकुश लगाने की सरकार गंभीर है सरकार को अपराधिक घटनाओं के होने के कारण की जानकारी मिली इस पर कई स्तर पर जांच में करवाई भी हो रही है शेल्टर होम में हुए गलत कारनामों के कारण लखीसराय नगर परिषद इस संदर्भ में बिल्कुल चुप्पी साध रखी है।

v,o 1,,, आश्रय स्थल के संचालिका रीता देवी ने कहा कि आश्रय स्थल में व्यापक व्यवस्था की गई है ।24 घंटे आश्रय में ठहरने की व्यवस्था है। आश्रय स्थल में सस्ती दर पर रहने और खाने की व्यवस्था की गई है। बिस्तर पंखे सुसज्जित हवादार कमरे हैं। प्रत्येक व्यक्ति के लिए अलग-अलग बेड की व्यवस्था की गई है। बिजली पानी रसोई घर की समुचित व्यवस्था है ।प्रतिदिन आवासन शुल्क प्रति व्यक्ति ₹15 मांग के अनुसार शाकाहारी भोजन की व्यवस्था की गई है।
वाइट-- रीता देवी- प्रबंधक आश्रय स्थल लखीसराय

v,o 2-- लखीसराय नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी डॉ विपिन कुमार ने कहा कि आज आश्रय स्थल में प्रचार-प्रसार के अभाव में लोग नहीं पहुंच रहे हैं। हम शीघ्र ही बस स्टैंड रेलवे स्टेशन हर चौक चौराहे पर बैनर पोस्टर लगाने जा रहे हैं ।ताकि अधिक से अधिक गरीब परिवार के लोग लाभान्वित हो सके।

byte-- डॉ विपिन कुमार कार्यपालक पदाधिकारी नगर परिषद लखीसराय

v,o 3-- लखीसराय के समाजसेवी रंजीत कुमार सिंह ने कहा कि शहर में आश्रय स्थल तो बना दिया गया लेकिन उसमें आज तक गरीब तबके के लोग नहीं ठहर पा रहे हैं ।जिससे आश्रय स्थल का कोई औचित्य नहीं बनता है ।कहीं ना कहीं सरकार की योजनाओं के साथ नाइंसाफी हो रही है। नगर प्रशासन को चाहिए बस स्टैंड रेलवे स्टेशन हर चौक चौराहे पर प्रचार प्रसार करें और आश्रय इन लोगों को आश्रय स्थल तक पहुंचाने के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था करें ।
बाइट-- रंजीत कुमार सिंह --समाजसेवी लखीसराय




Conclusion:लखीसराय शहर के आश्रय स्थल में प्रचार-प्रसार के अभाव में लोग नहीं पहुंच रहे हैं। हम शीघ्र ही बस स्टैंड रेलवे स्टेशन हर चौक चौराहे पर बैनर पोस्टर लगाना जरूरी है नहीं तो यह आश्रय स्थल शोभा की वस्तु बनकर रह जाएगी।
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