किशनगंज: बिहार में बाढ़ की त्रासदी जारी है. राज्य के कई जिले बाढ़ का दंश झेल रहे हैं. बच्चों का भविष्य बनाने वाले स्कूल भी इससे अछूते नहीं रह गए हैं. किशनगंज जिला मुख्यालय से लगभग 20 किलोमीटर दूर दौला पंचायत स्थित एकमात्र बलियदंगी प्राथमिक विद्यालय टापू में तब्दील हो चुका है. कोरोना को लेकर जारी लॉकडाउन में सभी शिक्षण संस्थान पहले से ही बंद पड़े हैं. ऐसे में देखरेख के अभाव में प्राथमिक विद्यालय की स्थिति बदहाल हो गई है.
बच्चों की पढ़ाई की चिंता
दौला पंचायत में लगभग 10 हजार से ज्यादा की आबादी रहती है. कुछ दिनों पहले महानंदा नदी में तेज कटाव के कारण भारी तबाही हुई. जिससे स्थानीय लोग जान माल की रक्षा के लिए सुरक्षित स्थान पर चले गए. कटाव की वजह से बलियदंगी प्राथमिक विद्यालय का आधे से ज्यादा हिस्सा कटकर महानंदा में समा गया, वहीं बचा हुआ भाग बाढ़ के पानी में डूब चुका है. जिससे यहां के लोगों को अपने बच्चों की पढ़ाई की चिंता सताने लगी है.
नदी में डूबा स्कूल का आधा हिस्सा
बलियदंगी प्राथमिक विद्यालय के हेडमास्टर ने बताया कि इस विद्यालय में कक्षा 1 से कक्षा 8 तक की पढाई होती है. यहां 10 शिक्षक और 437 के करीब छात्र-छात्राएं हैं. कटाव और बाढ़ की वजह से छात्र-छात्राओं का भविष्य अंधकार में है. स्थानीय सुरेन्द्र सदा ने बताया कि स्कूल का आधा भाग नदी में जा चुका है. वहीं, बचा हुआ भाग पानी में डूबा हुआ है. ऐसे में हमारे बच्चे पढ़ाई कैसे करेंगे?
प्रशासन की लापरवाही
सुरेन्द्र सदा ने बताया कि पूरा पंचायत इस साल महानंदा के भीषण कटाव की भेंट चढ़ चुका है. एक अन्य ग्रामीण ने बताया कि स्कूल तक जाने वाली सड़क पहले नदी में समा गई. जिसके बाद इसकी सूचना जिला प्रशासन को दी गई. प्रशासन ने आश्वासन दे कर उन्हें लौटा दिया, लेकिन इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया और आखिर स्कूल भी कटाव की चपेट में आ गया.
नए भवन में स्कूल को किया जाएगा शिफ्ट
अनुमंडल पदाधिकारी शाहनवाज अख्तर नियाजी ने बताया कि बलियदंगी प्राथमिक विद्यालय को अब नहीं बचाया जा सकता है. ये पूरा स्कूल महज एक टापू बनकर रह गया है. उन्होंने बताया कि जल्द ही इस विद्यालय को किसी सुरक्षित जगह पर नया भवन बनाकर शिफ्ट किया जाएगा.
भविष्य पर संकट
बता दें कि कोरोना संकट काल में लागू लॉकडाउन की वजह से सभी शिक्षण संस्थान पहले से ही बंद थे. जिससे देखरेख के अभाव में कई स्कूल जंगल में तब्दील हो गए हैं. प्रशासन की लापरवाही की वजह से अब बाढ़ की आपदा आने से बच्चों के भविष्य पर संकट मंडराने लगा है.