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किशनगंज: खरीदार के बिना खेतों में पककर खराब हो रहे हैं अनानास, सरकार से आर्थिक मदद की गुहार

किसानों का कहना है कि किशनगंज में धान गेंहू की फसल नहीं होती है और ना ही किसी भी तरह का कल कारखाना है. फिर यहां के किसानों ने अनानास की खेती शुरू की, लेकिन इस साल खरीदार नहीं आने से फल पककर खराब हो रहे हैं.

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अनानास
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Published : May 21, 2020, 11:50 AM IST

Updated : May 22, 2020, 9:33 AM IST

किशनगंज: बिहार में सबसे ज्यादा अनानास उत्पादन करने वाला जिला किशनगंज के किसान बेहाल हैं. ये किसान दिन रात मेहनत करके फल उगाते हैं. लेकिन लॉकडाउन के कारण इनके अनानास खेत में ही पककर नष्ट हो रहे हैं. लगभग 5 हजार बीघे में किशनगंज में अनानस की खेती होती है. सरकार ऐसे किसानों पर ध्यान नहीं दे रही है.

पक पर बर्बाद हो रहे अनानास
कोरोना संक्रमण को देखते हुए लॉकडाउन का चौथा चरण भी शुरू हो चुका हैं, मजदूर खेतों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं, इसका सीधा असर अनानास के उत्पादन पर पड़ रहा है. जिसकी वजह से किसानों के सामने आर्थिक समस्या उत्पन्न होने लगी है. अधिकांश किसानों की खेतों में अनानास के फल पककर तैयार हो गए हैं, जो खेत में ही नष्ट हो रहे हैं.

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अनानास

5 हजार बीघे में होती है अनानास की खेती
किसान अपने तैयार अनानास को बाजारों तक पहुंचाने में असमर्थ हैं. आपको बता दें कि किशनगंज में लगभग 5000 बीघे में अनानास की खेती होती है. जिले में उत्पादित अनानास की एकमात्र मंडी प्रखंड सीमा से पश्चिम बंगाल का विधाननगर है. अनानास खरीद करने वाले ज्यादातर व्यापारी मंडी नहीं पहुंच रहे हैं.

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खेतों में लगे अनानास

महामारी के डर से नहीं आ रहे व्यापारी
अनानस देश के अन्य राज्य दिल्ली, वाराणसी, लखनऊ, कोलकाता, मेरठ इत्यादी राज्यों से व्यापारी खरीदने के लिए किशनगंज आते हैं, लेकिन कोरोना महामारी के डर से इस साल व्यापारी फल खरीदने नहीं आ रहे हैं. जिसके कारण खेतों में लगे फल पककर खेत में ही खराब हो रहे हैं.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

अनानास की खेती से होता था फायदा
किसानों का कहना है कि किशनगंज में धान गेंहू की फसल नहीं होती है और ना ही किसी भी तरह का कल कारखाना है. फिर यहां के किसानों ने अनानास की खेती शुरू की. जल्द ही हमारे जिले के अनानास पूरे देश में जाने लगे. हम लोग एक अनानस 30 से 35 रुपये में बेचते थे. जिससे हमें अच्छा मुनाफा होता था. लेकिन इस साल खरीदार नहीं आने से फल पककर खराब हो रहे हैं.

ये भी पढ़ेंः चक्रवाती तूफान अम्फान : पटना और रांची से NDRF की पांच टीमों को भेजा गया ओडिशा और बंगाल

सरकार से किसानों की मांग
किसानों ने कहा कि अगर जिले में भंडारण की व्यवस्था होती तो किसानों को नुकसान नहीं सहना पड़ता. सरकार से इनकी मांग है कि इन्हें आर्थिक मदद दी जाए और जो ऋण लेकर इन्होंने खेती की है उसे माफ किया जाए.

किशनगंज: बिहार में सबसे ज्यादा अनानास उत्पादन करने वाला जिला किशनगंज के किसान बेहाल हैं. ये किसान दिन रात मेहनत करके फल उगाते हैं. लेकिन लॉकडाउन के कारण इनके अनानास खेत में ही पककर नष्ट हो रहे हैं. लगभग 5 हजार बीघे में किशनगंज में अनानस की खेती होती है. सरकार ऐसे किसानों पर ध्यान नहीं दे रही है.

पक पर बर्बाद हो रहे अनानास
कोरोना संक्रमण को देखते हुए लॉकडाउन का चौथा चरण भी शुरू हो चुका हैं, मजदूर खेतों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं, इसका सीधा असर अनानास के उत्पादन पर पड़ रहा है. जिसकी वजह से किसानों के सामने आर्थिक समस्या उत्पन्न होने लगी है. अधिकांश किसानों की खेतों में अनानास के फल पककर तैयार हो गए हैं, जो खेत में ही नष्ट हो रहे हैं.

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अनानास

5 हजार बीघे में होती है अनानास की खेती
किसान अपने तैयार अनानास को बाजारों तक पहुंचाने में असमर्थ हैं. आपको बता दें कि किशनगंज में लगभग 5000 बीघे में अनानास की खेती होती है. जिले में उत्पादित अनानास की एकमात्र मंडी प्रखंड सीमा से पश्चिम बंगाल का विधाननगर है. अनानास खरीद करने वाले ज्यादातर व्यापारी मंडी नहीं पहुंच रहे हैं.

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खेतों में लगे अनानास

महामारी के डर से नहीं आ रहे व्यापारी
अनानस देश के अन्य राज्य दिल्ली, वाराणसी, लखनऊ, कोलकाता, मेरठ इत्यादी राज्यों से व्यापारी खरीदने के लिए किशनगंज आते हैं, लेकिन कोरोना महामारी के डर से इस साल व्यापारी फल खरीदने नहीं आ रहे हैं. जिसके कारण खेतों में लगे फल पककर खेत में ही खराब हो रहे हैं.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

अनानास की खेती से होता था फायदा
किसानों का कहना है कि किशनगंज में धान गेंहू की फसल नहीं होती है और ना ही किसी भी तरह का कल कारखाना है. फिर यहां के किसानों ने अनानास की खेती शुरू की. जल्द ही हमारे जिले के अनानास पूरे देश में जाने लगे. हम लोग एक अनानस 30 से 35 रुपये में बेचते थे. जिससे हमें अच्छा मुनाफा होता था. लेकिन इस साल खरीदार नहीं आने से फल पककर खराब हो रहे हैं.

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सरकार से किसानों की मांग
किसानों ने कहा कि अगर जिले में भंडारण की व्यवस्था होती तो किसानों को नुकसान नहीं सहना पड़ता. सरकार से इनकी मांग है कि इन्हें आर्थिक मदद दी जाए और जो ऋण लेकर इन्होंने खेती की है उसे माफ किया जाए.

Last Updated : May 22, 2020, 9:33 AM IST
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