किशनगंज: जिले में कालापानी के नाम से चर्चित फिल्टर्ड वाटर प्लांट का काला कारोबार फलफूल रहा है. पेयजल गुणवत्ता की बिना जांच किए और एनओसी के ही पेयजल का धंधा किया जा रहा है. ऐसे में पानी की गुणवत्ता को लेकर सवाल उठने लगे हैं. वहीं, शुद्ध पेयजल आपूर्ति के लिए जिम्मेदार पीएचईडी मसले से अपना पल्ला झाड़ रहा है.
बिना लाइसेंस के फिल्टर पानी बेचना अवैध
बता दें कि शहर में लगभग 20 लीटर वॉटर के नाम पर प्लान चल रहा है. जार में बेचे जाने वाले पानी के लिए गुणवत्ता सहित अन्य जरूरी लाइसेंस लेना अनिवार्य है. ऐसे में बिना लाइसेंस के फिल्टर पानी बेचना अवैध है. हैरानी की बात तो ये है कि फिल्टर्ड वॉटर बताकर 20 से 25 रुपये में बेचे जाने वाले पानी की गुणवत्ता का प्रमाण न पानी सप्लायर के पास और न ही किसी अधिकारी के पास है.
नहीं है आईएसआई मार्क का प्रमाण
पानी के काले कारोबार की जानकारी होने के बावजूद प्रशासन मूकदर्शक बना हुआ है. शहर में लगभग 20 और जिले में 80 के करीब ऐसे सप्लायर हैं, जिनके पास आईएसआई मार्क का प्रमाण नहीं है. इस पानी से लोगों की सेहत के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. यह धंधा शहर के हर गली मोहल्ले में जोर-शोर से चल रहा है. साथ ही शादी पार्टियों में भी यही पानी फिल्टर्ड के नाम पर इस्तेमाल किया जाता है.
'लोगों को जल्द ही मिलेगा शुद्ध पानी'
वहीं, पीएचईडी के मुख्य अभियंता पवन कुमार ने बताया कि शहर में जितने भी निजी फिल्टर्ड वाटर सप्लाई किए जा रहे हैं, उनके पास लाइसेंस नहीं है. ये लोग अपनी मर्जी से फिल्टर्ड प्लांट लगाकर पानी बेच रहे हैं. उन्होंने कहा कि यह प्रशासनिक मामला है. नगर परिषद को इसके बारे में संज्ञान लेना चाहिए. वहीं, मुख्य अभियंता ने बताया कि हमारे विभाग की तरफ से बहुत तेजी में नल जल योजना के तहत कार्य किये जा रहे हैं. लोगों को जल्द ही शुद्ध पानी मिलेगा, जिससे उन्हें पानी खरीद कर नहीं पीना पड़ेगा.