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किशनगंज: सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों की अनदेखी कर घर लौट रहे प्रवासी मजदूर

प्रवासी मजदूर और विद्यार्थी भेड़-बकरियों की तरह बसों और ट्रकों में भरकर घर लौट रहे हैं. एक बस पर 70 से ज्यादा मजदूरों को लाया जा रहा है. सब कुछ जानते हुए भी सरकारी बाबू मामले से अंजान बने हुए हैं.

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Published : May 18, 2020, 2:08 PM IST

सोशल डिस्टेंसिंग नियमों की अनदेखी
सोशल डिस्टेंसिंग नियमों की अनदेखी

किशनगंज: ट्रेन और बस से प्रवासियों को उनके घर तक पहुंचाने की सरकारी घोषणाएं हवा-हवाई साबित हो रही हैं. बिहार सरकार ने प्रवासियों को लाने की घोषणा तो कर दी है. लेकिन, हकीकत इसके विपरित है. बिहार में प्रवासी मजदूर रोजाना बस और पिकअप से भेड़-बकरियों की तरह लदकर अपने गृह जिला लौट रहे हैं.

किशनगंज
ट्रकों में भरकर जा रहे हैं मजदूर

सोमवार को लगभग 400 से 500 यात्री सूरत से चलकर किसी तरह पूर्णिया तो आ गए, पर जब वे वहां से किशनगंज के लिए निकले तो प्रशासन ने उन्हें बस से उनके घरों तक भेजने की बात कही. जिसके बाद एक-एक बस में लगभग 70-75 विद्यार्थियों को बैठाकर किशनगंज भेजा जाने लगा. आलम ये था कि बसों में सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों की धज्जियां सरेआम उड़ाई गई.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

नियमों की अनदेखी प्रशासन की चुप्पी
किशनगंज एक सीमावर्ती जिला है. किशनगंज के सीमा से बंगाल और असम की राज्यीय सीमाओं के साथ ही नेपाल और बांग्लादेश की अंतरराष्ट्रीय सीमाएं भी लगती हैं. इन सभी सीमाओं पर चेक पोस्ट बनाये गए हैं. बता दें कि जिले में लगभग 2 दर्जन से ज्यादा चेकपोस्ट 24 घंटे चालू हैं. जहां, सैकड़ों कर्मचारियों की सहायता से यहां प्रवेश करने वाली सभी गाड़ियों का नंबर नोट किया जाता है. इन सबके बावजूद प्रशासन की नजर जानवरों की तरह इंसान ढोने वाले बस, पिकअप और ट्रकों पर नहीं पड़ रही है.

किशनगंज
प्रवासी छात्र

किशनगंज: ट्रेन और बस से प्रवासियों को उनके घर तक पहुंचाने की सरकारी घोषणाएं हवा-हवाई साबित हो रही हैं. बिहार सरकार ने प्रवासियों को लाने की घोषणा तो कर दी है. लेकिन, हकीकत इसके विपरित है. बिहार में प्रवासी मजदूर रोजाना बस और पिकअप से भेड़-बकरियों की तरह लदकर अपने गृह जिला लौट रहे हैं.

किशनगंज
ट्रकों में भरकर जा रहे हैं मजदूर

सोमवार को लगभग 400 से 500 यात्री सूरत से चलकर किसी तरह पूर्णिया तो आ गए, पर जब वे वहां से किशनगंज के लिए निकले तो प्रशासन ने उन्हें बस से उनके घरों तक भेजने की बात कही. जिसके बाद एक-एक बस में लगभग 70-75 विद्यार्थियों को बैठाकर किशनगंज भेजा जाने लगा. आलम ये था कि बसों में सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों की धज्जियां सरेआम उड़ाई गई.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

नियमों की अनदेखी प्रशासन की चुप्पी
किशनगंज एक सीमावर्ती जिला है. किशनगंज के सीमा से बंगाल और असम की राज्यीय सीमाओं के साथ ही नेपाल और बांग्लादेश की अंतरराष्ट्रीय सीमाएं भी लगती हैं. इन सभी सीमाओं पर चेक पोस्ट बनाये गए हैं. बता दें कि जिले में लगभग 2 दर्जन से ज्यादा चेकपोस्ट 24 घंटे चालू हैं. जहां, सैकड़ों कर्मचारियों की सहायता से यहां प्रवेश करने वाली सभी गाड़ियों का नंबर नोट किया जाता है. इन सबके बावजूद प्रशासन की नजर जानवरों की तरह इंसान ढोने वाले बस, पिकअप और ट्रकों पर नहीं पड़ रही है.

किशनगंज
प्रवासी छात्र
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