पटना: बिहार सरकार के तीन अलग-अलग विभागों में कार्यरत एक इंजीनियर पिछले 30 वर्षो से तीनों विभागों से वेतन भी उठा रहा था. यह बात सामने आने के बाद किशनगंज के एक थाने में इस अधिकारी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है और पुलिस जांच में जुटी हुई है.
इस पूरे मामले की जांच, सत्यापन और आरोपी की गिरफ्तारी के लिए टीम का गठन किया गया है. पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि पटना के पुनपुन के रहने वाले सुरेश राम को पहली बार 20 फरवरी, 1988 को पटना स्थित राज्य सड़क निर्माण विभाग में बतौर सहायक इंजीनियर नियुक्त किया गया था. अगले साल उसे जल संसाधन विभाग में नौकरी मिल गई, जहां उसने 28 जुलाई, 1989 को उसी शहर में कार्यभार संभाला. इसके बाद सुरेश को उसी साल जल संसाधन विभाग में भी नौकरी मिल गई और उसे सुपौल जिले के भीम नगर में नियुक्ति दी गई.
समय-समय पर मिलती रही पदोन्नति
आरोप है कि सुरेश तीन-तीन पदों पर एक साथ कार्य कर रहा था और उसे संबंधित विभाग से समय-समय पर पदोन्नति भी मिलती रही. इस फर्जीवाड़े का खुलासा तब हुआ, जब वित्त विभाग द्वारा नई वित्तीय प्रबंधन प्रणाली सेंटरलाइज्ड फंड मैनेजमेंट सिस्टम (सीएफएमएस) के तहत सरकारी कर्मचारी का वेतन और अन्य कार्यो की जानकारी के लिए आधार संख्या, पैन और जन्मतिथि डाली गई.
यहां-यहां है कार्यरत
फर्जीवाड़े के खुलासे के बाद सुरेश को राज्य के एक वरिष्ठ अधिकारी ने जब सभी प्रमाणपत्रों के साथ बुलाया तो वह फरार हो गया. सुरेश के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई है. सुरेश इस समय किशनगंज के भवन निर्माण विभाग में बतौर इंजीनियर कार्यरत है. जल संसाधन विभाग के अंतर्गत पूर्वी तटबंध भीमनगर (जिला सुपौल) वह इस विभाग में अवर प्रमंडल बेलहर (जिला बांका) में सहायक अभियंता है.
गिरफ्तारी के लिए बनायी गयी टीम
किशनगंज के पुलिस अधीक्षक कुमार आशीष ने बताया कि इंजीनियर सुरेश राम के खिलाफ किशनगंज स्थित भवन निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंता मधुसूदन कुमर कर्ण के लिखित आवेदन पर नगर थाना में प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है. उन्होंने बताया कि फरार इंजीनियर को गिरफ्तार करने के लिए अनमुंडल पुलिस अधिकारी अखिलेश सिंह के नेतृत्व में एक टीम बनाई गई है. पुलिस पूरे मामले की छानबीन कर रही है. उन्होंने कहा कि इस टीम में किशनंगज के थाना प्रभारी, जांचकर्ता नारायण सिंह सहित छह सदस्य हैं.
कुर्की जब्ती की लटकी तलवार
एसपी ने बताया कि सुरेश की गिरफ्तारी वारंट के लिए जांच अधिकारी को स्थानीय अदालत में प्रार्थनापत्र देने का निर्देश दिया गया है. कुमार आशीष ने कहा, 'अगर आरोपी की गिरफ्तारी नहीं होती है, तब कुर्की जब्ती के लिए भी अदालत से निवेदन किया जाएगा.'
स्थानीय अधिकारी की मिलीभगत से इनकार नहीं
सामान्य प्रशासन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि 30 वर्षो से कार्यरत सुरेश कुछ ही दिनों बाद सेवानिवृत्त भी होने वाला था. उनका मानना है कि कोई भी सरकारी कर्मचारी एक ही समय में अलग-अलग तीन स्थानों पर नौकरी कर ले, इसमें किसी स्थानीय अधिकारी की मिलीभगत से इनकार नहीं किया जा सकता. उन्होंने कहा कि पुलिस पूरे मामले की जांच कर रही है.