किशनगंजः जिले के मुस्लिम बहुल इलाके चूड़ीपट्टी में जब चूड़ियों की खनखनाहट सुनाई देती है तो समझो कि ईद के लिए कांच की चूड़ियां बाजारों में सज चुकी हैं. यहां खास बात यह है कि मग्रिब के नमाज के बाद से चूड़ी मेला शुरू होता है और अहले सुबह फज्र की नमाज के बाद समाप्त हो जाता है.
इस दौरान मुस्लिम महिलाएं घर से निकलकर कांच की चूड़ियां लेने चूड़ीपट्टी आती हैं. इस चूड़ी बाजार में 20 रुपये से लेकर 500 रुपये तक के दर्जन की चूड़ियां बिकती हैं. यह परंपरा पुराने समय से आज के आधुनिक समय तक भी चली आ रही हैं.
दम तोड़ती कांच की चूड़ियां
चूड़ीपट्टी का नाम इसी चूड़ी बाजार के कारण पड़ा था. एक समय यहां काफी तादाद में चूड़ियों के बाजार हुए करते थे. जहां दूर-दूर से महिलाएं चूड़ियां लेने आती थीं. लेकिन समय के साथ अब कांच की चूड़ियों ने बाजार में भी आर्टिफिशियल ज्वैलरी के चूड़ियों के सामने दम तोड़ रही हैं. लिहाजा कांच के चूड़ी व्यापार से जुड़े कारोबारी इस धंधे को छोड़कर रोजी रोटी के लिए दूसरे काम करने लगे हैं.
मेला सिमट कर रह गया
कुछ दशकों पहले तक यहां काफी संख्या में चूड़ियों की दुकान हुआ करती थी, लेकिन अब नाम मात्र दो-एक दुकानें ही रह गयी हैं. लेकिन आज भी ईद,बकरीद और मुस्लिम त्योहारों में बाहर से आकर यहां कांच की चूड़ियों का मेला लगाते हैं. कभी इस चूड़ी मेला का आकार काफी बड़ा हुआ करता था लेकिन अब चूड़ीपट्टी डाकघर के सामने सड़क किनारे सिमट कर रह गया है.
अतीत बन कर रह गया चूड़ी बजार
स्थानीय बुर्जुगों ने बताया कि कभी चांद रात में लगने वाले इस चूड़ी मेला में सिर्फ किशनगंज ही नहीं बल्कि आसपास के इलाके से भी महिलाएं आया करती थीं. अब वह अतीत हो चूका है अब सिर्फ नाम मात्र का चूड़ी मेला रह गया है.