किशनगंज: दिघलबैंक प्रखंड के अंतर्गत कई पंचायतों के दर्जनों गांव को जोड़ने वाली कनकई नदी पर पिछले 7 दशकों से लोग पैदल आवागमन कर रहे हैं. लगभग घुटने भर से ज्यादा पानी में लोगों को पैदल चलना भी मुश्किल हो रहा है. जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर दूर बह रही कनकई नदी के एक तरफ गोआबारि गांव है तो दूसरी तरफ हजारों की जनसंख्या वाले दर्जनों गांव है.
ये प्रखंड जिले के बहादुरगंज विधानसभा में पड़ता है और इस विधानसभा में 2010 से ही कांग्रेस पार्टी का कब्जा रहा है. प्रधानमंत्री सड़क योजना के तहत 3 करोड़ 50 लाख रुपए से पुल निर्माण की स्वीकृति मिली. जिसमें से लगभग 1 करोड़ 78 लाख रुपये की निकासी भी हो चुकी है. परंतु अभी तक इस नदी पर पुल का निर्माण पुरा नहीं हो सका. जिसके कारण आए दिन लोगों को अपनी जान हथेली पर लेकर पैदल या नाव के सहारे पार करना पड़ता है. कई दफा इस गांव के मरीजों की जान भी जा चुकी हैं.
कनकई नदी पर नहीं है तैयार पुल
एक तरफ जहां बिहार में जहां सुशासन बाबू की सरकार विकास के बड़े-बड़े दावे कर रही है. वहीं किशनगंज जिले के बहादुरगंज विधानसभा में दिघलबैंक प्रखंड के हजारों लोग अपनी जान हथेली पर रखकर पैदल नदी को पार करते हैं. बता दें कि इस नदी पर साल 2018 में ही प्रधानमंत्री सड़क योजना के तहत एक पुल पास हुआ. जिसकी अनुमानित लागत 3.5 करोड़ हैं. इसकी अनुमानित लागत 3.5 करोड़ में से 1.78 करोड़ रुपए संवेदक द्वारा कार्य दिखा कर निकाले गए. परंतु कार्य के नाम पर अभी तक सिर्फ पुल का पाया ही तैयार हो पाया है.
ग्रामीण है परेशान
पुल निर्माण कार्य को मार्च 2020 तक पुरा कर देना था. पुल के तैयार नहीं होने की वजह से स्थानीय लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि उन्हे दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. सबसे ज्यादा बुर्जुग, औरत, बच्चों और दिव्यांगों को आए दिन इस समस्या का सामना करना पड़ता है.
बारिश के मौसम में उफान पर होती है कनकई नदी
ग्रामीणों ने बताया कि पुल ना रहने के कारण सबसे अधिक कठिनाइयों का सामना पढ़ाई करने वाले छात्र और छात्राओं को होता है. साथ ही ग्रामीणों ने बताया कि सामान्य दिनों में तो हम नदी पैदल पार कर लेते हैं, परंतु बारिश के मौसम में काफी दिक्कत होती है. कनकई नदी उफान पर आ जाती है. जिससे आवागमन बाधित हो जाता है.