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चर्म कारखाना को मदद की दरकार, सरकारी उदासीनता के कारण मुश्किल में कई परिवार - खगड़िया डीएम अनिरुद्ध कुमार

कारीगरों का कहना है कि हम चाहते हैं कि सरकार हमारे लिए कुछ करे. जीवन यापन करने के लिए हमारे पास यही एक वर्षो पुराना कारखाना है.

चर्म कारखाना
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Published : Sep 4, 2019, 8:26 PM IST

खगड़िया: जिले के फरकिया का चर्म कारखाना विकास के लिए प्रशासन की राह देख रहा है. अनुसूचित जाति के रोजगार को लेकर इस उद्योग का निर्माण कराया गया था. कारखाना को कुछ लोगों ने अभी तक जीवित तो रखा गया है. लेकिन किसी प्रकार का कोई भी काम नहीं हो पा रहा है.

Khagaria
बदहाल अवस्था में भवन

अनुसूचित जाति के लिए बनाया गया था उद्योग
फरकिया चर्म उद्योग का निर्माण खास उस जाति के लिए किया गया था. जिनका पेशा चमड़ा से जुड़ा हुआ करता है. लेकिन आज के समय मे फरकिया चर्म उद्योग के कर्मी अपनी बदहाली पर आंसू बहाने के शिवाय कुछ नहीं कर पा रहे हैं. इस उद्योग को जीवित रखने के लिए सरकार की तरफ से ना कोई अनुदान मिल रहा है और ना ही किसी प्रकार की मदद दी जा रही है.

Khagaria
जर्जर अवस्था में भवन

सरकार से मदद की दरकार
जब यह कारखाना संचालित होता था तब तकरीबन 45 लोगों के पास अच्छा रोजगार हुआ करता था. लेकिन आज सभी वो 45 कारीगर इस उम्मीद में बैठे हैं कि कभी ना कभी सरकार की नींद खुलेगी और उनके उद्योग को एक नया जीवन मिलेगा. फरकिया चर्म कारखाना जिस भवन में चलता है वो भवन भी जर्जर अवस्था में है. लोगों ने बताया कि इस भवन का निर्माण 1987 में तत्कालीन मुख्यमंत्री ने किया था. तब से भवन में आज तक कोई मरम्मत का कार्य नहीं किया गया है.

Khagaria
चर्म कारखाना

लोगों को भी मिलेगा रोजगार
कारीगरों का कहना है कि सरकार उनके लिए कुछ करे. जीवन यापन करने का यही एक मात्र वर्षो पुराना कारखाना है. सरकार अनुदान दे, हम मेहनत करके इसको फिर से खड़ा कर देंगे. लेकिन इसके लिए सरकार को पूंजी देनी होगी. जिससे हम आधुनिक मशीन और मटेरियल खरीद सकें. कारखाना शुरू होने से बिहार के विकास के साथ-साथ लोगों को भी रोजगार मिलेगा. जिलाधिकारी अनिरुद्ध कुमार ने बताया कि उद्योग अगर शुरू हो जाता है तो लोगों के लिए बहुत ही लाभदायक होगा. सरकार की योजना के तहत हम इसका निर्माण कराने का प्रयास करेंगे.

चर्म कारखाना को मदद की जरूरत

खगड़िया: जिले के फरकिया का चर्म कारखाना विकास के लिए प्रशासन की राह देख रहा है. अनुसूचित जाति के रोजगार को लेकर इस उद्योग का निर्माण कराया गया था. कारखाना को कुछ लोगों ने अभी तक जीवित तो रखा गया है. लेकिन किसी प्रकार का कोई भी काम नहीं हो पा रहा है.

Khagaria
बदहाल अवस्था में भवन

अनुसूचित जाति के लिए बनाया गया था उद्योग
फरकिया चर्म उद्योग का निर्माण खास उस जाति के लिए किया गया था. जिनका पेशा चमड़ा से जुड़ा हुआ करता है. लेकिन आज के समय मे फरकिया चर्म उद्योग के कर्मी अपनी बदहाली पर आंसू बहाने के शिवाय कुछ नहीं कर पा रहे हैं. इस उद्योग को जीवित रखने के लिए सरकार की तरफ से ना कोई अनुदान मिल रहा है और ना ही किसी प्रकार की मदद दी जा रही है.

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जर्जर अवस्था में भवन

सरकार से मदद की दरकार
जब यह कारखाना संचालित होता था तब तकरीबन 45 लोगों के पास अच्छा रोजगार हुआ करता था. लेकिन आज सभी वो 45 कारीगर इस उम्मीद में बैठे हैं कि कभी ना कभी सरकार की नींद खुलेगी और उनके उद्योग को एक नया जीवन मिलेगा. फरकिया चर्म कारखाना जिस भवन में चलता है वो भवन भी जर्जर अवस्था में है. लोगों ने बताया कि इस भवन का निर्माण 1987 में तत्कालीन मुख्यमंत्री ने किया था. तब से भवन में आज तक कोई मरम्मत का कार्य नहीं किया गया है.

Khagaria
चर्म कारखाना

लोगों को भी मिलेगा रोजगार
कारीगरों का कहना है कि सरकार उनके लिए कुछ करे. जीवन यापन करने का यही एक मात्र वर्षो पुराना कारखाना है. सरकार अनुदान दे, हम मेहनत करके इसको फिर से खड़ा कर देंगे. लेकिन इसके लिए सरकार को पूंजी देनी होगी. जिससे हम आधुनिक मशीन और मटेरियल खरीद सकें. कारखाना शुरू होने से बिहार के विकास के साथ-साथ लोगों को भी रोजगार मिलेगा. जिलाधिकारी अनिरुद्ध कुमार ने बताया कि उद्योग अगर शुरू हो जाता है तो लोगों के लिए बहुत ही लाभदायक होगा. सरकार की योजना के तहत हम इसका निर्माण कराने का प्रयास करेंगे.

चर्म कारखाना को मदद की जरूरत
Intro:खगडिया
फरकिया चर्म उद्योग कारखाना आज अपने विकाश के लिए राह देख रहा है.अनुसूचित जाती के लिए निर्माण किया गया इस उधोग को देखने और सुनने वाला पूरे देश मे ऐसा कोई नही है।आज अपने जीणोद्धार के लिए फरकिया चर्म उधोग बाट तलाश रहा है


Body:खगडिया
फरकिया चर्म उद्योग कारखाना आज अपने विकाश के लिए राह देख रहा है.अनुसूचित जाती के लिए निर्माण किया गया इस उधोग को देखने और सुनने वाला पूरे देश मे ऐसा कोई नही है।आज अपने जीणोद्धार के लिए फरकिया चर्म उधोग बाट तलाश रहा है।
फरकिया चर्म उधोग का निर्माण खास उस जाती के लिए किया गया था जिनका पेशा चमड़ा से जुड़ा हुआ करता था लेकिन आज के समय मे फरकिया चर्म उधोग अपने बदहाली पर आँशु बहाने के शिवाय कुछ नही कर पा रहा है।इस उधोग को जीवित रखने के लिए सरकार के तरफ से ना कोई अनुदान मिल रहा है ना ही किसी अन्य प्रकार की मदद दी जा रही है।
फरकिया चर्म उधोग को कुछ लोगो के द्वारा जीवित तो रखा गया है लेकिन किसी प्रकार का रोजगार नही हो पा रहा है।
जब ये अच्छे तरीके से संचालित होता था तब तकरीबन 45 लोगो के पास एक अच्छा रोजगार हुआ करता था।लेकिन आज सभी वो 45 कारीगर इस आशा में बैठे है कि कभी ना कभी सरकार की नींद खुलेगी और उनके उधोग को एक नया जीवन मिल सकेगा।
फरकिया चर्म उधोग जिस भवन में चलता है वो भवन भी जर्जर अवस्था मे है कब पूरी तरह धरासाई हो जाय ये कहा नही जा सकता। आप को बता दे कि इस भवन का निर्माण 1987 में तत्कालीन मुख्यमंत्री के द्वारा किया गया था तब से भवन में आज तक कोई मेंटनन्स भी नही किया गया है।इस चर्म उधोग के कारीगरो का कहना है कि हम चाहते है सरकार हमारे लिए कुछ करे और जो जीवन यापन करने का ये वर्षो पुराना कारखाना है इसको अनुदान दे कर जीवित कर दे।कारीगर का कहना है कि हम मेहनत कर के इसको फिर से खड़ा कर देंगे बशर्ते सरकार कुछ पूंजी लगा दे।जिस से हम आधुनिक मशीन खरीद सके और रॉ मटेरियल खरीद सके।
जिला अधिकारी अनिरुद्ध कुमार ने भी माना है कि ये बहुत लाभदायक उधोग है सरकार की कोई योजना आय तो हम जरूर चाहेंगे कि इसका जनोरधार हो


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