खगड़िया: जिले के फरकिया का चर्म कारखाना विकास के लिए प्रशासन की राह देख रहा है. अनुसूचित जाति के रोजगार को लेकर इस उद्योग का निर्माण कराया गया था. कारखाना को कुछ लोगों ने अभी तक जीवित तो रखा गया है. लेकिन किसी प्रकार का कोई भी काम नहीं हो पा रहा है.
अनुसूचित जाति के लिए बनाया गया था उद्योग
फरकिया चर्म उद्योग का निर्माण खास उस जाति के लिए किया गया था. जिनका पेशा चमड़ा से जुड़ा हुआ करता है. लेकिन आज के समय मे फरकिया चर्म उद्योग के कर्मी अपनी बदहाली पर आंसू बहाने के शिवाय कुछ नहीं कर पा रहे हैं. इस उद्योग को जीवित रखने के लिए सरकार की तरफ से ना कोई अनुदान मिल रहा है और ना ही किसी प्रकार की मदद दी जा रही है.
सरकार से मदद की दरकार
जब यह कारखाना संचालित होता था तब तकरीबन 45 लोगों के पास अच्छा रोजगार हुआ करता था. लेकिन आज सभी वो 45 कारीगर इस उम्मीद में बैठे हैं कि कभी ना कभी सरकार की नींद खुलेगी और उनके उद्योग को एक नया जीवन मिलेगा. फरकिया चर्म कारखाना जिस भवन में चलता है वो भवन भी जर्जर अवस्था में है. लोगों ने बताया कि इस भवन का निर्माण 1987 में तत्कालीन मुख्यमंत्री ने किया था. तब से भवन में आज तक कोई मरम्मत का कार्य नहीं किया गया है.
लोगों को भी मिलेगा रोजगार
कारीगरों का कहना है कि सरकार उनके लिए कुछ करे. जीवन यापन करने का यही एक मात्र वर्षो पुराना कारखाना है. सरकार अनुदान दे, हम मेहनत करके इसको फिर से खड़ा कर देंगे. लेकिन इसके लिए सरकार को पूंजी देनी होगी. जिससे हम आधुनिक मशीन और मटेरियल खरीद सकें. कारखाना शुरू होने से बिहार के विकास के साथ-साथ लोगों को भी रोजगार मिलेगा. जिलाधिकारी अनिरुद्ध कुमार ने बताया कि उद्योग अगर शुरू हो जाता है तो लोगों के लिए बहुत ही लाभदायक होगा. सरकार की योजना के तहत हम इसका निर्माण कराने का प्रयास करेंगे.