खगड़िया: बिहार इन दिनों कोरोना संक्रमण और बाढ़ की दोहरी मार झेल रहा है. जिले में नदियों के जलस्तर में लगातार वृद्धि होने की वजह से बाढ़ की स्थिति भयावह होती जा रही है. कोसी और बागमती का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर बह रही है. वहीं, जिले की कई पंचायतों में बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया है. नदियों के जलस्तर में बढ़ोतरी से बाढ़ का पानी कई नए इलाकों में प्रवेश कर रहा है. दोनों नदियों के उफान पर होने की वजह से बाढ़ ग्रस्त इलाके से लोग अब ऊंचे स्थानों पर शरण ले रहे हैं. कई गांव से पलायन का सिलसिला शुरू हो गया है.
जिले में अब तक 7 प्रखंड के 27 पंचायत बाढ़ से प्रभावित हो चुके हैं. बाढ़ प्रभावित हो 21 पंचायत के 88 गांव कोसी और बागमती के बाढ़ के पानी पानी से घिर चुके हैं. इन इलाकों में जिला मुख्यालय से सड़क सम्पर्क टूट गया है. इन जगह पर घरों में पानी के प्रेवश करने से लोग अपनी जान बचाने के लिए सुरक्षित जगहों पर शरण ले रहे हैं. खगड़िया सदर प्रखंड के उत्तर मारर पंचायत के 10 गांव कोसी और बागमती के पानी से डूब चुके हैं. सैकड़ों परिवार बेघर हो चुका है. बाढ़ के विपदा झेल रहे उत्तर मारर के 10 गांव के लोग के बीच जाकर ईटीवी भारत संवाददाता ने जायजा लिया और लोगों की परेशानियों से रू-ब-रू हुए.
समस्याओं से जूझ रहे बाढ़ प्रभावित
ईटीवी भारत सवांददाता उन इलाकों के लोगों के बीच पहुंचे जिनका कोसी और बागमती के कहर में सब कुछ डूब चुका है. ऐसे में लोगों के सामने अब पलायन करने के अलावा कोई दूसरा उपाय नहीं बचा है. बाढ़ से घिरे लोगों ने अपना दुखड़ा ईटीवी भारत संवाददाता को सुनाया. बाढ़ प्रभावित लोगों के सामने खाने-पीने की समस्या उत्पन्न हो गई है. वहीं, पशुओ के लिए चारा नहीं है. बाढ़ की विभीषिका के दौरान लोगों को कई समस्याओं से जूझना पड़ रहा है. लोगों को सांप-बिच्छू से लेकर तमाम स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो रही है. बीमार पड़ने की स्तिथि में डॉक्टर के पास भी नहीं पहुंच पा रहे हैं.
प्रशासन पर ग्रामीणों का गंभीर आरोप
उत्तर मारर पंचायत के लोगों को प्रशासन की तरफ से नाव दी गई है, लेकिन पंचायत के मुखिया आजाद का कहना है कि पंचायत की आबादी के हिसाब से नाव कुछ भी नहीं. नाव इतनी छोटी है कि एक नाव में मात्र 10 लोग ही बैठ पाते हैं. वहीं, नाव छोटी होने की वजह से पानी में पलटने का भी डर सताता रहता है. ग्रामीणों ने प्रशासन पर आरोप लगाया है कि पंचायत में अब तक राहत शिविर नहीं लगाया गया है. दूसरी राहत शिविर वैसी जगह पर लगाए गए हैं, जंहा लोग पहुंच नहीं सकते.