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एक अस्पताल ऐसा, जहां मरीजों को नहीं मिलते डॉक्टर

स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने के लिए शासन स्तर पर कई योजनाएं चलाई जा रहीं हैं लेकिन डॉक्टरों, दवाओं और सुविधाओं की कमी के चलते शासकीय अस्पतालों में मरीजों को उपचार के लिए भटकना पड़ रहा है

मरीजों को नहीं मिलते डॉक्टर
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Published : Jun 2, 2019, 12:00 AM IST

खगड़ियाः जिले में कोई भी विभाग एसा नहीं है जो अपने कर्तव्यों को निष्ठा से निभाता होगा. आए दिन कोई न कोई ऐसी खबर आती रहती है जो खगड़िया प्रशासन पर सवाल खड़े कर देते हैं. शिक्षा व्यवस्था हो या स्वास्थ्य विभाग किसी भी विभाग में आपको उदासिनता ही देखने को मिलेगी.

स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने के लिए शासन स्तर पर कई योजनाएं चलाई जा रहीं हैं लेकिन डॉक्टरों, दवाओं और सुविधाओं की कमी के चलते शासकीय अस्पतालों में मरीजों को उपचार के लिए भटकना पड़ रहा है. ग्रामीण बताते हैं कि यहां एक ऐसे डॉक्टर की नियुक्ति है जिनको सप्ताह में तीन दिन आना होता है और एक एनएम है जिनको रोज आना होता है. लेकिन डॉक्टर तो छोड़िए एनएम तक यहां नहीं आते.

khagadia
मरीजों को नहीं मिलते डॉक्टर

अस्पताल में लाखों रुपय लगा कर भव्य तरीके से बनाया गया. हर तरह की सुविधा दी गई लेकिन इन सभी सुविधाओं को संचालित करने वाला कोई नहीं है. गर्भवती महिलाओं को गंदे चादर पर ही दिन काटना पड़ता है. रूटीन में लिखा हुआ न नास्ता मिलता है ना ही खाना. मजबूरन मरीजों को निजी क्लिनिक की तरफ रुख करना पड़ता है.

मरीजों को नहीं मिलते डॉक्टर

सरकार के दिये हुए सुविधा के बावजूद निजी क्लिनिक में हजारों रुपय खर्च करना पड़ता है. वहीं इस बात को जिला अधिकारी अनिरुद्ध कुमार भी मानते हैं. उन्होंने इस विषय में जांच करवाने की बात कही और नियुक्त डॉक्टरों के गलत पाय जाने पर कार्रवाई की जाएगी

खगड़ियाः जिले में कोई भी विभाग एसा नहीं है जो अपने कर्तव्यों को निष्ठा से निभाता होगा. आए दिन कोई न कोई ऐसी खबर आती रहती है जो खगड़िया प्रशासन पर सवाल खड़े कर देते हैं. शिक्षा व्यवस्था हो या स्वास्थ्य विभाग किसी भी विभाग में आपको उदासिनता ही देखने को मिलेगी.

स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने के लिए शासन स्तर पर कई योजनाएं चलाई जा रहीं हैं लेकिन डॉक्टरों, दवाओं और सुविधाओं की कमी के चलते शासकीय अस्पतालों में मरीजों को उपचार के लिए भटकना पड़ रहा है. ग्रामीण बताते हैं कि यहां एक ऐसे डॉक्टर की नियुक्ति है जिनको सप्ताह में तीन दिन आना होता है और एक एनएम है जिनको रोज आना होता है. लेकिन डॉक्टर तो छोड़िए एनएम तक यहां नहीं आते.

khagadia
मरीजों को नहीं मिलते डॉक्टर

अस्पताल में लाखों रुपय लगा कर भव्य तरीके से बनाया गया. हर तरह की सुविधा दी गई लेकिन इन सभी सुविधाओं को संचालित करने वाला कोई नहीं है. गर्भवती महिलाओं को गंदे चादर पर ही दिन काटना पड़ता है. रूटीन में लिखा हुआ न नास्ता मिलता है ना ही खाना. मजबूरन मरीजों को निजी क्लिनिक की तरफ रुख करना पड़ता है.

मरीजों को नहीं मिलते डॉक्टर

सरकार के दिये हुए सुविधा के बावजूद निजी क्लिनिक में हजारों रुपय खर्च करना पड़ता है. वहीं इस बात को जिला अधिकारी अनिरुद्ध कुमार भी मानते हैं. उन्होंने इस विषय में जांच करवाने की बात कही और नियुक्त डॉक्टरों के गलत पाय जाने पर कार्रवाई की जाएगी

Intro:खगडिया में विभागों की बात करे तो ऐसा कोई विभाग नही है जो अपने कर्तव्यो को निष्ठा से अच्छे से निभाता हो लगतार ऐसी खबर निकल कर जिले से आती है जो खगड़िया प्रसाशन पर उंगली उठाने के लिए काफी होते है। शिक्षा व्यवस्था की बात करे या स्वास्थ्य विभाग की बात करे आप किसी भी विभाग को उठा कर खंगाल ले हर जगह आप को नकामी दर्शन पहले होगी।


Body:खगडिया में विभागों की बात करे तो ऐसा कोई विभाग नही है जो अपने कर्तव्यो को निष्ठा से अच्छे से निभाता हो लगतार ऐसी खबर निकल कर जिले से आती है जो खगड़िया प्रसाशन पर उंगली उठाने के लिए काफी होते है। शिक्षा व्यवस्था की बात करे या स्वास्थ्य विभाग की बात करे आप किसी भी विभाग को उठा कर खंगाल ले हर जगह आप को नकामी दर्शन पहले होगी।
आज हम फिर से एक विफल विभागों में से एक स्वास्थ्य विभाग की खबर को ले कर आये है आप के पास ये एक अस्पताल से जुड़ा हुआ खबर है जो खगड़िया के चौथम प्रखंड में पड़ने वाला चौथम गांव के अस्पताल का है
यंहा हाल कुछ ऐसा है कि यंहा मरीज तो अस्पताल आते है किसी ना किसी बीमारी से छुटकारा पाने के लिए लेकिन यंहा नियुक्त डॉक्टर कभी दर्शन नही देते। ग्रामीण बताते है कि एक ऐसे डॉक्टर की नियुक्ति है जिनको सप्ताह में तीन दिन आना होता है और एक एन एम है जिनको रोज आना होता है लेकिन डॉक्टर तो छोड़िए एन एम भी नही आती। अस्पताल को लाखो रुपया लगा भव्य तरीके से बनाया गया हर तरह की सुविधा दी गई है लेकिन इन सभी सुविधाओ को संचालित करने वाला कोई नही है।गर्भवती महिलाओं को गंदे चादर पर ही दिन काटना पड़ता है रूटीन में लिखे हुआ न नास्ता मिलता है ना खाना। मरीज आते है और निरसा लिए हाथ मे अस्पताल से लौट जाते है मजबूरन उनको निजी क्लिनिक की तरफ रुख करना पड़ता है और सरकार के दिये हुए सुविधा के बावजूद हजारो रुपया खर्च करना पड़ता है निजी क्लिनिक में।
वही इस बात को जिला अधिकारी अनिरुद्ध कुमार भी मानते है कि हो सकता है आप की बात बिल्कुल सही हो यंहा के डॉक्टर ऐसे करते है । हम इस विषय एम जांच करवाते है और नियुक्त डॉक्टर गलत पाय जाते है तो कार्यवाई जरूर करेंगे।


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