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खगड़िया में बिना डॉक्टर के ही चल रहा रेलवे अस्पताल, नर्स करती है प्राथमिक उपचार

खगड़िया के रेलवे अस्पताल में डॉक्टर हमेशा नादारत रहते हैं. इस कारण यहां के रेलवे कर्माचारियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

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Published : Jun 8, 2019, 11:41 PM IST

रेलवे अस्पताल

खगड़िया: जिले के इकलौते रेलवे अस्पताल में डॉक्टर का घोर अभाव है. मानशी स्टेशन पर स्थित ये रेलवे स्टेशन बिना डॉक्टरों के ही संचालित होता है. इसका खामियाजा रेलवे पैसेंजर और रेलवे कर्मचारी को भुगतना पड़ता है.

डॉक्टर रहते हैं नादारद
आलम ऐसा है कि यहां मरीज तो आते हैं लेकिन डॉक्टर के दर्शन किए बिना ही उन्हें लौटना पड़ता है. अस्पताल कर्मचारियों का कहना है कि रेलवे ने यहां एक डॉक्टर को कॉन्ट्रैक्ट पर रखा है. लेकिन वो कभी अस्पताल नहीं आते हैं. उनका अपना एक निजी क्लिनिक है, वो उसी में काम करते हैं.

कर्मचारी का बयान

लाखों के खर्च से बना है अस्पताल
इस अस्पताल को लाखों रुपये के खर्च से बनाया गया है. यहां मरीजों हर तरह की सुविधा दी गई है. लेकिन इन सभी सुविधाओं के बावजूद इस अस्पताल को संचालित करने वाला कोई नहीं है. मरीज आते हैं और निरशा लिए हाथ में अस्पताल से लौट जाते हैं. मजबूरन उनको निजी क्लिनिक की तरफ रुख करना पड़ता है.

एक नर्स के भरोसे अस्पताल
आपातकालीन स्थिती के लिए अस्पताल में एक नर्स है जो महिला मरीजों का इलाज करती है. नर्स ने बताया कि इस अस्पताल में डॉक्टर नहीं है. अगर कोई मरीज यहां आता है तो उसका प्राथमिक उपचार कर उसे बरौनी स्थित अस्पताल में भेज दिया जाता है.

खगड़िया: जिले के इकलौते रेलवे अस्पताल में डॉक्टर का घोर अभाव है. मानशी स्टेशन पर स्थित ये रेलवे स्टेशन बिना डॉक्टरों के ही संचालित होता है. इसका खामियाजा रेलवे पैसेंजर और रेलवे कर्मचारी को भुगतना पड़ता है.

डॉक्टर रहते हैं नादारद
आलम ऐसा है कि यहां मरीज तो आते हैं लेकिन डॉक्टर के दर्शन किए बिना ही उन्हें लौटना पड़ता है. अस्पताल कर्मचारियों का कहना है कि रेलवे ने यहां एक डॉक्टर को कॉन्ट्रैक्ट पर रखा है. लेकिन वो कभी अस्पताल नहीं आते हैं. उनका अपना एक निजी क्लिनिक है, वो उसी में काम करते हैं.

कर्मचारी का बयान

लाखों के खर्च से बना है अस्पताल
इस अस्पताल को लाखों रुपये के खर्च से बनाया गया है. यहां मरीजों हर तरह की सुविधा दी गई है. लेकिन इन सभी सुविधाओं के बावजूद इस अस्पताल को संचालित करने वाला कोई नहीं है. मरीज आते हैं और निरशा लिए हाथ में अस्पताल से लौट जाते हैं. मजबूरन उनको निजी क्लिनिक की तरफ रुख करना पड़ता है.

एक नर्स के भरोसे अस्पताल
आपातकालीन स्थिती के लिए अस्पताल में एक नर्स है जो महिला मरीजों का इलाज करती है. नर्स ने बताया कि इस अस्पताल में डॉक्टर नहीं है. अगर कोई मरीज यहां आता है तो उसका प्राथमिक उपचार कर उसे बरौनी स्थित अस्पताल में भेज दिया जाता है.

Intro:खगड़िया और आसपास के 60 से 70 किलोमीटर के बीच में एकलौता रेलवे स्टेशन खगड़िया के मानशी स्टेशन पर है लेकिन हाल ये है कि ये अस्पताल बिना डॉक्टर के ही संचालित होता है और इसका खामियाजा रेलवे पैसेंजर और रेलवे कर्मचारी को भुगतना पड़ता है खास कर रेल की महिला कर्मचारियों को


Body:खगड़िया और आसपास के 60 से 70 किलोमीटर के बीच में एकलौता रेलवे स्टेशन खगड़िया के मानशी स्टेशन पर है लेकिन हाल ये है कि ये अस्पताल बिना डॉक्टर के ही संचालित होता है और इसका खामियाजा रेलवे पैसेंजर और रेलवे कर्मचारी को भुगतना पड़ता है खास कर रेल की महिला कर्मचारियों को।
यंहा हाल कुछ ऐसा है कि यंहा मरीज तो अस्पताल आते है किसी ना किसी बीमारी से छुटकारा पाने के लिए लेकिन यंहा नियुक्त डॉक्टर कभी दर्शन नही देते। अस्पताल कर्मचारियों का कहना है कि एक डॉक्टर जिनको रेलवे कॉन्ट्रैक्ट पर रखा है वो कभी अस्पताल में दर्शन नही देते और इसका कारण ये है कि डॉक्टर साहब का एक निजी क्लिनिक भी खगड़िया में चलता है। अस्पताल को लाखो रुपया लगा भव्य तरीके से बनाया गया हर तरह की सुविधा दी गई है लेकिन इन सभी सुविधाओ को संचालित करने वाला कोई नही है। मरीज आते है और निरसा लिए हाथ मे अस्पताल से लौट जाते है मजबूरन उनको निजी क्लिनिक की तरफ रुख करना पड़ता है और सरकार के दिये हुए सुविधा के बावजूद हजारो रुपया खर्च करना पड़ता है निजी क्लिनिक में।अस्पताल में एक नर्स है जो महिला मरीज का इलाज करती है ।पूछे जाने पर बताया गया कि डॉक्टर नही है तो मरीज को देखता कौन है तो बताया गया कि मरीज का प्रथमिक उपचार कर के बरौनी स्थित अस्पताल भेज दिया जाता है।


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