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खगड़िया के इस गांव का हाल-बेहाल, लोग कहते हैं- मत पूछो कैसे कटती है रात

खगड़िया गांव की स्थिति ये है कि सात निश्चय योजना के अंतर्गत किसी भी कार्य का नामो निशान तक यहां देखने को नहीं मिलता. आने-जाने के लिए यहां पगडंडी ही इनकी किस्मत में है.

बिहार में विकास
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Published : Apr 1, 2019, 9:22 PM IST

खगड़िया: जिला के दियारा क्षेत्र में पड़ने वाला मधुरा मुसहरी महादलित टोला आज भी विकास से कोसो दूर खड़ा है. मधुरा मुसहरी में करीब 200 घरों में मुसहर समाज के लोग रहते हैं. तकरीबन 1000 से 1200 के बीच इनकी आबादी है. यहां लोग शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य और घर जैसी बुनयादी सुविधाओं से पूरी तरह वंचित है.

साल 2002 में इंदिरा आवास के नाम पर इनमें से कुछ को एक-एक कमरे का घर मिला था. उस समय परिवार में सिर्फ पति और पत्नी हुआ करते थे. लेकिन आज 17 साल बीत गए और परिवार बढ़ कर 6 से 7 की संख्या तक पहुंच चुका है. फिर भी ये महादलित परिवार उसी एक कमरे वाले घर में रहने को विवश हैं.

जानकारी देते ग्रामीण

ग्रामीणों का क्या है कहना
सोनमा देवी का कहना कि परिवार में सास-ससुर, मेरे पति और हम और हमारे 3 बेटा और 2 बहू है. फिर भी हम सभी एक ही कमरे में सोते हैं. गर्मी का मौसम है तो बाहर भी रात काट लेते हैं. लेकिन बारिश और ठंड हो तो, शर्म हया को ताक पर रख के एक ही कमरे में रात काटनी पड़ती है.

कहां है सात निश्चय योजना
स्थिति ये है कि सात निश्चय योजना के अंतर्गत किसी भी कार्य का नामो निशान तक यहां देखने को नहीं मिलता. आने-जाने के लिए यहां पगडंडी ही इनकी किस्मत में है. गरीबी ऐसी है कि घर के मालिक एक वक्त की खुराक नहीं जुटा पाते. आज समाज के अंतिम पायदान पर यहां के लोग ऐसी परिस्थिति में है कि ये लोग अपने भाग्य को दोषी ठहरा रहे हैं.

लोकतंत्र से उठा भरोसा
यहां के लोगों का लोकतांत्रिक प्रक्रिया से भरोसा टूटता नजर आ रहा है. इन लोगों का कहना है कि कोई अधिकारी हो या कोई नेता,मंत्री हमारी सुध लेने कभी कोई नहीं आता है. इन्हें सिर्फ वोट के नाम पर ठगना आता है और जीत कर दिल्ली पटना में बैठ जाते हैं.

खगड़िया: जिला के दियारा क्षेत्र में पड़ने वाला मधुरा मुसहरी महादलित टोला आज भी विकास से कोसो दूर खड़ा है. मधुरा मुसहरी में करीब 200 घरों में मुसहर समाज के लोग रहते हैं. तकरीबन 1000 से 1200 के बीच इनकी आबादी है. यहां लोग शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य और घर जैसी बुनयादी सुविधाओं से पूरी तरह वंचित है.

साल 2002 में इंदिरा आवास के नाम पर इनमें से कुछ को एक-एक कमरे का घर मिला था. उस समय परिवार में सिर्फ पति और पत्नी हुआ करते थे. लेकिन आज 17 साल बीत गए और परिवार बढ़ कर 6 से 7 की संख्या तक पहुंच चुका है. फिर भी ये महादलित परिवार उसी एक कमरे वाले घर में रहने को विवश हैं.

जानकारी देते ग्रामीण

ग्रामीणों का क्या है कहना
सोनमा देवी का कहना कि परिवार में सास-ससुर, मेरे पति और हम और हमारे 3 बेटा और 2 बहू है. फिर भी हम सभी एक ही कमरे में सोते हैं. गर्मी का मौसम है तो बाहर भी रात काट लेते हैं. लेकिन बारिश और ठंड हो तो, शर्म हया को ताक पर रख के एक ही कमरे में रात काटनी पड़ती है.

कहां है सात निश्चय योजना
स्थिति ये है कि सात निश्चय योजना के अंतर्गत किसी भी कार्य का नामो निशान तक यहां देखने को नहीं मिलता. आने-जाने के लिए यहां पगडंडी ही इनकी किस्मत में है. गरीबी ऐसी है कि घर के मालिक एक वक्त की खुराक नहीं जुटा पाते. आज समाज के अंतिम पायदान पर यहां के लोग ऐसी परिस्थिति में है कि ये लोग अपने भाग्य को दोषी ठहरा रहे हैं.

लोकतंत्र से उठा भरोसा
यहां के लोगों का लोकतांत्रिक प्रक्रिया से भरोसा टूटता नजर आ रहा है. इन लोगों का कहना है कि कोई अधिकारी हो या कोई नेता,मंत्री हमारी सुध लेने कभी कोई नहीं आता है. इन्हें सिर्फ वोट के नाम पर ठगना आता है और जीत कर दिल्ली पटना में बैठ जाते हैं.

Intro:खगड़िया जिला के दियारा क्षेत्र में पड़ने वाला मधुरा मुसहरी महादलित टोला आज भी विकाश से कोसो दूर खड़ी महसूस हो रही है।मधुरा मुसहरी में करीब 200 घरों में मुसहर समाज के लोग रहते है। तकरीबन 1000 से 1200 के बीच इनकी आबादी है।यह लोग शिक्षा,रोजगार, स्वास्थ्य व घर जैसे बुनयादी सुविधाओ से पूरी तरह वंचित है।


Body:खगड़िया जिला के दियारा क्षेत्र में पड़ने वाला मधुरा मुसहरी महादलित टोला आज भी विकाश से कोसो दूर खड़ी महसूस हो रही है।मधुरा मुसहरी में करीब 200 घरों में मुसहर समाज के लोग रहते है। तकरीबन 1000 से 1200 के बीच इनकी आबादी है।यह लोग शिक्षा,रोजगार, स्वास्थ्य व घर जैसे बुनयादी सुविधाओ से पूरी तरह वंचित है।साल 2002 में इंद्र आवास के नाम पर इनमें से कुछ को एक -एक कमरे का घर मिला था तब परिवार में सिर्फ पति और पत्नी हुआ करते थे लेकिन आज 17 साल बीत गए और परिवार बढ़ कर 6 से 7 की संख्या तक पहुच चुका है।फिर भी ये महादलित परिवार उसी एक कमरे वाले घर मे रहने को विवश है

कहती है सोनम देवी
सोनमा देवी का कहना की मेरे परिवार में सास-ससुर,मेरे पति और हम और हमारे 3 बेटा और 2 बहू है फिर भी हम सभी एक ही कमरे में सोते है गर्मी का मौसम है तो बाहर कहि भी रात काट लिए। लेकिन यही बारिश या ठंड हो तो शर्म हया को ताख पर रख के एक ही कमरे में रात काटनी पड़ती है।

स्थिति ये है कि सात निश्चय योजना में एक भी कार्य का नामोनिशान यंहा पर देखने को नही मिलेगा।आने जाने के लिए पगडंडी ही इनकी किस्मत में है।गरीबी ऐसी की की एक वक्त का खुराक नही जुटा पाते घर के मालिक ।मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री का सारा एलान धरा का धरा राह गया।आज समाज के अंतिम पायदान पर यह लोग की परिस्थिति ऐसी है कि ये लोग अपने भाग्य को दोषी ठहरा रहे है इस लोकतांत्रिक प्रक्रिया से इन लोगो का भरोसा टूटता नजर आ रहा है।इन लोगो का कहना है कि कोई अधिकारी कोई नेता,मंत्री हमरा सुध लेने कभी नही आते है।सिर्फ वोट ठगने आते है और जीत कर दिल्ली पटना में बैठ जाते है।
और विडम्बना ये देखिए कि इनके बच्चो को नजदीकी विद्यालय में पढ़ाने से मना कर दिया जाता है,महादलित टोला के बच्चे कहते है कि हमारे पंचायत में विद्यालय नही है और दूसरे पंचायत में स्थित सरकारी विद्यालय में जाते है तो वहां के मास्टर साहब लोग हमें पढ़ाने से इनकार कर देते है और भगा देते है।क्या ऐसे बनेगा श्रेस्ठ भारत ? क्या ऐसे होगा सबका साथ सब का विकाश ? इस बच्चे की बात अपने पीछे एक बड़ा प्रश्न खड़ा करती है



विकाश मित्रो को चयनित किया गया था महादलितों और सरकार के बीच कड़ी के काम के लिए

सरकार ने बिहार महादलित विकास मिशन अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति विभाग सही कल्याणकारी योजनाओं को दलितों महादलित तो तक पहुंचा रे के लिए उन समुदाय के बीच से एक कड़ी के रूप में विकास मित्र का चैन किया गया था इनके माध्यम से ही सरकार की मंशा थी कि महादलित परिवारों की आर्थिक समाजिक शैक्षणिक एवं जीविकोपार्जन के साधन की सभी योजनाओं को उक्त समुदाय के लाभ को तक सही ढंग से पहुंचे इन विकास मित्रों को सरकार द्वारा साइकिल भी उपलब्ध कराई गई ताकि वे अपने अपने पंचायतों में घूम सके और महादलित भाई बहनों को जागरुक कर सके




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