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खगड़िया: जुगाड़ टेक्नोलॉजी का लिया सहारा, ट्यूव और नाद के जरिए घर पहुंच रहे बाढ़ पीड़ित

बाढ़ पीड़ितों ने बताया कि नाव नहीं रहने के कारण मजबूरी में जुगाड़ टेक्नोलॉजी के सहारे बनाए नाव से आना-जाना पड़ रहा है. जिससे पार करने में डर लगता है. लेकिन कोई साधन नहीं रहने से इसी के सहारे पार करना पड़ रहा है.

बाढ़
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Published : Sep 25, 2019, 4:31 PM IST

खगड़िया: जिले में गंगा और गंडक नदी के जलस्तर में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. जिसके चलते सदर के 4 प्रखंड के 22 पंचायत बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हैं. बाढ़ से सबसे ज्यादा परेशानी निचले इलाकों में रहने वाले लोगों को हो रही है. आने-जाने के लिए नाव की सुविधा ना होने के चलते स्थानीय लोग जुगाड़ टेक्नोलॉजी का सहारा ले रहे हैं.

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बांस का चचरी लगाकर बनाया नाव

चचरी से बनाया नाव
बाढ़ पीड़ित ट्यूब पर बांस की चचरी लगाकर नाव के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं. जिसके सहारे वो बाढ़ के पानी में आना-जाना कर रहे हैं. इसके चलते कभी भी कोई बड़ी दुर्घटना हो सकती है. वहीं कुछ लोग तो मवेशी को चारा खिलाने वाले नाद को ही नाव बनाकर उसका उपयोग कर रहे हैं. जिसमें रोजमर्रा का सामान लाते हैं.

जुगाड़ टेक्नोलॉजी के सहारे लोग कर रहे आवागमन

ट्यूव और नाद बना सहारा
बाढ़ पीड़ितों ने बताया कि नाव नहीं रहने के कारण मजबूरी में जुगाड़ टेक्नोलॉजी के सहारे बनाए नाव से आना-जाना हो रहा है. जिससे पार करने में डर लगता है. लेकिन कोई साधन नहीं रहने से इसी के सहारे पार करना पड़ रहा है. ट्यूव और नाद आम लोगों के आने जाने का एक मात्र सहारा बन गया है.

खगड़िया: जिले में गंगा और गंडक नदी के जलस्तर में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. जिसके चलते सदर के 4 प्रखंड के 22 पंचायत बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हैं. बाढ़ से सबसे ज्यादा परेशानी निचले इलाकों में रहने वाले लोगों को हो रही है. आने-जाने के लिए नाव की सुविधा ना होने के चलते स्थानीय लोग जुगाड़ टेक्नोलॉजी का सहारा ले रहे हैं.

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बांस का चचरी लगाकर बनाया नाव

चचरी से बनाया नाव
बाढ़ पीड़ित ट्यूब पर बांस की चचरी लगाकर नाव के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं. जिसके सहारे वो बाढ़ के पानी में आना-जाना कर रहे हैं. इसके चलते कभी भी कोई बड़ी दुर्घटना हो सकती है. वहीं कुछ लोग तो मवेशी को चारा खिलाने वाले नाद को ही नाव बनाकर उसका उपयोग कर रहे हैं. जिसमें रोजमर्रा का सामान लाते हैं.

जुगाड़ टेक्नोलॉजी के सहारे लोग कर रहे आवागमन

ट्यूव और नाद बना सहारा
बाढ़ पीड़ितों ने बताया कि नाव नहीं रहने के कारण मजबूरी में जुगाड़ टेक्नोलॉजी के सहारे बनाए नाव से आना-जाना हो रहा है. जिससे पार करने में डर लगता है. लेकिन कोई साधन नहीं रहने से इसी के सहारे पार करना पड़ रहा है. ट्यूव और नाद आम लोगों के आने जाने का एक मात्र सहारा बन गया है.

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खगड़िया में गंगा और गंडक नदी के जलस्तर में लगातार वृद्धि अभी भी हो रही है जिले के चार प्रखंड के 80 हजार की आबादी वाढ में जलमग्न है। सबसे ज्यादा परेशानी निचले इलाकों में रहने वाले लोगों को हो रही है आवागमन का सुविधा के लिए नाव की संख्या कम होने के कारण लोग जुगाड़ टेक्नोलॉजी के सहारे आवागमन कर रहे हैं ।Body:
खगड़िया में गंगा और गंडक नदी के जलस्तर में लगातार वृद्धि अभी भी हो रही है जिले के चार प्रखंड के 80 हजार की आबादी वाढ में जलमग्न है। सबसे ज्यादा परेशानी निचले इलाकों में रहने वाले लोगों को हो रही है आवागमन का सुविधा के लिए नाव की संख्या कम होने के कारण लोग जुगाड़ टेक्नोलॉजी के सहारे आवागमन कर रहे हैं कई जगहों पर देखा जा रहा है कि बाढ़ पीड़ित ट्यूब का नाव बनाकर आवागमन कर रहे हैं वह भी पूरे परिवार के साथ। जिसके कारण कभी भी बङी घटना घट सकती है । आप विजुअल में देख सकते हैं कि किस तरह ट्युव पर बांस का चचरी डालकर जुगाङ नाव बनाया है। वहीं कुछ लोग मबेशी को खिलाने वाला नाद को ही नाव बना लिया है और रोजमर्रा के समान के साथ उसमें बैठकर घर तक पहुंच रहें हैं । बाढ़ पीड़ितों ने बताया कि नाव नहीं रहने के कारण मजबूरी में जुगाड़ टेक्नोलॉजी के सहारे बनाये नाव से आवागमन करना पड़ रहा है। जिससे पार करने में डर तो लगता है लेकिन कोई साधन नहीं रहने से इसी के सहारे पार करना पङता है। रात हो या दिन यही ट्यूव या नाद आमलोगो के आने जाने का एक मात्र सहारा है।
BYTE-1 मोहन यादव, नाद से पार करते बाढ पीड़ितConclusion:
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