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आयुष्मान भारत कार्ड देख IGIMS ने भर्ती मरीज को निकाला, स्वास्थ्य मंत्री की सिफारिश भी नहीं आई काम

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Published : Mar 6, 2019, 5:55 PM IST

आयुष्मान भारत गोल्डेन कार्ड धारक स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे के यहां गया. वहां पर मंगल पांडे के पीए संदीप उपाध्याय ने एक पर्ची पर लिखकर अस्पताल को संदेश भेजा कि मरीज का बेहतर इलाज और उचित सुविधा दी जाये, लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने इस संदेश को भी सिरे से खारिज कर दिया.

पीड़ित मरीज

खगड़िया: जहां एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आयुष्मान भारत योजना लॉन्च कर गरीबों के इलाज का जिम्मा उठाया है, तो वहीं पटना के आईजीआईएमएस ने इस स्कीम को नजरअंदाज कर दिया है. हद तो तब हो गई जब स्वास्थ्य मंत्री के कार्डधारक की सिफारिश करने के बावजूद अस्पताल ने उन्हें ठेंगे पर रखा.

पर्चियां दिखाता पीड़ित मरीज

पहले भर्ती कर लिया
दरअसल आईजीएमएस में लीवर का इलाज कराने पहुंचे एक मरीज को पहले तो भर्ती कर लिया गया, लेकिन आयुष्मान भारत योजना के तहत बने गोल्डन कार्ड की कॉपी लगाने पर उसे बाहर कर दिया गया. जिसके बाद मरीज 4 दिनों तक अस्पताल के बाहर ही पड़ा रहा लेकिन उसे बेड अलॉट नहीं किया गया.

आयुष्मान भारत का बना मजाक
मरीज खगड़िया का रहने वाला है. उसका नाम है चंदन दास, उसने बताया कि आईजीआईएमएस में पहले तो भर्ती कर लिया गया, लेकिन बाद में आयुष्मान भारत का गोल्डेन कार्डधारक होने पर उसे बाहर कर दिया गया और अस्पताल में बेड खाली नहीं होने का बहाना बना दिया गया.

स्वास्थ्य मंत्री की सिफारिश भी नहीं आई काम
मरीज चंदन ने बताया कि इस मामले को लेकर वह स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे के यहां गया. वहां पर मंगल पांडे के पीए संदीप उपाध्याय ने एक पर्ची पर लिखकर अस्पताल को संदेश भेजा कि मरीज का बेहतर इलाज और उचित सुविधा दी जाये, लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने इस संदेश को भी सिरे से खारिज कर दिया.

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निराश होकर घर लौटा मरीज
पीड़ित ने बताया कि वह अस्पताल के बाहर गेट पर सड़क के किनारे खुले आसमान के नीचे 4 दिन और 4 रात पड़ा रहा, और लगातार अस्पताल के डॉक्टर और कर्मचारियों से गुहार लगाता रहा लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने उसकी एक ना सुनी. जिसके बाद परेशान होकर वह अपने परिजनों के साथ वापस घर लौट गया.

खगड़िया: जहां एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आयुष्मान भारत योजना लॉन्च कर गरीबों के इलाज का जिम्मा उठाया है, तो वहीं पटना के आईजीआईएमएस ने इस स्कीम को नजरअंदाज कर दिया है. हद तो तब हो गई जब स्वास्थ्य मंत्री के कार्डधारक की सिफारिश करने के बावजूद अस्पताल ने उन्हें ठेंगे पर रखा.

पर्चियां दिखाता पीड़ित मरीज

पहले भर्ती कर लिया
दरअसल आईजीएमएस में लीवर का इलाज कराने पहुंचे एक मरीज को पहले तो भर्ती कर लिया गया, लेकिन आयुष्मान भारत योजना के तहत बने गोल्डन कार्ड की कॉपी लगाने पर उसे बाहर कर दिया गया. जिसके बाद मरीज 4 दिनों तक अस्पताल के बाहर ही पड़ा रहा लेकिन उसे बेड अलॉट नहीं किया गया.

आयुष्मान भारत का बना मजाक
मरीज खगड़िया का रहने वाला है. उसका नाम है चंदन दास, उसने बताया कि आईजीआईएमएस में पहले तो भर्ती कर लिया गया, लेकिन बाद में आयुष्मान भारत का गोल्डेन कार्डधारक होने पर उसे बाहर कर दिया गया और अस्पताल में बेड खाली नहीं होने का बहाना बना दिया गया.

स्वास्थ्य मंत्री की सिफारिश भी नहीं आई काम
मरीज चंदन ने बताया कि इस मामले को लेकर वह स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे के यहां गया. वहां पर मंगल पांडे के पीए संदीप उपाध्याय ने एक पर्ची पर लिखकर अस्पताल को संदेश भेजा कि मरीज का बेहतर इलाज और उचित सुविधा दी जाये, लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने इस संदेश को भी सिरे से खारिज कर दिया.

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निराश होकर घर लौटा मरीज
पीड़ित ने बताया कि वह अस्पताल के बाहर गेट पर सड़क के किनारे खुले आसमान के नीचे 4 दिन और 4 रात पड़ा रहा, और लगातार अस्पताल के डॉक्टर और कर्मचारियों से गुहार लगाता रहा लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने उसकी एक ना सुनी. जिसके बाद परेशान होकर वह अपने परिजनों के साथ वापस घर लौट गया.

Intro:बिहार में पैसे पर सब कुछ बिकता है। हम बात कर रहे हैं बिहार के सबसे बड़े अस्पताल में शुमार आईजीएमएस की जहां पैसों वालों का ही बोलबाला है, बेड से लेकर दवाइयों तक हर चीज के लिए रेट फिक्स है।


Body:बिहार में पैसे पर सब कुछ बिकता है। हम बात कर रहे हैं बिहार के सबसे बड़े अस्पताल में शुमार आईजीएमएस की जहां पैसों वालों का ही बोलबाला है, बेड से लेकर दवाइयों तक हर चीज के लिए रेट फिक्स है। सारी चीजें मन मुताबिक मिलती हैं बिहार के कोने कोने से लोग आईजीएमएस अस्पताल में इलाज कराने जाते हैं। लेकिन बेचारे गरीबों के पास ना सिफरिश होती है और ना ही जेब में पैसे, फिर उन्हें जमीन ही नसीब होती है और वह जमीन आईजीएमएस अस्पताल परिसर के बाहर ही मिलती है एक ऐसे मरीज की हम बात कर रहे हैं जो जो बिहार के सुदूर इलाके से बेहतर इलाज की ख्वाहिश लेकर पटना जाते हैं। खगड़िया के रहने वाले है मरीज चन्दन कुमार दास अपनी लिवर की समस्या लेकर आईजीएमएस पटना गए थे। जहां पर पहले इन्हें भर्ती कर लिया गया लेकिन जैसे ही उसने अपने पर्चा में आयुष्मान भारत योजना के तहत बने हुए गोल्डन कार्ड का फोटो कॉपी पर्चे में लगाया, वैसे ही वहां के डॉक्टर आशीष कुमार झा ने साफ मना कर दिया अस्पताल की में बेड खाली नहीं है। मरीज भटकता हुआ स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे के यहां गया। वहां पर मंगल पांडे के पीए संदीप उपाध्य ने एक पर्ची पर लिखकर अस्पताल को संदेश दिए कि मरीज का बेहतर इलाज और उचित सुविधा दी जाय। लेकिन अस्पताल प्रबंधन को इस दिए गए पर्चे से कोई अंतर नहीं पड़ा और मरीज को बेड तक नहीं दी गई। मरीज अस्पताल के बाहर गेट पर सड़क के किनारे खुले आसमान के नीचे 4 दिन और 4 रात पड़ा रहा, और लगातार अस्पताल के डॉक्टर और कर्मचारियों से गुहार लगाते रहा की एक बेड दे दिया जाए लेकिन अस्पताल प्रबंधनने एक ना सुनी। खगड़िया के गोगरी प्रखंड के निवासी चंदन दास मरीज और उनके परिजन रंजीत दास ने आईजीएमएस अस्पताल के डॉक्टर और वहां के अस्पताल प्रबंधन पर आरोप लगाया है कि सभी दलालों के चंगुल में है ।दलाल अस्पताल प्रबंधक को और डॉक्टर को मोटी रकम देते हैं और पैसे वाले मरीजों को सुविधा दिलाते हैं मरीज ने ETV BHARAT से बात करते हुए बताया कि 4 फेबरवरी से 7 फेबरवरी तक हमलोग अस्पताल के बाहर सड़क पर पड़े रहे और इस बीच अस्पताल में गुहार लगाते रहे कि हमारे पास आयुष्मान भारत योजना का गोल्ड कार्ड है लेकिन किसी ने एक बार भी हमारी बातो को सुनना जरूरी ना समझा अंत मे हार थक कर हमलोग वापस खगड़िया आ गए।क्या प्रधानमंत्री के इतनी बड़ी योजना आयुष्मान भारत को मजाक बनाया जा रहा है ?
बाइट-चन्दन दास, मरीज
बाइट-रंजीत दास, परिजन


Conclusion:
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