खगड़िया: इस साल भी मॉनसून की दस्तक के साथ ही लोगों के जेहन में बाढ़ की यादें ताजा हो गई हैं. खगड़िया और बाढ़ का चोली दामन का रिश्ता रहा है. 20वीं सदी के पहले दशक से ही खगड़िया में बाढ़ का इतिहास मिलता है. 1904 और 1906 में यहां गंगा और बूढ़ी गंडक की बाढ़ से भीषण तबाही मची थी. इसके बाद 1987 से मानों बाढ़ से तबाही का सिलसिला ही चल पड़ा.
नदियों का बिछा है जाल
खगड़िया में एक साथ कई नदियों का संगम है. बूढ़ी गंडक पश्चिमी चंपारण से निकलकर खगड़िया में ही गंगा नदी से मिलती है. कोसी और बागमती का संगम डुमरी-सोनवर्षा घाट के पास होता है. जबकि काली कोसी, कंजरी के पास कोसी से संगम करती है.
![flood in Khagaria](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/bh-kha-03-floodinkhagaria-spclpkg-2020-7205047_24062020164408_2406f_02208_888.jpg)
प्रशासन की ओर से हो रही तैयारी
जिले को 1904,1906,1987 और फिर 2001 से 2016 तक बाढ़ की वजह से बड़ी त्रासदी झेलनी पड़ी है. बरसात आते ही हर साल आम आदमी के साथ-साथ प्रशासन भी चौकस हो जाता है. इस साल प्रशासन की ओर से भरपूर तैयारी की जा रही है. बाढ़ नियंत्रण अंचल की ओर से बांध तटबंध के कमजोर बिंदुओं पर सुरक्षात्मक काम कराए गए हैं.
![flood in Khagaria](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/bh-kha-03-floodinkhagaria-spclpkg-2020-7205047_24062020164408_2406f_02208_992.jpg)
बढ़ाई गई बांध-तटबंधों की निगरानी
1987 में खगड़िया को प्रलयकारी बाढ़ का सामना करना पड़ा था. समस्तीपुर जिले में तटबंध टूटने से खगड़िया शहर में एक महीने तक बाढ़ का पानी रहा था. 2001 से लेकर 2016 तक हर साल जिलेवासियों को बाढ़ का सामना करना पड़ा. 2018 में गोगरी प्रखंड का एक हिस्सा बाढ़ से प्रभावित हुआ.
विकास का पहिया पीछे घुमा देती है बाढ़
हर साल आने वाली बाढ़ में खगड़िया के विकास को काफी प्रभावित किया है. जन-धन की व्यापक क्षति हुई है. 1987 में बाढ़ की वजह से जिले के 149 पंचायत प्रभावित हुए थे. इन पंचायतों में 7 लाख 36 हजार 727 आबादी शामिल थी. वहीं, 211 लोगों की जान भी चली गई थी.
![flood in Khagaria](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/bh-kha-03-floodinkhagaria-spclpkg-2020-7205047_24062020164408_2406f_02208_1074.jpg)
नदियां स्थिर पर जलस्तर में बढ़ोतरी
जिले में फिलहाल भले ही कोसी समेत सभी नदिया स्थिर है. लेकिन जून-जुलाई में मुख्य रुप से कोसी और बागमती के जल स्तर में उछाल की संभावना रहती है. इस वर्ष भी अभी से धीरे-धीरे कोसी और बागमती में जलस्तर में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है.
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