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खगड़िया में अफ्रीकन स्वाइन फीवर रोग की पुष्टि के बाद शहरी क्षेत्र में सूअरों को मारने का आदेश - etv bihar news

खगड़िया में सूअरों में African Swine Fever रोग की पुष्टी हुई है. जिसके बाद जिले में हड़कंप मचा है. बताते चलें कि इस बीमारी की चपेट में आने से दर्जनों सुअरों की मौत हो चुकी है. जिसके बाद डीएम ने संज्ञान लिया और पूरे मामले की जांच करवाई गई, बीमारी की पुष्टि होने के साथ ही सुअरों को मारने का आदेश दिया गया है. पढ़ें पूरी खबर...

खगड़िया में अफ्रीकन स्वाइन फीवर रोग
खगड़िया में अफ्रीकन स्वाइन फीवर रोग
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Published : Aug 14, 2022, 11:13 PM IST

खगड़िया: बिहार के खगड़िया में अफ्रीकन स्वाइन फीवर रोग (African Swine Fever Disease In Khagaria) की पुष्टी हुई है. जिसको लेकर खगड़िया डीएम की अगुवाई में पशुपालन पदाधिकारी के साथ-साथ अनुमंडल पदाधिकारी की विशेष बैठक बुलाई गई. बताया जा रहा है सूअरों में फैलने बाला अफ्रीकन स्वाइन फीवर रोग का सबसे ज्यदा इफेक्टेड जोन खगङिया नगर परिषद के जयप्रकाश नगर मुहल्ला है. जहां पर पिछले कुछ दिनों में सैकड़ों सूअर की मौत हुई है. खगड़िया डीएम की माने तो अचानक सूअरों की मौत के बाद पशुपालन विभाग सैम्पल जांच के लिए भोपाल भेजा था.

ये भी पढ़ें- बड़ी संख्या में एएसएफ से संक्रमित सूअर मारे गए

खगड़िया में अफ्रीकन स्वाइन फीवर रोग की पुष्टि : जांच रिपोर्ट में अफ्रीकन स्वाइन फीवर की पुष्टि होने के बाद इफेक्टेड एरिया के एक किलोमीटर के अंदर रहने वाले सूअरों को मारने की उच्चस्तरीय टीम के द्वारा प्रक्रिया शुरु की जाएगी जिससे की और जगह के सुअरों में यह रोग नहीं फैले. बताते चलें कि यह रोग सूअर के अलावे अन्य पशुओं में नही फैलता है और यदि सरकारी निर्देश के बाद सूअरों को मारा जाता है तो इसके लिए मुआवजा देने का भी प्रावधान किया गया है. बहरहाल इस नई आफत की वजह से आमलोगों में भी दहशत व्याप्त है.

'जो सैंपल हमलोग जांच के लिए भेजे तो उसमें अफ्रीकन स्वाइन फ्लू की पुष्टि हुई है. विभागीय जो दिशा निर्देश प्राप्त हुआ है हमलोगों का उसके अनुसार एक किलोमीटर के जोन को इंफेक्टेड जोन मानत हुए किलिंग की जाने वाली है. जितने भी सूअर है वो अलग अलग एज ग्रुप के है. उनको किलिंग किया जाएगा. इसके लिए सरकार मुआवजा राशि भी देगी.' - आलोक रंजन घोष, डीएम, खगड़िया

क्या है अफ्रीकन स्वाइन फ्लू: अफ्रीकन स्वाइन फ्लू अत्याधिक संक्रामक पशु रोग है. यह घरेलू और जंगली सुअरों को संक्रमित करता है. इससे संक्रमित सुअर एक प्रकार के तीव्र रक्तस्रावी बुखार से पीड़ित होते हैं. इस बीमारी को पहली बार 1920 के दशक में अफ्रीका में देखा गया था. इस रोग में मृत्यु दर 100 प्रतिशत के करीब होती है. इस बुखार का अभी तक कोई इलाज नहीं है. इसके संक्रमण को फैलने से रोकने का एकमात्र तरीका जानवरों को मारना है. वहीं जो लोग इस बीमारी से ग्रसित सूअरों के मांस का सेवन करते हैं उनमें तेज बुखार, अवसाद सहित कई गंभीर समस्याएं शुरू हो जाती हैं.

खगड़िया: बिहार के खगड़िया में अफ्रीकन स्वाइन फीवर रोग (African Swine Fever Disease In Khagaria) की पुष्टी हुई है. जिसको लेकर खगड़िया डीएम की अगुवाई में पशुपालन पदाधिकारी के साथ-साथ अनुमंडल पदाधिकारी की विशेष बैठक बुलाई गई. बताया जा रहा है सूअरों में फैलने बाला अफ्रीकन स्वाइन फीवर रोग का सबसे ज्यदा इफेक्टेड जोन खगङिया नगर परिषद के जयप्रकाश नगर मुहल्ला है. जहां पर पिछले कुछ दिनों में सैकड़ों सूअर की मौत हुई है. खगड़िया डीएम की माने तो अचानक सूअरों की मौत के बाद पशुपालन विभाग सैम्पल जांच के लिए भोपाल भेजा था.

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खगड़िया में अफ्रीकन स्वाइन फीवर रोग की पुष्टि : जांच रिपोर्ट में अफ्रीकन स्वाइन फीवर की पुष्टि होने के बाद इफेक्टेड एरिया के एक किलोमीटर के अंदर रहने वाले सूअरों को मारने की उच्चस्तरीय टीम के द्वारा प्रक्रिया शुरु की जाएगी जिससे की और जगह के सुअरों में यह रोग नहीं फैले. बताते चलें कि यह रोग सूअर के अलावे अन्य पशुओं में नही फैलता है और यदि सरकारी निर्देश के बाद सूअरों को मारा जाता है तो इसके लिए मुआवजा देने का भी प्रावधान किया गया है. बहरहाल इस नई आफत की वजह से आमलोगों में भी दहशत व्याप्त है.

'जो सैंपल हमलोग जांच के लिए भेजे तो उसमें अफ्रीकन स्वाइन फ्लू की पुष्टि हुई है. विभागीय जो दिशा निर्देश प्राप्त हुआ है हमलोगों का उसके अनुसार एक किलोमीटर के जोन को इंफेक्टेड जोन मानत हुए किलिंग की जाने वाली है. जितने भी सूअर है वो अलग अलग एज ग्रुप के है. उनको किलिंग किया जाएगा. इसके लिए सरकार मुआवजा राशि भी देगी.' - आलोक रंजन घोष, डीएम, खगड़िया

क्या है अफ्रीकन स्वाइन फ्लू: अफ्रीकन स्वाइन फ्लू अत्याधिक संक्रामक पशु रोग है. यह घरेलू और जंगली सुअरों को संक्रमित करता है. इससे संक्रमित सुअर एक प्रकार के तीव्र रक्तस्रावी बुखार से पीड़ित होते हैं. इस बीमारी को पहली बार 1920 के दशक में अफ्रीका में देखा गया था. इस रोग में मृत्यु दर 100 प्रतिशत के करीब होती है. इस बुखार का अभी तक कोई इलाज नहीं है. इसके संक्रमण को फैलने से रोकने का एकमात्र तरीका जानवरों को मारना है. वहीं जो लोग इस बीमारी से ग्रसित सूअरों के मांस का सेवन करते हैं उनमें तेज बुखार, अवसाद सहित कई गंभीर समस्याएं शुरू हो जाती हैं.

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