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Lockdown effect: बढ़ी तरबूज किसानों की परेशानी, लागत तक निकालना हुआ मुश्किल

तरबूज किसान बताते हैं कि 40 बीघा में तरबूज का खेती किए हुए हैं. करीब 6 लाख रुपए खर्च हो चुके हैं. महाजन से कर्ज लेकर खेती की थी. लेकिन लॉकडाउन की वजह से व्यापारी तरबूज खरीदने नहीं आए, जिससे परेशानी बढ़ गई है.

तरबूज किसानों की परेशानी
तरबूज किसानों की परेशानी
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Published : Apr 30, 2020, 3:08 PM IST

कटिहार: कोरोना वायरस के कारण लागू लॉकडाउन ने मानवीय क्रियाकलापों पर पाबंदी लगा दी है. इसका सबसे ज्यादा असर किसानों पर हुआ है. बंदी के कारण किसानों को फसल उगाने से लेकर उसे बाजार में पहुंचाने तक भारी परेशानियों का सामना करना पर रहा है. सीमांचल के महानंदा, गंगा और कोसी नदी के किनारे रहने वाले किसान हजारों एकड़ खेत में तरबूज की खेती करते हैं. तरबूज को यूपी समेत नार्थ ईस्ट प्रदेशों में निर्यात किया जाता है. लेकिन लागू लॉकडाउन के कारण बाहर के व्यापरी तरबूज खरीदने के लिए नहीं पहुंच पा रहे हैं. इस वजह से किसान तरबूज को औने-पौने कीमत में स्थानीय व्यापारियों को बेच रहे हैं.

'नहीं मिल रहे तरबूज के ग्राहक'
इसको लेकर किसान भोला चौधरी बताते हैं कि 40 बीघा में तरबूज की खेती किए हुए हैं. करीब 6 लाख रुपए खर्च हो चुके हैं. महाजन से कर्ज लेकर खेती की थी. फसल काफी उम्दा थी. पिछले साल जिले से प्रतिदिन 25 ट्रक तरबूज बंगाल और उत्तर प्रदेश भेजे जाते थे. बाहर के व्यापारी आकर तरबूज को खरीदते थे. लेकिन लॉकडाउन के कारण कोई भी व्यापारी नहीं आ पा रहा है. फसल तैयार है. कोरोना संकट के कारण ग्राहक नहीं मिल पा रहे हैं. जिस कारण हमलोगों को हाइवे पर बैठकर खुदरा ग्राहकों को तरबूज बेचना पड़ रहा है. फसल की लागत भी नहीं लौट पा रही है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

'घर-परिवार चलाना हुआ दुश्वार'
किसानों का कहना है कि कोरोना महामारी के चलते 3 मई तक लॉकडाउन लागू है. लॉकडाउन के वजह से सभी काम-धंधे ठप हैं. किसानों का फसल पूरी तरह से तैयार है. बावजूद किसान अपने उत्पाद को नहीं बेच पा रहे हैं. जिस वजह से तरबूज किसानों के सामने भूखमरी जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई है. आय का एकमात्र साधन फसल होने की वजह से किसानों की आर्थिक स्थिति बिगड़ती जा रही है. खेती कर अपना घर परिवार चलाने वाले किसानों के सामने भुखमरी जैसी स्थिति आ गई है.

सड़क किनारे रखा हुआ तरबूज
सड़क किनारे रखा हुआ तरबूज

बड़े पैमाने पर की जाती है तरबूज की खेती
बता दें कि कटिहार जिले में महानंदा, गंगा, कोशी नदी के किनारे बसे आजमनगर, झौआ, प्राणपुर, बरारी, कुरसेला, अमदाबाद समेत अन्य जगहों पर किसान बड़े पैमाने पर तरबूज की खेती करते हैं. तैयार तरबूज बिहार के अन्य जिलों सहित बंगाल और उत्तर प्रदेश भेजा जाता है. कोरोना महामारी के चलते लागू लाॅकडाउन के कारण तरबूज किसानों तक व्यापारी नहीं पहुंच पा रहे हैं. इस वजह से तरबूज किसानों का हालत दयनीय हो गई है. किसानों का कहना है कि तरबूज की खेती में अन्य फसलों से अधिक मुनाफा होता था. इस वजह से नदी के किनारे बसे किसानों ने वृहद स्तर पर तरबूज की खेती की थी. लेकिन कोरोना संकट में व्यापारी और ग्राहक किसानों तक नहीं पहुंचा पा रहे हैं. जिस वजह से किसान हताश और परेशान हैं.

कटिहार: कोरोना वायरस के कारण लागू लॉकडाउन ने मानवीय क्रियाकलापों पर पाबंदी लगा दी है. इसका सबसे ज्यादा असर किसानों पर हुआ है. बंदी के कारण किसानों को फसल उगाने से लेकर उसे बाजार में पहुंचाने तक भारी परेशानियों का सामना करना पर रहा है. सीमांचल के महानंदा, गंगा और कोसी नदी के किनारे रहने वाले किसान हजारों एकड़ खेत में तरबूज की खेती करते हैं. तरबूज को यूपी समेत नार्थ ईस्ट प्रदेशों में निर्यात किया जाता है. लेकिन लागू लॉकडाउन के कारण बाहर के व्यापरी तरबूज खरीदने के लिए नहीं पहुंच पा रहे हैं. इस वजह से किसान तरबूज को औने-पौने कीमत में स्थानीय व्यापारियों को बेच रहे हैं.

'नहीं मिल रहे तरबूज के ग्राहक'
इसको लेकर किसान भोला चौधरी बताते हैं कि 40 बीघा में तरबूज की खेती किए हुए हैं. करीब 6 लाख रुपए खर्च हो चुके हैं. महाजन से कर्ज लेकर खेती की थी. फसल काफी उम्दा थी. पिछले साल जिले से प्रतिदिन 25 ट्रक तरबूज बंगाल और उत्तर प्रदेश भेजे जाते थे. बाहर के व्यापारी आकर तरबूज को खरीदते थे. लेकिन लॉकडाउन के कारण कोई भी व्यापारी नहीं आ पा रहा है. फसल तैयार है. कोरोना संकट के कारण ग्राहक नहीं मिल पा रहे हैं. जिस कारण हमलोगों को हाइवे पर बैठकर खुदरा ग्राहकों को तरबूज बेचना पड़ रहा है. फसल की लागत भी नहीं लौट पा रही है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

'घर-परिवार चलाना हुआ दुश्वार'
किसानों का कहना है कि कोरोना महामारी के चलते 3 मई तक लॉकडाउन लागू है. लॉकडाउन के वजह से सभी काम-धंधे ठप हैं. किसानों का फसल पूरी तरह से तैयार है. बावजूद किसान अपने उत्पाद को नहीं बेच पा रहे हैं. जिस वजह से तरबूज किसानों के सामने भूखमरी जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई है. आय का एकमात्र साधन फसल होने की वजह से किसानों की आर्थिक स्थिति बिगड़ती जा रही है. खेती कर अपना घर परिवार चलाने वाले किसानों के सामने भुखमरी जैसी स्थिति आ गई है.

सड़क किनारे रखा हुआ तरबूज
सड़क किनारे रखा हुआ तरबूज

बड़े पैमाने पर की जाती है तरबूज की खेती
बता दें कि कटिहार जिले में महानंदा, गंगा, कोशी नदी के किनारे बसे आजमनगर, झौआ, प्राणपुर, बरारी, कुरसेला, अमदाबाद समेत अन्य जगहों पर किसान बड़े पैमाने पर तरबूज की खेती करते हैं. तैयार तरबूज बिहार के अन्य जिलों सहित बंगाल और उत्तर प्रदेश भेजा जाता है. कोरोना महामारी के चलते लागू लाॅकडाउन के कारण तरबूज किसानों तक व्यापारी नहीं पहुंच पा रहे हैं. इस वजह से तरबूज किसानों का हालत दयनीय हो गई है. किसानों का कहना है कि तरबूज की खेती में अन्य फसलों से अधिक मुनाफा होता था. इस वजह से नदी के किनारे बसे किसानों ने वृहद स्तर पर तरबूज की खेती की थी. लेकिन कोरोना संकट में व्यापारी और ग्राहक किसानों तक नहीं पहुंचा पा रहे हैं. जिस वजह से किसान हताश और परेशान हैं.

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