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कटिहारः सरकारी स्कूलों में अपनी भाषा के लिए आदिवासियों का धरना प्रदर्शन

स्थानीय विष्णुदेव उरांव ने बताया कि आदिवासी समाज काफी पिछड़ा हैं. इसके बच्चे जन्म से लेकर दस साल के बाद हिंदी भाषा समझते हैं क्योंकि उससे पहले इसकी भाषा आदिवासी होती है. जिसके कारण बच्चे सरकारी स्कूलों में जाकर पढ़ नहीं पाते. इसके लिए सरकार को स्कूलों में  आदिवासी भाषा में पढ़ाई के इंतजाम करने चाहिए, ताकि इस समुदाय का विकास हो सकें.

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Published : Dec 19, 2019, 11:46 AM IST

कटिहारः जिले में समाहरणालय के पास सीपीआई (एमएल) के बैनर तले आदिवासी समाज धरने पर बैठे हैं. इनकी मांग हैं कि सरकारी स्कूलों में प्राथमिक से लेकर हाईस्कूलों तक आदिवासी भाषा में पढ़ाई की व्यवस्था हों.

क्या कहते है सीपीआई नेता
इस मौके पर सीपीआई (एमएल) नेता असगर अली ने बताया कि सरकार ने आदिवासी भाषा को संविधान के आठवीं अनुसूची में शामिल कर रखा है. लेकिन इसके बावजूद आज दूसरे अन्य भाषाओं के विकास की अपेक्षा आदिवासी भाषा काफी पिछड़ा है. सरकार ने आदिवासी समुदाय को बसाने के लिये जमीन के पर्चें दे दिये. लेकिन दखल नहीं दी. जिसकी सरकार को व्यवस्था करनी चाहिए. जब आदिवासी समुदाय इस पर दखल की कोशिश करता है, तो उसे झूठे मुकदमे में पुलिस फंसा देता है.

सरकारी स्कूलों में आदिवासी भाषा मे पढ़ाई की मांग
स्थानीय विष्णुदेव उरांव ने बताया कि आदिवासी समाज काफी पिछड़ा हैं. इसके बच्चे जन्म से लेकर दस साल के बाद हिंदी भाषा समझते हैं क्योंकि उससे पहले इसकी भाषा आदिवासी होती है. जिसके कारण बच्चे सरकारी स्कूलों में जाकर पढ़ नहीं पाते. इसके लिए सरकार को स्कूलों में आदिवासी भाषा में पढ़ाई के इंतजाम करने चाहिए, ताकि इस समुदाय का विकास हो सकें.

कटिहारः जिले में समाहरणालय के पास सीपीआई (एमएल) के बैनर तले आदिवासी समाज धरने पर बैठे हैं. इनकी मांग हैं कि सरकारी स्कूलों में प्राथमिक से लेकर हाईस्कूलों तक आदिवासी भाषा में पढ़ाई की व्यवस्था हों.

क्या कहते है सीपीआई नेता
इस मौके पर सीपीआई (एमएल) नेता असगर अली ने बताया कि सरकार ने आदिवासी भाषा को संविधान के आठवीं अनुसूची में शामिल कर रखा है. लेकिन इसके बावजूद आज दूसरे अन्य भाषाओं के विकास की अपेक्षा आदिवासी भाषा काफी पिछड़ा है. सरकार ने आदिवासी समुदाय को बसाने के लिये जमीन के पर्चें दे दिये. लेकिन दखल नहीं दी. जिसकी सरकार को व्यवस्था करनी चाहिए. जब आदिवासी समुदाय इस पर दखल की कोशिश करता है, तो उसे झूठे मुकदमे में पुलिस फंसा देता है.

सरकारी स्कूलों में आदिवासी भाषा मे पढ़ाई की मांग
स्थानीय विष्णुदेव उरांव ने बताया कि आदिवासी समाज काफी पिछड़ा हैं. इसके बच्चे जन्म से लेकर दस साल के बाद हिंदी भाषा समझते हैं क्योंकि उससे पहले इसकी भाषा आदिवासी होती है. जिसके कारण बच्चे सरकारी स्कूलों में जाकर पढ़ नहीं पाते. इसके लिए सरकार को स्कूलों में आदिवासी भाषा में पढ़ाई के इंतजाम करने चाहिए, ताकि इस समुदाय का विकास हो सकें.

Intro:आदिवासियों ने हक और हुक़ूक़ के लिये की आवाज़ें बुलन्द ।

...... प्रकृति के सबसे करीब रहने वाले आदिवासी समुदाय ने अपने हक और हुकूक के लिये की आवाजें बुलंद..।समाहरणालय के सामने दिया धरना कहा कि आदिवासी अपनी भाषा , संस्कृति परंपरा व जीवनशैली को रखते हुए अपनी भाषा को सहेज के रखना हमारी जिम्मेदारी और सरकार संविधान के आठवीं अनुसूची में आदिवासी भाषा को शामिल होने के बाबजूद यह समुदाय विकास से हैं पिछड़ा । सरकारी विद्यालयों में प्राथमिक से लेकर उच्चतर विद्यालयों में आदिवासी भाषा मे पढ़ाई को दे प्राथमिकता .....। सरकार भूमिहीन परिवारों को बसाने का वादा करती है और जमीन मुहैय्या करवाती हैं तो दखल क्यों नहीं दिला पाती है ......।


Body:सरकारी स्कूलों में आदिवासी भाषा मे पढ़ाई की माँग

यह दृश्य कटिहार समाहरणालय के समीप का हैं जहाँ सीपीआई ( एमएल ) के बैनर तले आदिवासी समाज धरने पर बैठा हैं । इनकी माँग हैं कि सरकारी स्कूलों में प्राथमिक से लेकर हाईस्कूलों तक मे आदिवासी में पढ़ाई की व्यवस्था हों । इस मौके पर सीपीआई ( एमएल ) नेता असगर अली ने बताया कि आदिवासी समाज काफी पिछड़ा हैं । इसके बच्चे को जन्म से लेकर दस साल के बाद हिंदी भाषा समझते हैं क्योंकि उससे पहले इसकी भाषा आदिवासी होती हैं जिसके कारण बच्चे सरकारी स्कूलों में जाकर पढ़ नहीं पाते । उन्होंने बताया कि सरकार ने आदिवासी भाषा को संविधान के आठवीं अनुसूची में शामिल कर रखा हैं लेकिन इसके बाबजुद आज दूसरे अन्य भाषाओं के विकास की अपेक्षा काफी पिछड़ा हैं । उन्होंने बताया कि सरकार ने आदिवासी समुदाय को बसाने के लिये जमीन के पर्चे दे दिये लेकिन दखल नहीं हैं जिसकी सरकार को व्यवस्था करनी चाहिये । उन्होंने बताया कि जब आदिवासी समुदाय इसपर दखल की कोशिश करता हैं तो उसे झूठे मुकदमे में पुलिस द्वारा फँसा दिया जाता हैं । इस मौके पर स्थानीय विष्णुदेव उराँव ने बताया कि सरकार को आदिवासी भाषा मे स्कूलों में पढ़ाई के इंतजाम करने चाहिये ताकि इस समुदाय का विकास हो सकें ......।


Conclusion:झारखंड के सीमावर्ती होने के कारण बड़ी संख्या में कटिहार में बसता हैं आदिवासी समुदाय ।

झारखंड की सीमाओं से महज एक गंगा नदी का फासला कटिहार जिले को बिहार और झारखंड में बाँटता हैं जिस कारण कटिहार जिले में काफी संख्या में आदिवासी समुदाय यहाँ बसते हैं लेकिन विकास के नाम पर अभी तक इस इलाके में इस समुदाय की कोई विशेष प्रगति नहीं मिली । अब यह समुदाय अपने हक और हुक़ूक़ के लिये सड़कों पर उतरा हैं लेकिन राजनीतिक बैनर तले यह माँग कितना सफल हो पाता हैं , देखने वाली बात होगी.....।
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