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कटिहार: भारी तादाद में पलायन कर लौट रहे मजदूर, शिफ्ट कराने में प्रशासन के छूटे पसीने

मजदूरों का यह जत्था हरियाणा के रोहतक में किसी कंस्ट्रक्शन कंपनी में काम करता था. लेकिन लॉकडाउन की घोषणा के बाद काम बन्द हो गया. जिसकी वजह से पलायन के लिए ये मजबूर हो गए.

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Published : Apr 1, 2020, 12:47 PM IST

कटिहार
पलायन कर लौटे मजदूर

कटिहार: कोरोना वायरस महामारी को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 21 दिन का लॉकडाउन कर रखा है. लेकिन इस लॉकडाउन ने दिहाड़ी मजदूरों की परेशानी बढ़ा दी है. देश के कई हिस्सों से वो पलायन कर प्रदेश आ रहे हैं.

बीती रात 48 मजदूर पैदल ही हरियाण के रोहतक से कटिहार पहुंच गए. जिन्हें आपदा राहत केन्द्र पर शिफ्ट कराने में स्थानीय प्रशासन को पसीने छूट गए. क्योंकि कई आपदा राहत केन्द्रों में पहले से ही क्वॉरेंटीन लोगों की संख्या ज्यादा है.

मजदूरों को किया गया शिफ्ट
मजदूरों का यह जत्था हरियाणा के रोहतक में किसी कंस्ट्रक्शन कंपनी में काम करता था. लेकिन लॉकडाउन की घोषणा के बाद काम बन्द हो गया. जिसकी वजह से पलायन के लिए ये मजबूर हो गए. रेल, बस बन्द होने के कारण मुसीबत और बढ़ गयी तो सभी पैदल ही चल दिए. यहां पहुंचने पर प्रशासन की ओर से उन्हें अलग-अलग केन्द्रों पर शिफ्ट किया गया.

बनाए गए हैं 21 आपदा केन्द्र
गौरतलब है कि कटिहार जिला सीधे तौर पर पश्चिम बंगाल और झारखंड की सीमा से सटा है. रोजगार नहीं होने की वजह से एक बड़ी आबादी रोजगार के लिये हर साल दूसरे प्रदेशों में पलायन करती है. कोरोना महामारी के दौरान यह मजदूर प्रदेश लौट रहे हैं. मजदूर पलायन को देखते हुए कटिहार जिला प्रशासन ने अब तक 21 आपदा राहत केंद्र बनाये हैं. पलायन कर आने वाले मजदूरों की तादाद को देखते हुए प्रशासन को इन केन्द्रों की संख्या बढ़ानी पड़ सकती है.

कटिहार: कोरोना वायरस महामारी को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 21 दिन का लॉकडाउन कर रखा है. लेकिन इस लॉकडाउन ने दिहाड़ी मजदूरों की परेशानी बढ़ा दी है. देश के कई हिस्सों से वो पलायन कर प्रदेश आ रहे हैं.

बीती रात 48 मजदूर पैदल ही हरियाण के रोहतक से कटिहार पहुंच गए. जिन्हें आपदा राहत केन्द्र पर शिफ्ट कराने में स्थानीय प्रशासन को पसीने छूट गए. क्योंकि कई आपदा राहत केन्द्रों में पहले से ही क्वॉरेंटीन लोगों की संख्या ज्यादा है.

मजदूरों को किया गया शिफ्ट
मजदूरों का यह जत्था हरियाणा के रोहतक में किसी कंस्ट्रक्शन कंपनी में काम करता था. लेकिन लॉकडाउन की घोषणा के बाद काम बन्द हो गया. जिसकी वजह से पलायन के लिए ये मजबूर हो गए. रेल, बस बन्द होने के कारण मुसीबत और बढ़ गयी तो सभी पैदल ही चल दिए. यहां पहुंचने पर प्रशासन की ओर से उन्हें अलग-अलग केन्द्रों पर शिफ्ट किया गया.

बनाए गए हैं 21 आपदा केन्द्र
गौरतलब है कि कटिहार जिला सीधे तौर पर पश्चिम बंगाल और झारखंड की सीमा से सटा है. रोजगार नहीं होने की वजह से एक बड़ी आबादी रोजगार के लिये हर साल दूसरे प्रदेशों में पलायन करती है. कोरोना महामारी के दौरान यह मजदूर प्रदेश लौट रहे हैं. मजदूर पलायन को देखते हुए कटिहार जिला प्रशासन ने अब तक 21 आपदा राहत केंद्र बनाये हैं. पलायन कर आने वाले मजदूरों की तादाद को देखते हुए प्रशासन को इन केन्द्रों की संख्या बढ़ानी पड़ सकती है.

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