कटिहार: बिहार में मदरसे लूट-खसोट के अड्डे बनते जा रहे हैं. यहां तालीम कम राजनीति ज्यादा होती है. कटिहार के एक ऐसे ही मदरसे के छह शिक्षक दो साल से वेतन के लिए दर-दर भटक रहे हैं. मदरसा प्रबंधन का कहना हैं कि मामला राज्य मदरसा शिक्षा बोर्ड में विचाराधीन हैं. लिहाजा, निर्णय के बाद ही कुछ कहा जा सकता है.
जिले के कदवा प्रखंड के सिकोड़ना गांव में मदरसा दारुल होदा में दस शिक्षक हैं. इनमें से 6 शिक्षकों का वेतन पिछले दो सालों से उनके हाथ में नहीं आया है. इसकी पीछे की वजह मदरसा कमेटी का बदलना है क्योंकि दो साल पहले जैसे ही कमेटी बदली इनको मिलनी वाली सैलरी का रास्ता भी भटक गया.
शिक्षकों का आरोप
शिक्षकों का आरोप हैं कि नये प्रबंधन पहले बिल पास करने के लिये नजराना मांगता है. वहीं, पीड़ित शिक्षक अधिकारी से लेकर राज्य मदरसा शिक्षा बोर्ड तक न्याय की गुहार लगाते हुए दर-दर भटक रहे हैं. मदरसा के प्रिंसिपल अपनी बेचारगी बता पल्ला झाड़ने में जुटे हैं . पीड़ितों के घर का चूल्हा अब सैलरी की चिंगारी से जलने को तड़प रहा है.
बड़ी वजह तो यही है
दरअसल, बिहार के मदरसों में शिक्षकों की नौकरी और वेतन मदरसे की स्थानीय कमेटी तय करती है. इसके बाद ही भुगतान होता है. कमेटियों के बदलते ही ये पुराने शिक्षकों की जगह मनमाफिक शिक्षकों को बहाल कर देती हैं. इसके बाद शिक्षकों की सैलरी से भी नजराना मांगना भी शुरू कर दिया जाता है. लचार शिक्षक बेबस हो जाते हैं. कटिहार के मदरसे के ये शिक्षक उन्हीं में से एक हैं, जो सैलरी से वंचित हैं.