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कटिहार: नहीं दिया नजराना, तो मदरसे के शिक्षकों की सैलरी कर दी बंद

शिक्षकों का आरोप हैं कि नये प्रबंधन पहले बिल पास करने के लिये नजराना मांगता है. नजराना न देने पर सैलरी रोक दी जाती है. दो साल से वेतन नसीब नहीं हुआ है.

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Published : Apr 7, 2019, 8:30 AM IST

कटिहार: बिहार में मदरसे लूट-खसोट के अड्डे बनते जा रहे हैं. यहां तालीम कम राजनीति ज्यादा होती है. कटिहार के एक ऐसे ही मदरसे के छह शिक्षक दो साल से वेतन के लिए दर-दर भटक रहे हैं. मदरसा प्रबंधन का कहना हैं कि मामला राज्य मदरसा शिक्षा बोर्ड में विचाराधीन हैं. लिहाजा, निर्णय के बाद ही कुछ कहा जा सकता है.

जिले के कदवा प्रखंड के सिकोड़ना गांव में मदरसा दारुल होदा में दस शिक्षक हैं. इनमें से 6 शिक्षकों का वेतन पिछले दो सालों से उनके हाथ में नहीं आया है. इसकी पीछे की वजह मदरसा कमेटी का बदलना है क्योंकि दो साल पहले जैसे ही कमेटी बदली इनको मिलनी वाली सैलरी का रास्ता भी भटक गया.

पीड़ित शिक्षक

शिक्षकों का आरोप
शिक्षकों का आरोप हैं कि नये प्रबंधन पहले बिल पास करने के लिये नजराना मांगता है. वहीं, पीड़ित शिक्षक अधिकारी से लेकर राज्य मदरसा शिक्षा बोर्ड तक न्याय की गुहार लगाते हुए दर-दर भटक रहे हैं. मदरसा के प्रिंसिपल अपनी बेचारगी बता पल्ला झाड़ने में जुटे हैं . पीड़ितों के घर का चूल्हा अब सैलरी की चिंगारी से जलने को तड़प रहा है.

बड़ी वजह तो यही है
दरअसल, बिहार के मदरसों में शिक्षकों की नौकरी और वेतन मदरसे की स्थानीय कमेटी तय करती है. इसके बाद ही भुगतान होता है. कमेटियों के बदलते ही ये पुराने शिक्षकों की जगह मनमाफिक शिक्षकों को बहाल कर देती हैं. इसके बाद शिक्षकों की सैलरी से भी नजराना मांगना भी शुरू कर दिया जाता है. लचार शिक्षक बेबस हो जाते हैं. कटिहार के मदरसे के ये शिक्षक उन्हीं में से एक हैं, जो सैलरी से वंचित हैं.

कटिहार: बिहार में मदरसे लूट-खसोट के अड्डे बनते जा रहे हैं. यहां तालीम कम राजनीति ज्यादा होती है. कटिहार के एक ऐसे ही मदरसे के छह शिक्षक दो साल से वेतन के लिए दर-दर भटक रहे हैं. मदरसा प्रबंधन का कहना हैं कि मामला राज्य मदरसा शिक्षा बोर्ड में विचाराधीन हैं. लिहाजा, निर्णय के बाद ही कुछ कहा जा सकता है.

जिले के कदवा प्रखंड के सिकोड़ना गांव में मदरसा दारुल होदा में दस शिक्षक हैं. इनमें से 6 शिक्षकों का वेतन पिछले दो सालों से उनके हाथ में नहीं आया है. इसकी पीछे की वजह मदरसा कमेटी का बदलना है क्योंकि दो साल पहले जैसे ही कमेटी बदली इनको मिलनी वाली सैलरी का रास्ता भी भटक गया.

पीड़ित शिक्षक

शिक्षकों का आरोप
शिक्षकों का आरोप हैं कि नये प्रबंधन पहले बिल पास करने के लिये नजराना मांगता है. वहीं, पीड़ित शिक्षक अधिकारी से लेकर राज्य मदरसा शिक्षा बोर्ड तक न्याय की गुहार लगाते हुए दर-दर भटक रहे हैं. मदरसा के प्रिंसिपल अपनी बेचारगी बता पल्ला झाड़ने में जुटे हैं . पीड़ितों के घर का चूल्हा अब सैलरी की चिंगारी से जलने को तड़प रहा है.

बड़ी वजह तो यही है
दरअसल, बिहार के मदरसों में शिक्षकों की नौकरी और वेतन मदरसे की स्थानीय कमेटी तय करती है. इसके बाद ही भुगतान होता है. कमेटियों के बदलते ही ये पुराने शिक्षकों की जगह मनमाफिक शिक्षकों को बहाल कर देती हैं. इसके बाद शिक्षकों की सैलरी से भी नजराना मांगना भी शुरू कर दिया जाता है. लचार शिक्षक बेबस हो जाते हैं. कटिहार के मदरसे के ये शिक्षक उन्हीं में से एक हैं, जो सैलरी से वंचित हैं.

Intro:......... बिहार में मदरसा लूट - खसोट का अड्डा बनता जा रहा है । यहाँ तालीम कम राजनीति ज्यादा होती है । कटिहार के एक ऐसे ही मदरसे के छह शिक्षक दो साल से वेतन के लिए दर-दर भटक रहे हैं....। मदरसा प्रबंधन का कहना हैं कि मामला राज्य मदरसा शिक्षा बोर्ड के विचाराधीन हैं , लिहाजा निर्णय के बाद ही कुछ कहा जा सकता हैं .......।


Body:हाथों में कागज के आवेदन पकड़ न्याय की माँग करते यह शिक्षक जिले के कदवा प्रखण्ड के सिकोड़ना गाँव के मदरसा दारुल होदा के शिक्षक हैं । मदरसे के कुल दस शिक्षकों में से यह शिक्षक काफी दिनों से मदरसे में शिक्षक की नौकरी करते थे और बच्चों में दिये गये तालीम के बदले वेतन भी पाते थे । दो साल पहले तक सब कुछ ठीक - ठाक चला लेकिन समस्या तब पैदा हुई जब मदरसे की स्थानोय कमिटि बदल गयी और नयी कमिटि ने इनके पेमेन्ट पर टालमटोल का रवैया अपनाते हुए इन्हें जबरन बाहर का रास्ता दिखा डाला । शिक्षकों का आरोप हैं कि नयी प्रबंधन पहले बिल पास करने के लिये नजराना की माँग करते हैं ...। जिसके बाद से यह शिक्षक अधिकारी से लेकर राज्य मदरसा शिक्षा बोर्ड तक न्याय की माँग को लेकर दर - दर भटक रहे हैं और मदरसा के प्रिंसिपल अपनी बेचारगी बता पल्ला झाड़ने में जुटा हैं .....। जरा सुनिये पीड़ित शिक्षक इंतखाब अली और मदरसा प्रबंधन इंतजार अली की जुबानी......।


Conclusion:दरअसल , बिहार में मदरसा में शिक्षकों की नौकरी और वेतन मदरसा की स्थानिय कमिटि तय करती हैं जिसके बाद ही भुगतान होता हैं । समय - समय पर कमिटियां बदलने से पुराने शिक्षकों की जगह उक्त कमिटियां मनमाफिक पुराने शिक्षकों के जगह नये शिक्षकों की बहाली कर लेते हैं और फिर पीड़ित शिक्षक जिला के शिक्षा अधिकारियों से लेकर राज्य शिक्षा मदरसा बोर्ड तक दौडते रहते हैं । अब देखना बाकी हैं कि कटिहार के इस पीड़ित शिक्षकों को कब तक वेतन नसीब हो पाता हैं .......।
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