कटिहार: पूरे देश मे नागरिकता संशोधन कानून को लेकर बवाल मचा हुआ है. इसे लेकर पूर्वोत्तर भारत मे हिंसा तो कम हो गयी है. लेकिन तनाव अब भी बरकरार है. पश्चिम बंगाल और दिल्ली में आगजनी से सरकारी संपत्ति को काफी नुकसान पहुंचा है. लेकिन इस भीड़ में कुछ ऐसे भी लोग हैं, जो बांग्लादेश, म्यांमार जैसे देशों से भारत आकर अपनी जिंदगी गुजर बसर कर रहे हैं और नागरिकता संशोधन कानून से खुश हैं.
1964 में बांग्लादेश से आए थे शरणार्थी
भारत सरकार ने इन पीड़ित परिवार के बीच मदद का हाथ बढ़ाया तो यह शरणार्थी उम्र के आखिरी पड़ाव में सुकून की जिन्दगी बसर कर रहे हैं. इनका कहना है कि नागरिकता संशोधन कानून बिल्कुल सही है. जिले के वर्मा कॉलोनी को भारत सरकार ने 1964 में बांग्लादेश और बर्मा से आये शरणार्थियों के रहने के लिये बसाया था. उस वक्त सरकार ने सभी पीड़ित परिवारों को करीब तीन डिसमिल जमीन और पांच हजार रुपये की मदद भी दी थी.
जमीन बसने के मिले कागजात
जैसे-तैसे अपने जन्मस्थली से भागकर भारत पहुंचे शरणार्थी मेहनत-मजदूरी कर जिंदगी के दौर में आगे बढ़ गये. लेकिन कुछ ऐसे भी लोग हैं, जिनकी आर्थिक हालात मजबूत नहीं हो पायी. जिसकी वजह से आज भी यह परिवार दाल-रोटी की जुगाड़ से आगे नहीं बढ़ पाया है. स्थानीय भरत प्रसाद ने बताया कि बर्मा से जब वह जहाज से मद्रास बंदरगाह पर उतरे थे. तब सरकार ने फिर उन्हें पुर्णिया जिले के मरंगा शरणार्थी शिविर में तत्काल रखा और फिर कटिहार के वर्मा कॉलोनी में जमीन बसने के कागजात मिले. तब से वह यहीं रह रहे हैं.
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बर्मा कॉलोनी में रहते हैं 152 परिवार
स्थानीय बलदेव प्रसाद ने बताया कि यहां बांग्लादेश से आये काफी परिवार रहते हैं. जिन लोगों ने बांग्लादेश में जुल्म देखा है, वो अब यहां सुकून से रह रहे हैं. बर्मा से आये शरणार्थी और कटिहार नगर निगम के पूर्व पार्षद राजेंद्र वर्मा बताते हैं कि कटिहार के बर्मा कॉलोनी में करीब 152 परिवार रहते हैं. जिनमें कई तो ऐसे हैं जिन्होंने रोजगार की तलाश में दिल्ली, पंजाब का रास्ता अख्तियार कर लिया.
उन्होंने बताया कि इस कॉलोनी की हालत जर्जर हैं. ना शौचालय है और ना ही अन्य कोई सुविधायें. केवल सरकार से शरणार्थी बनने के बाद मिली जमीन के कागजात हैं. फिर भी हमलोग भारत सरकार के नागरिकता संशोधन कानून से सहमत हैं. क्योंकि दूसरे अन्य देशों में हिन्दू अल्पसंख्यकों पर बहुत जुल्म होते हैं.
भारत में सभी हैं महफूज
जिले में बांग्लादेश, म्यांमार जैसे देशों के करीब पांच जगहों पर शरणार्थी बस्ती है. जो अब भारत के मुख्यधारा में रच बस गये हैं और जिन्दगी के आखिरी पड़ाव में दूसरे मुल्कों में अपनी जमीन-जायदाद लूटने के बावजूद भारत में सुकून के पल गुजार रहे हैं. इनका मानना है कि भारत विश्व का सुंदर देश है, जहां हर कोई महफूज रह सकता है.