कटिहारः जिले में कुम्हारों की जिंदगी कुदरत और किस्मत के बीच संघर्ष करती रही है. यदि कुदरत का मिजाज ठीक रहा तो कुम्हारों के पेट की भूख मिट जाती है और यदि किस्मत दगा दे गया तो अनाज जुगाड़ करने के लिए दुगनी कीमत चुकानी पड़ती है.
दरअसल, कटिहार में बाढ़ और हुनर के बीच जंग चलता है, जहां बाढ़ हमेशा हुनर पर भारी पड़ता है. लिहाजा कटिहार के कुम्हार धीरे-धीरे अपने परंपरागत पेशे से तौबा करने को मजबूर है. क्योंकि हर साल इलाके में आने वाली बाढ़ कुम्हारों के मिट्टी के दाम बढ़ाने का काम करती है. यदि बाढ़ नहीं आयी और मिट्टी भी आसानी से मिल गई तो बाजार में पुलिस का डंडा, मंदी की मार इन्हें हुनर होने के बावजूद दूसरे प्रदेशों में पलायन करने को मजबूर कर देती है.
पुश्तैनी काम करना मजबूरी
स्थानीय कुम्हार सुखदेव पंडित बताते हैं कि इस उम्र में कोई दूसरा चारा भी नहीं है. पेट भरने का जुगाड़ करते-करते रात हो जाती है. हुनर होने के बावजूद हमलोग दूसरे प्रदेशों में पलायन करने को मजबूर और बेबस हैं. उनका कहना है कि अगर सरकार कुछ ध्यान देती तो हमारी भी किस्मत की रेखा बदल सकती है. वहीं, दूसरे कुम्हार नरेश पंडित बताते हैं हम लोग बीते 25 वर्षों से मिट्टी के बर्तन बनाने के पुश्तैनी काम में जुटे हैं. लेकिन अब यह काम नहीं करने का मन करता क्योंकि इतनी मेहनत करने के बाद भी कुछ फायदा नहीं होता है. दो,चार हजार रुपए की बचत करते-करते पूरा त्यौहार गुजर जाता है. दीया बनाने के लिए दिल में कोई उमंग नहीं बस इस धंधे में जीना हमारी मजबूरी और बेबसी बन गई है.
'चाइनीज लाईट बैन करने की मांग'
वहीं, महिला कुम्हार अंजली देवी ने भी इस काम को मजबूरी और बेबसी बताया. उन्होंने कहा की अगर सरकार बाजार में प्लास्टिक के खिलौने और चाइनीज लाइटों को बैन कर दे तो हमलोगों के रोजगार को बढ़ावा मिल जाएगा. इससे पूरे कुम्हार समाज का भरण-पोषण हो सकेगा.
मिट्टी के बर्तनों की मांग बढ़ने की आस
देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सरकार बनते ही कुम्हारों को एक उम्मीद की किरण इस सरकार से जगी थी. जिस तरह से सरकार ने सिंगल यूज प्लास्टिक पर बैन लगा कर लोगों के जीवन शैली को बदलने और पर्यावरण को दूषित होने से बचाने के लिए एक दूरगामी कदम उठाया है. सरकार के इस कदम से कुम्हारों के परंपरागत पेशे को संजीवनी मिलने की आस थी. कुम्हारों को स्टेशनों के स्टॉल पर कुल्हड़ के चाय, घरों के त्योहारों में मिट्टी के दीया सहित कई अन्य त्यौहारों और कार्यक्रमों में मिट्टी के बर्तनों की मांग बढ़ने की उम्मीद है.