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एक पालतू तोते की अनोखी प्रेम कहानी, मृत्यु के बाद हिंदू रीति रिवाज से किया गया श्राद्ध - पशु- पक्षी प्रेम की कहानी

पालतू पशु-पक्षियों से स्नेह और प्यार का कई उदाहरण समाज के सामने आता रहता है. लेकिन कटिहार का यह परिवार अपने घर के पालतू तोते की मृत्यु के 3 साल बाद भी जिस तरह से तोते की याद को अपनेपन के सहारे जोड़कर रखता है.

पालतू तोता
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Published : Oct 27, 2019, 2:23 PM IST

Updated : Oct 27, 2019, 3:18 PM IST

कटिहार: पशु- पक्षी प्रेम की कई तरह की कहानियां अब तक आपने पढ़ी और देखी होगी. लेकिन आज हम आपको एक ऐसे पक्षी प्रेम की कहानी बताएंगे, जिसे देखने के बाद आप आश्चर्यचकित हो जाएंगे. दरअसल बिहार के कटिहार जिले में एक दंपति अपने घर में पालतू तोता की मौत के बाद उसका हिंदू विधि विधान से श्राद्ध कर्म कर पक्षी प्रेम की अनोखी मिसाल पेश की है.

घर के सदस्य के रूप में पाला तोता
बता दें कि शहर के वार्ड संख्या 1 के जयप्रकाश नगर मोहल्ले के निवासी मनोज गोस्वामी और रंजीता देवी के घर में कुछ साल पहले एक तोता का बच्चा उनके घर पहुंच गया था. जिसे घर वाले अपने घर के सदस्य के रूप में पालने लगे. 7-8 महीना साथ रहने के बाद इस परिवार को तोता से ऐसा लगाव हो गया कि वे उसे बेटा का जैसा मानने लगे. लेकिन 2017 में 30 अक्टूबर दीपावली के दिन अचानक घर के पंखे से चोट लगने से मिट्ठू की मौत हो गई. मिट्ठू के मौत के बाद घरवालों ने हिंदू रीति रिवाज के अनुसार तोते का कर्मकांड पूरा किया.

katihar
हिंदू रीति रिवाज से किया श्राद्ध

पहला वेतन किया तोते के नाम
मनोज गोस्वामी और रंजीता देवी ने बताया कि मिट्ठू के घर में आने से सुख-समृद्धि होने लगी थी. हम लोगों ने जमीन खरीदा, घर भी बनावाया और मनोज का सरकारी नौकरी भी लग गया. दंपति ने सरकारी नौकरी का पहला वेतन अपने मिट्ठू के नाम भी कर दिया था. लेकिन अचानक से मिट्ठू की पंखे से चोट लगने से मौत हो गई. मृत्यु के बाद उसका कर्मकांड पूरा किया गया और 5 साल तक मिट्ठू का श्राद्ध करने को ठान लिया गया. इस वर्ष मिठू का तीसरा पुण्यतिथि है. दंपति बताते हैं मिट्ठू के नाम से जमा पहला वेतन से मोक्ष के धरती गया में उसका विधिपूर्वक श्राद्ध किया जाएगा, जिससे मिट्ठू को मुक्ति मिल सके.

पालतू तोता की अनोखी प्रेम कहानी

तोते की याद को जोड़कर रखता
अपने घर के पालतू पशु-पक्षियों से स्नेह और प्यार का कई उदाहरण समाज के सामने आता रहता हैं. लेकिन कटिहार का यह परिवार अपने घर के पालतू तोते के मृत्यु के 3 साल बाद भी जिस तरह से तोते की याद को अपनेपन के सहारे जोड़कर रखता है. वह निश्चित रूप से सराहनीय है.

कटिहार: पशु- पक्षी प्रेम की कई तरह की कहानियां अब तक आपने पढ़ी और देखी होगी. लेकिन आज हम आपको एक ऐसे पक्षी प्रेम की कहानी बताएंगे, जिसे देखने के बाद आप आश्चर्यचकित हो जाएंगे. दरअसल बिहार के कटिहार जिले में एक दंपति अपने घर में पालतू तोता की मौत के बाद उसका हिंदू विधि विधान से श्राद्ध कर्म कर पक्षी प्रेम की अनोखी मिसाल पेश की है.

घर के सदस्य के रूप में पाला तोता
बता दें कि शहर के वार्ड संख्या 1 के जयप्रकाश नगर मोहल्ले के निवासी मनोज गोस्वामी और रंजीता देवी के घर में कुछ साल पहले एक तोता का बच्चा उनके घर पहुंच गया था. जिसे घर वाले अपने घर के सदस्य के रूप में पालने लगे. 7-8 महीना साथ रहने के बाद इस परिवार को तोता से ऐसा लगाव हो गया कि वे उसे बेटा का जैसा मानने लगे. लेकिन 2017 में 30 अक्टूबर दीपावली के दिन अचानक घर के पंखे से चोट लगने से मिट्ठू की मौत हो गई. मिट्ठू के मौत के बाद घरवालों ने हिंदू रीति रिवाज के अनुसार तोते का कर्मकांड पूरा किया.

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हिंदू रीति रिवाज से किया श्राद्ध

पहला वेतन किया तोते के नाम
मनोज गोस्वामी और रंजीता देवी ने बताया कि मिट्ठू के घर में आने से सुख-समृद्धि होने लगी थी. हम लोगों ने जमीन खरीदा, घर भी बनावाया और मनोज का सरकारी नौकरी भी लग गया. दंपति ने सरकारी नौकरी का पहला वेतन अपने मिट्ठू के नाम भी कर दिया था. लेकिन अचानक से मिट्ठू की पंखे से चोट लगने से मौत हो गई. मृत्यु के बाद उसका कर्मकांड पूरा किया गया और 5 साल तक मिट्ठू का श्राद्ध करने को ठान लिया गया. इस वर्ष मिठू का तीसरा पुण्यतिथि है. दंपति बताते हैं मिट्ठू के नाम से जमा पहला वेतन से मोक्ष के धरती गया में उसका विधिपूर्वक श्राद्ध किया जाएगा, जिससे मिट्ठू को मुक्ति मिल सके.

पालतू तोता की अनोखी प्रेम कहानी

तोते की याद को जोड़कर रखता
अपने घर के पालतू पशु-पक्षियों से स्नेह और प्यार का कई उदाहरण समाज के सामने आता रहता हैं. लेकिन कटिहार का यह परिवार अपने घर के पालतू तोते के मृत्यु के 3 साल बाद भी जिस तरह से तोते की याद को अपनेपन के सहारे जोड़कर रखता है. वह निश्चित रूप से सराहनीय है.

Intro:कटिहार

कटिहार में अनोखा तोता प्रेम, मृत्यु के बाद हिंदू रीति रिवाज से किया श्राद्ध, घर में तोता (मिट्ठू) के आने से हुई सुख समृद्धि, सरकारी नौकरी लगी, जमीन खरीदा और घर भी बनाया। बेटे की तरह घर में रहने वाले तोता की मृत्यु के पश्चात हिंदू रीति रिवाज के अनुसार कर्म कांड कर एक दंपत्ति पक्षी प्रेम की अनोखी मिसाल पेश कर रहे हैं।

Body:पशु प्रेम की कई तरह की कहानियां अब तक आपने पढ़ी और देखी होगी लेकिन आज हम आपको एक ऐसे पशु प्रेम की कहानी बताने जा रहे हैं जिसे देखने के बाद आप आश्चर्यचकित हो जाएंगे। दरअसल बिहार के कटिहार जिले में एक दंपति अपने घर में पालतू तोता की मौत के बाद उसे हिंदू विधि विधान से श्राद्ध कर्म कर पक्षी प्रेम की अनोखी मिसाल पेश की है।

शहर के वार्ड संख्या 1 के जयप्रकाश नगर मोहल्ले के निवासी मनोज गोस्वामी और रंजीता देवी के घर में कुछ साल पहले एक तोता का बच्चा उनके घर पर पहुंच गया। घर वालों ने उसे अपने घर का सदस्य के रूप में पालने लगे। सात आठ महीना साथ रहने के बाद इस परिवार को तोता से ऐसा लगा हो गया कि वे उसे बेटा का जैसा मानने लगे। लेकिन 2017 में 30 अक्टूबर दीपावली के दिन अचानक घर के पंखे से चोट लगने से मिट्ठू की मौत हो गई। मिट्ठू के मौत के बाद घरवालों ने हिंदू रीति रिवाज के अनुसार तोते का कर्मकांड पूरा किया।

Conclusion:मनोज गोस्वामी और रंजीता देवी बताती हैं मिट्ठू के घर में आने से सुख-समृद्धि होने लगी। हम लोगों ने जमीन खरीदा, घर भी बनाया और मनोज का सरकारी नौकरी भी लग गया। दंपति ने सरकारी नौकरी का पहला वेतन अपने मिट्ठू के नाम भी कर दियाऋ लेकिन अचानक से मिट्ठू की पंखे से चोट लगने से मौत हो गई। मृत्यु के पश्चात उसका कर्मकांड पूरा किया गया और 5 साल तक मिट्ठू का श्राद्ध करने को ठान लिया। इस वर्ष मिठू का तीसरा पुण्यतिथि है। दंपति बताते हैं मिट्ठू के नाम से जमा पहला वेतन से मोक्ष के धरती गया में उसका विधिपूर्वक श्राद्ध किया जाएगा जिससे मिट्ठू को मुक्ति मिल सके।

अपने घर के पालतू पशु पक्षियों से स्नेह और प्यार का कई उदाहरण समाज के सामने आते रहते हैं लेकिन कटिहार का यह परिवार अपने घर के पालतू तोते के मृत्यु के 3 साल बाद भी जिस तरह से तोते की याद को अपनेपन के सहारे जोड़कर रखता है वह निश्चित रूप से सराहनीय है।
Last Updated : Oct 27, 2019, 3:18 PM IST
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