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कटिहार: फिर महंगा हुआ प्याज, लोगों के छूटे पसीने - onion sale reduced

कटिहार में बढ़ती प्याज की कीमतों ने हाहाकार मचा दिया है. इलाके की सबसे बड़ी मंडी न्यू मार्केट में प्याज का खुदरा भाव पचास से साठ रुपये है.

महंगा हुआ प्याज
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Published : Sep 18, 2019, 11:36 AM IST

कटिहार: प्याज की बढ़ती कीमतों से लोगों को फिलहाल राहत मिलती नहीं दिख रही है. जिले में प्याज के दाम 50 रुपये प्रति किलोग्राम के पार पहुंच गए हैं. ऐसे में खाने की थाली से प्याज धीरे-धीरे गायब होता जा रहा है. व्यापारियों का कहना है प्याज महंगा होने से बिक्री पर बहुत प्रभाव पड़ा है. जो कल तक एक किलो प्याज खरीदते थे, वो आज पाव लेकर जा रहे हैं.

प्याज की बढ़ती कीमत ने बिगाड़ा खाने का स्वाद

कटिहार में तो बढ़ती प्याज की कीमतों ने हाहाकार मचा दिया है. इलाके की सबसे बड़ी मंडी न्यू मार्केट में प्याज का खुदरा भाव पचास से साठ रुपये है. बड़े वजन वाले प्याज जो अमूमन नॉन- वेज बनाने के काम आते हैं, उसकी कीमत दस रुपये ज्यादा यानि सत्तर रुपये किलोग्राम तक है.

कम हुई प्याज की बिक्री
दुकानदार रोहित गुप्ता बताते हैं कि प्याज के आसमान छूती कीमतों ने बाजार की कमर तोड़ डाली है. रोजमर्रे के दिनों में एक किलो प्याज खरीदने वाले लोग अब एक पाव खरीदकर काम चला रहे है. खरीदारों की भीड़ पहले से कम हो गई है. कुछ दिनों पहले प्याज की कीमत 30 से 40 रूपये प्रति किलो था. अब 60 के पार चला गया है.

katihar
महंगा हुआ प्याज

जरूरी जायकों में ही इस्तेमाल हो रहा प्याज
प्याज की बढ़ती कीमतों से आमजन काफी परेशान हैं. खरीदारों का कहना है कि आज से पहले उन्होंने कभी पावभर प्याज नहीं खरीदा था. लेकिन प्याज की बढ़ती कीमतों ने पॉकेट पर इस कदर असर डाला है कि किसी तरह एक पाव लेकर काम चला रहे हैं. महंगाई बढ़ने से प्याज की खपत भी कम हो गई है. जरूरी जायकों में भी इसका प्रयोग हो रहा है.

katihar
कम हुई प्याज की बिक्री

लोगों की पढ़ी परेशानी
जिनकी आमदनी कम है, उनके लिये परेशानी ज्यादा बढ़ गई है. गरीबों के लिये संभव नहीं की वो इतने महंगे प्याज खरीद सकें. ऐसे में सरकार को चाहिए की प्याज की बढ़ती कीमत पर अंकुश लगाए. बता दें कि प्याज के आसमान छूते दामों ने कभी दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री स्व.सुषमा स्वराज की गद्दी छीन ली थी. चुनाव में जनता ने उन्हें नकार दिया था. अगर जल्द ही प्याज की कीमतों पर लगाम नहीं लगा तो इसका असर बिहार में होने वाले विधानसभा चुनावों पर भी पड़ सकता है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इसकी अनदेखी करना महंगा पड़ सकता है.

कटिहार: प्याज की बढ़ती कीमतों से लोगों को फिलहाल राहत मिलती नहीं दिख रही है. जिले में प्याज के दाम 50 रुपये प्रति किलोग्राम के पार पहुंच गए हैं. ऐसे में खाने की थाली से प्याज धीरे-धीरे गायब होता जा रहा है. व्यापारियों का कहना है प्याज महंगा होने से बिक्री पर बहुत प्रभाव पड़ा है. जो कल तक एक किलो प्याज खरीदते थे, वो आज पाव लेकर जा रहे हैं.

प्याज की बढ़ती कीमत ने बिगाड़ा खाने का स्वाद

कटिहार में तो बढ़ती प्याज की कीमतों ने हाहाकार मचा दिया है. इलाके की सबसे बड़ी मंडी न्यू मार्केट में प्याज का खुदरा भाव पचास से साठ रुपये है. बड़े वजन वाले प्याज जो अमूमन नॉन- वेज बनाने के काम आते हैं, उसकी कीमत दस रुपये ज्यादा यानि सत्तर रुपये किलोग्राम तक है.

कम हुई प्याज की बिक्री
दुकानदार रोहित गुप्ता बताते हैं कि प्याज के आसमान छूती कीमतों ने बाजार की कमर तोड़ डाली है. रोजमर्रे के दिनों में एक किलो प्याज खरीदने वाले लोग अब एक पाव खरीदकर काम चला रहे है. खरीदारों की भीड़ पहले से कम हो गई है. कुछ दिनों पहले प्याज की कीमत 30 से 40 रूपये प्रति किलो था. अब 60 के पार चला गया है.

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महंगा हुआ प्याज

जरूरी जायकों में ही इस्तेमाल हो रहा प्याज
प्याज की बढ़ती कीमतों से आमजन काफी परेशान हैं. खरीदारों का कहना है कि आज से पहले उन्होंने कभी पावभर प्याज नहीं खरीदा था. लेकिन प्याज की बढ़ती कीमतों ने पॉकेट पर इस कदर असर डाला है कि किसी तरह एक पाव लेकर काम चला रहे हैं. महंगाई बढ़ने से प्याज की खपत भी कम हो गई है. जरूरी जायकों में भी इसका प्रयोग हो रहा है.

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कम हुई प्याज की बिक्री

लोगों की पढ़ी परेशानी
जिनकी आमदनी कम है, उनके लिये परेशानी ज्यादा बढ़ गई है. गरीबों के लिये संभव नहीं की वो इतने महंगे प्याज खरीद सकें. ऐसे में सरकार को चाहिए की प्याज की बढ़ती कीमत पर अंकुश लगाए. बता दें कि प्याज के आसमान छूते दामों ने कभी दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री स्व.सुषमा स्वराज की गद्दी छीन ली थी. चुनाव में जनता ने उन्हें नकार दिया था. अगर जल्द ही प्याज की कीमतों पर लगाम नहीं लगा तो इसका असर बिहार में होने वाले विधानसभा चुनावों पर भी पड़ सकता है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इसकी अनदेखी करना महंगा पड़ सकता है.

Intro:.....आसमान पर प्याज के भाव ....। लोगों के किचेन का बजट चारों खाने चित .....। बिगाड़ डाला हैं सब्जियों का जायका ....। रोज बना रहा हैं कीमतों का नया रिकॉर्ड ....। जेब जला रहा हैं प्याज ,आँसू से अवाम परेशान .....। खुदरा बाजार में पचास से साठ रुपये किलो के बीच बिक रहे हैं प्याज ....। ग्राहक से लेकर दुकानदार तक हैं परेशान कि किलो खरीदने वाले लोग पावभर लेकर किसी तरह निकाल रहे हैं काम जिससे हो गयी हैं बिक्री डाउन ......।


Body:लाल छिलके वाली सफेद प्याज की परतें महँगाई में इस कदर लिपट चली हैं कि प्याज की खरीद आम आदमी के वश से बाहर हैं .....। कटिहार में तो बढ़ती प्याज की कीमतों ने हाहाकार मचा दिया हैं और रोज नये - नये रिकॉर्ड बना रहा हैं । इलाके की सबसे बड़ी मंडी न्यू मार्केट में बाजार में प्याज का खुदरा भाव पचास से साठ रुपये हैं । बड़े वजन वाले प्याज , जो अमूमन नॉन- वेज बनाने के काम आते हैं ...उसकी कीमत दस रुपये ज्यादा यानि सत्तर रुपये किलोग्राम तक हैं । स्थानीय दुकानदार रोहित गुप्ता बताते हैं कि प्याज के आसमान छूते कीमतों ने बाजार की कमर तोड़ डाली हैं । रोजमर्रे के दिनों में एक किलो खरीदने लोग अब पावभर खरीद काम चला रहे हैं । सलादों में कच्चे प्याज खाने वाले लोगों की प्लेटों से प्याज की कतरनें गायब सी गयी हैं और इसकी जगह सफेद मूलियों ने ले लिया हैं । प्याज के आढ़तों में प्याज पैतालीस रुपये के पार चल रहा हैं .....। स्थानीय सज्जाद खान बतातें हैं कि आज से पहले उन्होंने कभी पावभर प्याज नहीं खरीदा था लेकिन प्याज के बढ़ते कीमतों ने पॉकेट पर इस कदर असर किया हैं कि किसी तरह पावभर ले काम चला रहे हैं । ऐसा नहीं कि यह प्याज आमदिनों की तरह घर मे उपयोग हो रहा हैं बल्कि निहायत ही जरूरी जायकों में इसका प्रयोग हो रहा हैं । कम प्याज की मात्रा ने तो सब्जियों सहित कई चीजों तक जायका बिगाड़ डाला हैं ....। स्थानीय कुंती देवी बताती हैं कि प्याज को देखकर डर लगता हैं और उन्होंने तो इसके आसमान छूते भावों के चलते खरीदना भी कम कर दिया हैं ......। छोटे कमाने - खाने वाले लोगों ने तो महँगे होने की वजह से प्याज को भूल भी चुके हैं ....।


Conclusion:प्याज के आसमान छूते दामों ने कभी दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री स्व.सुषमा स्वराज की गद्दी छीन ली थी और चुनावों में जनता ने उन्हें नकार दिया था और इसी तरह अगर जल्द ही प्याज की कीमतों पर लगाम नहीं लग पाया तो इसका असर बिहार में होने वाली विधानसभा चुनावों पर भी पड़ सकता हैं और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इसकी अनदेखी करना महँगा साबित हो सकता हैं .....।
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