कटिहार: प्याज की बढ़ती कीमतों से लोगों को फिलहाल राहत मिलती नहीं दिख रही है. जिले में प्याज के दाम 50 रुपये प्रति किलोग्राम के पार पहुंच गए हैं. ऐसे में खाने की थाली से प्याज धीरे-धीरे गायब होता जा रहा है. व्यापारियों का कहना है प्याज महंगा होने से बिक्री पर बहुत प्रभाव पड़ा है. जो कल तक एक किलो प्याज खरीदते थे, वो आज पाव लेकर जा रहे हैं.
कटिहार में तो बढ़ती प्याज की कीमतों ने हाहाकार मचा दिया है. इलाके की सबसे बड़ी मंडी न्यू मार्केट में प्याज का खुदरा भाव पचास से साठ रुपये है. बड़े वजन वाले प्याज जो अमूमन नॉन- वेज बनाने के काम आते हैं, उसकी कीमत दस रुपये ज्यादा यानि सत्तर रुपये किलोग्राम तक है.
कम हुई प्याज की बिक्री
दुकानदार रोहित गुप्ता बताते हैं कि प्याज के आसमान छूती कीमतों ने बाजार की कमर तोड़ डाली है. रोजमर्रे के दिनों में एक किलो प्याज खरीदने वाले लोग अब एक पाव खरीदकर काम चला रहे है. खरीदारों की भीड़ पहले से कम हो गई है. कुछ दिनों पहले प्याज की कीमत 30 से 40 रूपये प्रति किलो था. अब 60 के पार चला गया है.
जरूरी जायकों में ही इस्तेमाल हो रहा प्याज
प्याज की बढ़ती कीमतों से आमजन काफी परेशान हैं. खरीदारों का कहना है कि आज से पहले उन्होंने कभी पावभर प्याज नहीं खरीदा था. लेकिन प्याज की बढ़ती कीमतों ने पॉकेट पर इस कदर असर डाला है कि किसी तरह एक पाव लेकर काम चला रहे हैं. महंगाई बढ़ने से प्याज की खपत भी कम हो गई है. जरूरी जायकों में भी इसका प्रयोग हो रहा है.
लोगों की पढ़ी परेशानी
जिनकी आमदनी कम है, उनके लिये परेशानी ज्यादा बढ़ गई है. गरीबों के लिये संभव नहीं की वो इतने महंगे प्याज खरीद सकें. ऐसे में सरकार को चाहिए की प्याज की बढ़ती कीमत पर अंकुश लगाए. बता दें कि प्याज के आसमान छूते दामों ने कभी दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री स्व.सुषमा स्वराज की गद्दी छीन ली थी. चुनाव में जनता ने उन्हें नकार दिया था. अगर जल्द ही प्याज की कीमतों पर लगाम नहीं लगा तो इसका असर बिहार में होने वाले विधानसभा चुनावों पर भी पड़ सकता है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इसकी अनदेखी करना महंगा पड़ सकता है.